योगेंद्र की केजरीवाल को सलाह, अपनी लिखी किताब 'स्वराज' पढ़ें
आम आदमी पार्टी (आप) की राजनीतिक मामलों की समिति (पीएसी) से निकाले गए वरिष्ठ नेता योगेंद्र यादव ने खुद पर लगाए सभी आरोपों को गलत बताते हुए इसकी किसी स्वतंत्र एजेंसी से जांच करवाने की अपील की है।
नई दिल्ली । आम आदमी पार्टी (आप) की राजनीतिक मामलों की समिति (पीएसी) से निकाले गए वरिष्ठ नेता योगेंद्र यादव ने खुद पर लगाए सभी आरोपों को गलत बताते हुए इसकी किसी स्वतंत्र एजेंसी से जांच करवाने की अपील की है। उनको पार्टी के अहम पदों से हटाने से पहले ये आरोप पार्टी प्रमुख अरविंद केजरीवाल ने लगाए थे। यादव ने केजरीवाल को यह सलाह भी दी है कि वे अपनी ही लिखी किताब 'स्वराज' को एक बार फिर से पढ़ें।
योगेंद्र यादव ने कहा है कि केजरीवाल ने उन पर जो तीन आरोप लगाए हैं, उनमें सबसे प्रमुख है दिल्ली चुनाव में पार्टी को हरवाने का। इस चुनाव के दौरान उन्होंने पार्टी की ओर से कुल 80 से 100 सभाओं और अनगिनत प्रेस कांफ्रेंस को संबोधित किया, क्या यही पार्टी को हराने की कोशिश थी? इसी तरह दूसरा आरोप है कि दिल्ली चुनाव में हरवाने के लिए 'द हिंदू' अखबार की एक पत्रकार को गलत जानकारी देकर उन्होंने अरविंद के खिलाफ खबर छपवाई। वे कहते हैं, 'अगर इस आरोप को सच मान भी लें तो मेरे खिलाफ आरोप तो यही बनता है न कि मैंने अरविंद भाई के खिलाफ साजिश की। मगर अरविंद भूल गए हैं कि पार्टी और उनमें फर्क है।'
योगेंद्र यादव ने कहा 'मुझ पर तीसरा आरोप है कि मेरे एक सहयोगी ने एक वर्ष पूर्व फोन पर किसी चौथे व्यक्ति से बात की और उस चौथे व्यक्ति ने आरोप लगाया है कि मेरे सहयोगी ने कहा कि अरविंद के बाद योगेंद्र को नेता बनना चाहिए। जबकि मेरा सहयोगी पत्र लिख कर बता चुका है कि उसने क्या-क्या कहा। इसके बावजूद उस चौथे व्यक्ति की बात पर विश्वास किया जा रहा है और मेरी बात पर नहीं।' यादव ने कहा है कि उन्हें हैरानी इस बात को लेकर है कि सरकार बनाने के बाद जिस व्यक्ति को पूरा ध्यान शासन चलाने पर लगाना चाहिए था, वह सिर्फ इस बात पर ध्यान लगा रहा है कि किसे पार्टी से निकालना है और किसे निपटाना है। उन्होंने खुद पर लगे आरोपों की जांच किसी स्वतंत्र लोकपाल से करवाने की मांग भी की है।
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