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सुकमा हमला: हत्या के बाद महिला नक्सलियों ने 6 जवानों के काट लिए थे गुप्तांग

दरअसल, सोमवार दोपहर गश्त के बाद थके सीआरपीएफ 74वीं बटालियन के जवान पारी-पारी से भोजन कर रहे थे।

By Abhishek Pratap SinghEdited By: Published: Wed, 26 Apr 2017 09:05 AM (IST)Updated: Fri, 28 Apr 2017 11:22 AM (IST)
सुकमा हमला: हत्या के बाद महिला नक्सलियों ने 6 जवानों के काट लिए थे गुप्तांग
सुकमा हमला: हत्या के बाद महिला नक्सलियों ने 6 जवानों के काट लिए थे गुप्तांग

दोरनापाल (सुकमा), नईदुनिया। सुकमा जिले के बुरकापाल में नक्सली हमले में शहीदों के शवों से अमानवीयता की सनसनीखेज बात सामने आई है। घटनास्थल से बरामद शवों में से करीब 6 शहीदों के गुप्तांग महिला नक्सलियों ने काट दिए। 

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दरअसल, सोमवार दोपहर गश्त के बाद थके सीआरपीएफ 74वीं बटालियन के जवान पारी-पारी से भोजन कर रहे थे। इसी दौरान 12.55 बजे नक्सलियों ने उन्हें एंबुश में फंसाकर अंधाधुंध फायरिंग की थी। 10 राउंड यूबीजीएल (अंडर बैरल गैनेड लॉन्चर्स) भी दागे गए, जिसमें 25 जवान व अधिकारी शहीद हो गए और 6 घायल हुए हैं। दोपहर 3 बजे फायरिंग की। बैकअप पार्टी 4.45 बजे पहुंची।

इस बीच के पौने दो घंटे में महिला नक्सलियों ने धारदार हथियार से अंग काटने की वारदात को अंजाम दिया। बुरकापाल हमले में शामिल नक्सलियों में लगभग एक तिहाई महिला थीं, इसके चलते इस बात को और बल मिल रहा है।

उधर, मंगलवार को रायपुर पहुंचे गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने शहीद जवानों को श्रद्घांजलि अर्पित की और समीक्षा बैठक के बाद कहा कि सरकार अपनी रणनीति पर विचार करेगी। 8 मई को नक्सल प्रभावित राज्यों की दिल्ली में बैठक बुलाई गई है। जरूरत प़़डी तो रणनीति में बदलाव भी किया जाएगा।

पहले भी दिखा अमानवीय चेहरा

वर्ष 2007 में बीजापुर जिले के रानीबोदली में सीएएफ कैंप पर हमले में 55 जवान व एसपीओ शहीद हुए थे। तब नक्सलियों ने धारदार हथियार से कुछ जवानों के सिर धड़ से अलग कर दिए थे। झीरम-2 नाम से चर्चित टाहकवाड़ा मुठभेड़ में शहीद जवानों के शवों को टंगिए व धारदार हथियारों से गोदा गया था। शहीद जवान के शव में बम लगाने करने की घटना को भी अंजाम दिया गया था।

पेड़ों पर चढ़कर 15 फीट ऊंचाई से जवानों पर की थी फायरिंग

घटना में प्रत्यक्षदर्शी 74वीं बटालियन के जवान मनोज कुमार ने बताया कि बुरकापाल कैंप से जवानों की टीम निर्माणाधीन पुलिया की सुरक्षा के लिए सर्चिग पर निकली थी। इस बीच रास्ते में लाल साड़ी पहने कुछ ग्रामीण महिलाएं तेंदूपत्ता व आम तोड़तीं नजर आई। ये महिलाएं फोर्स की रेकी कर रहीं थीं। महिलाएं गांव की नहीं थीं, इसलिए सुरक्षा बल को उन पर संदेह भी हुआ।

इसके बाद जब सभी जवान भोजन करने बैठे, तभी नक्सलियों ने अचानक फायर किया। इसके बाद तीनों दिशाओं से गोलियां चलनी शुरू हुई। जवानों ने जवाबी कार्रवाई में एचई (हाई एक्सप्लोसिव) बम भी दागे। नक्सलियों ने पेड़ों पर चढ़कर 15 फीट की ऊंचाई से जवानों पर गोलियां दाग रहे थे। वहीं सपोर्टिग पार्टी को रोकने लिए भी नक्सलियों की दूसरी पार्टी विपरीत दिशा में फायरिंग कर रही थी।

फिर किया तीर बम का इस्तेमाल

मौके पर बिना फटे व फटे हुए तीर बम समेत खाली कारतूस के खोखे चारों ओर नजर आए। मालूम हो, 12 मार्च को कोत्ताचेरू में हुए हमले के दौरान भी नक्सलियों ने तीर बम का इस्तेमाल किया था। बताया जाता है कि तीर के अगले हिस्से में नक्सली आईईडी लगा देते हैं। इसके लगते ही विस्फोट हो जाता है। इस प्रकार के तीर बम का नक्सलियों ने पहले भी कई बार इस्तेमाल किया है।

तीन नक्सलियों के मारे जाने का दावा करने वाले आईजी विवेकानंद सिन्हा ने बताया कि ग्राम लिंपा के ग्रामीणों ने नक्सलियों द्वारा तीन शवों के जलाए जाने की पुष्टि की है। वहीं कई नक्सलियों के घायल होने की जानकारी भी मिली है। घटनास्थल पर खून के छींटे भी मिले हैं। सिन्हा ने खुफिया तंत्र की नाकामी की बात से इंकार करते कहा कि नक्सलियों के मुकाबले जवानों की संख्या काफी कम थी, इसलिए नुकसान उठाना पड़ा।

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