स्वराज संवादः सात घंटे के मंथन से निकलेगी भविष्य की राह
‘स्वराज संवाद’। दूसरे शब्दों में कहें तो आम आदमी पार्टी के बागी कहे जाने वाले गुट का निर्णायक मंच। आगामी 14 अप्रैल को गुड़गांव में होने वाला स्वराज संवाद नाम का ये कार्यक्रम ही तय करेगा कि भविष्य में योगेंद्र यादव व प्रशांत भूषण जैसे आप के वरिष्ठ नेता केजरीवाल
रेवाड़ी [महेश कुमार वैद्य]। ‘स्वराज संवाद’। दूसरे शब्दों में कहें तो आम आदमी पार्टी के बागी कहे जाने वाले गुट का निर्णायक मंच। आगामी 14 अप्रैल को गुड़गांव में होने वाला स्वराज संवाद नाम का ये कार्यक्रम ही तय करेगा कि भविष्य में योगेंद्र यादव व प्रशांत भूषण जैसे आप के वरिष्ठ नेता केजरीवाल के साथ चलेंगे या साथ छोड़ने का फैसला होगा। मंथन के लिए पूरे सात घंटे का समय तय किया गया है। जरूरत हुई तो इसे बढ़ा भी दिया जाएगा। कोई जिद नहीं होगी।
पहले सबकी बात, फिर अपनी बात:
योगेंद्र-प्रशांत पहले सुनेंगे सबकी बात, फिर कहेंगे अपनी बात। 14 अप्रैल। सात घंटे का मंथन और निर्णायक फैसला। हो सकता है फैसला सुनाने का समय बढ़ा दिया जाए, लेकिन अलग राह पर आगे बढ़ने के संकेत तो अभी से मिल रहे हैं। आम आदमी पार्टी का योगेंद्र यादव की बगावत को लोकतांत्रिक मानने वाला पक्ष स्वराज संवाद की पूरी तैयारी में जुटा हुआ है, जबकि टीम केजरीवाल के लिए योगेंद्र समर्थकों के स्वराज संवाद का मतलब है पार्टी के बागी नेताओं की बगावत।
पंचकुला से रेवाड़ी तक तैयारीः
योगेंद्र यादव समर्थक पंचकुला से रेवाड़ी तक हर जिले में आम आदमी कार्यकर्ताओं से संपर्क कर रहे हैं। जो लोग आप पार्टी से नहीं जुड़े हैं उनसे भी एसएमएस भेजकर स्वराज संवाद में भागीदारी करने की अपील की जा रही है। गुड़गांव के सुखराली कम्यूनिटी सेंटर में होने वाले आयोजन में भारी भीड़ जुटाने की तैयारी है। सुबह 10 बजे से 5 बजे तक स्वराज संवाद में शामिल होने वाले कार्यकर्ता अपनी-अपनी बात कहेंगे।
प्रवेश के लिए नहीं होगा बंधनः
कार्यक्रम में प्रवेश के लिए किसी तरह का बंधन नहीं होगा। किसी के लिए भी स्वराज संवाद में शामिल होने के लिए दरवाजे बंद नहीं होंगे। योगेंद्र समर्थकों को उनके गृह राज्य हरियाणा व गृह जिला रेवाड़ी से काफी उम्मीद है।
स्वराज के स्वर सुनकर बनेगी रणनीतिः
सूत्रों के अनुसार अरविंद केजरीवाल से अलग राह पकड़ने से पूर्व गंभीर मंथन होगा। भविष्य की रणनीति स्वराज संवाद के स्वर व भीड़ देखकर तय की जाएगी। राजनीति की समझ रखने वाला एक पक्ष मानता है कि राहें तो कभी की जुदा हो चुकी है, परंतु इस जुदाई पर सार्वजनिक मुहर ऐसे ढंग से लगाई जाएगी कि जनता की अदालत के कटघरे में टीम योगेंद्र की बजाय टीम केजरीवाल नजर आए।
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