पीएम से सीबीआइ पूछताछ पर अड़ा विपक्ष
कोयले की कालिख में अब प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह भी घिर गए हैं। अब तक गुम फाइलों को लेकर स्पष्ट उत्तर देने से बचते रहे मनमोहन को अब सीबीआइ से पूछताछ के ...और पढ़ें

नई दिल्ली [जागरण ब्यूरो]। कोयले की कालिख में अब प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह भी घिर गए हैं। अब तक गुम फाइलों को लेकर स्पष्ट उत्तर देने से बचते रहे मनमोहन को अब सीबीआइ से पूछताछ के लिए बढ़ते दबावों का भी सामना करना होगा। भाजपा समेत विपक्ष के कई दलों ने अब प्रधानमंत्री से भी पूछताछ की मांग कर दी है। जबकि सरकार अलग-थलग पड़ी दिख रही है। दोनों सदनों के नेता प्रतिपक्ष सुषमा स्वराज और अरुण जेटली ने मनमोहन की भूमिका पर सवाल उठाते हुए कहा कि जब दस्तावेज ही गायब हो गए हैं तो सच्चाई जानने के लिए उनसे पूछताछ जरूरी है।
कोलगेट: गुम फाइलों पर गोलमोल जवाब
कोयले की आग धीरे-धीरे और भड़कने लगी है। इस मामले में गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई है। उससे पहले सीबीआइ के जांच अधिकारी केआर चौरसिया की ओर से पीएम से पूछताछ की मंशा व्यक्त किए जाने से विपक्ष को और बल मिला है। चौरसिया ने पीएम से पूछताछ की अनुमति मांगी थी, लेकिन उन्हें रोक दिया गया है। एक दिन पहले प्रधानमंत्री के बयान से भड़के विपक्ष ने बुधवार को यह स्पष्ट कर दिया कि अब कोई राहत नहीं दी जा सकती है। मौका मिलते ही दोनों सदनों में विपक्ष पूरी तरह हमलावर था और निशाने पर खुद प्रधानमंत्री थे।
लोकसभा में सुषमा स्वराज तो राज्यसभा में अरुण जेटली ने सीधे प्रधानमंत्री को कठघरे में खड़ा करते हुए कहा कि फाइलें गुम नहीं हुई, बल्कि चोरी हो गई हैं। यह सब कुछ जानबूझकर किया गया है, ताकि इसमें शामिल लोगों को बचाया जा सके। प्रधानमंत्री के पास कोयला मंत्रालय का भी प्रभार था। लिहाजा दस्तावेजों के अभाव में सच्चाई तभी सामने आ सकती है, जब मनमोहन से भी पूछताछ हो। बल्कि उन्हें खुद ही जांच के लिए आगे आना चाहिए।
जेटली ने कहा कि जांच अधिकारी ने ऐसी मंशा जताई थी, लेकिन उन्हें अनुमति नहीं मिली। जेटली और सुषमा ने संयुक्त बयान जारी कर भी कहा कि गुम हुई फाइल के लिए एफआइआर दर्ज होनी चाहिए। सरकार पूरी जांच को प्रभावित करना चाह रही है, लेकिन विपक्ष यह नहीं होने देगा।
संसद में बुधवार को सरकार अलग-थलग दिखी। विपक्ष से माकपा, अन्नाद्रमुक, सपा, जदयू, तृणमूल कांग्रेस समेत अन्य दलों ने भी सरकार की मंशा पर सवाल उठाए। माकपा के सीताराम येचुरी ने कहा कि जांच के लिए जब फाइलें ही नहीं मिल रही हों तो पूछताछ जरूरी है। चाहे फिर उस पूछताछ के लिए प्रधानमंत्री को ही क्यों न आगे आना पड़े। इस मामले में गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई है। कोर्ट पहले भी गुम फाइलों को लेकर सरकार को लताड़ लगा चुका है। गुरुवार को कोर्ट का रुख गरम रहा तो तो उसका असर संसद पर भी दिख सकता है।
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