Move to Jagran APP

अफसरों के नाम बताए तो होगी देश की बदनामी :छोटा राजन

अंडरवर्ल्ड डॉन छोटा राजन ने सुनवाई के दौरान अदालत में कहा कि ह वर्षो से खुद आतंकवाद के खिलाफ लड़ता रहा है। अगर उसकी जुबान खुली तो उच्च पदों पर बैठे बड़े अफसरों की पोल खुल जाएगी।

By Manish NegiEdited By: Published: Wed, 07 Sep 2016 12:48 AM (IST)Updated: Wed, 07 Sep 2016 01:12 AM (IST)

नई दिल्ली, (संदीप गुप्ता)। भारत में हत्या, अवैध वसूली, तस्करी जैसे 70 से अधिक मामलों में वांछित अंडरव‌र्ल्ड डॉन राजेंद्र सदाशिव निखलजे उर्फ छोटा राजन का मंगलवार को अदालत में देशभक्ति वाला चेहरा देखने को मिला। अदालत में दिए बयान में छोटा राजन ने कहा कि वह वर्षो से खुद आतंकवाद के खिलाफ लड़ता रहा है। अगर उसकी जुबान खुली तो उच्च पदों पर बैठे बड़े अफसरों की पोल खुल जाएगी और देश की भारी बदनामी होगी।

loksabha election banner

पटियाला हाउस कोर्ट के विशेष सीबीआइ जज विनोद कुमार के समक्ष फर्जी पासपोर्ट मामले में सभी आरोपियों के बयान दर्ज होने की कार्यवाही गई। राजन से हुई जिरह के दौरान उससे 100 से अधिक सवालों के जवाब मांगे गए। अधिकतर सवालों का जवाब उसने नहीं पता या जानकारी नहीं है करते हुए दिया।

छोटा राजन ने दाऊद का आदमी समझ कराई जेडे की हत्या

राजन ने एक सवाल के जवाब में कहा कि वह एक सच्चा देशभक्त है और बीते 25 सालों से आतंकवाद के खिलाफ लड़ रहा है। इंडोनेशिया के बाली से गिरफ्तारी के वक्त उसके पास से बरामद हुए मोहन कुमार के नाम के पासपोर्ट का इस्तेमाल उसने कभी भी अपने निजी लाभ के लिए नहीं किया। राजन ने कहा कि आतंकवाद और दाऊद इब्राहिम के खिलाफ काम कर रही सभी जांच एजेंसियों की हर संभव मदद करता आया हूं। मै उन अफसरों के नाम रिकॉर्ड पर नहीं लाना चाहूंगा जो आतंकवाद संबंधित मामलों में गलत गतिविधियों में लिप्त हैं। ऐसा करने से देश का नाम खराब होगा।

छोटा राजन ने अदालत में कहा कि फर्जी पासपोर्ट मामले में मेरे खिलाफ सभी आरोप बेबुनियाद हैं। अभियोजन पक्ष द्वारा वह सभी दस्तावेज जिन पर मेरे हस्ताक्षर दर्शाए गए हैं वह गलत हैं। राजन ने कहा कि दाऊद इब्राहिम ने उस पर दुबई में हमला कराया था। इसके बाद वह बैंकॉक चला गया था, लेकिन वहां भी उसपर हमला कराया गया। अपनी पहचान छुपाने के मकसद से उसे मोहन कुमार के नाम का पासपोर्ट दिया गया था। राजन ने कहा, मैंने अपनी पहचान छुपाई ताकि मै अपने देश की रक्षा के काम में जुटी जांच एजेंसियों की मदद कर सकूं। हालांकि उसने यह भी स्पष्ट कहा कि जिस समय यह फर्जी पासपोर्ट बनाया गया था, वह भारत में नहीं था।

गौरतलब है कि पहले भी मुंबई पुलिस के वरिष्ठ अधिकारियों पर दाऊद इब्राहिम और राजन की मदद करने के आरोप लगते रहे हैं। बीते वर्ष इंडोनेशिया के बाली में गिरफ्तारी के बाद अक्टूबर माह में राजन को करीब 27 साल बाद वापस भारत लाया जा सका था।

छोटा राजन के खिलाफ किताब लिखने पर की गई थी पत्रकार जे डे की हत्या


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.