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लूटे गए सरकारी हथियारों से ही जवानों को मार रहे हैं नक्‍सली

नक्सलियों के हाथ में लगभग हर दूसरा हथियार सरकारी है, जिसे उन्होंने सुरक्षाबलों से लूटा है। सुकमा हमले में मारे गए ज्‍यादातर जवान भी सरकारी गोली का ही शिकार हुए हैं।

By Kamal VermaEdited By: Published: Wed, 26 Apr 2017 01:32 AM (IST)Updated: Wed, 26 Apr 2017 01:32 AM (IST)
लूटे गए सरकारी हथियारों से ही जवानों को मार रहे हैं नक्‍सली

रायपुर (नईदुनिया)। सुकमा के बुरकापाल में शहीद हुए 25 जवान सरकारी गोली के शिकार हुए हैं। करीब महीनेभर पहले 11 मार्च को कोत्ताचे में शहीद हुए 12 जवानों को भी सरकारी गोली लगी थी। पुलिस अफसरों के अनुसार, नक्सलियों के हाथ में लगभग हर दूसरा हथियार सरकारी है, जिसे उन्होंने सुरक्षाबलों से लूटा है। पुलिस अफसरों का कहना है कि नक्सलियों के पास भी हर वे हथियार हैं जो पुलिस और सुरक्षाबलों के पास हैं। अब तो उनके हाथ यूबीजीएल (अंडर बैरल ग्रेनेट लांचर) भी लग गया है, इससे सुरक्षाबलों की चिंता और बढ़ गई है।

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पुलिस सूत्रों के अनुसार, बस्तर में नक्सलियों के लड़ाके भी सुरक्षाबलों की तरफ बुलेटप्रूफ जैकेट पहनते हैं। रात में नाइट विजन चश्मे और कैमरे का इस्तेमाल करते हैं। फोर्स की गतिविधियों पर नजर रखने के लिए आधुनिक दूरबीन और वायरलैस सेट का भी इस्तेमाल करते हैं। ये सारी सुविधाएं उन्होंने पुलिस और सुरक्षाबलों से ही हासिल की हैं। हर वारदात के बाद नक्सली फोर्स का हथियार समेत अन्य सामान लूट कर ले जाते हैं और फिर इसका इस्तेमाल फोर्स के खिलाफ ही करते हैं।

उतार ले जाते हैं वर्दी और जूते

लंबे समय तक सुकमा में पदस्थ रहे एक थाना प्रभारी ने बताया कि नक्सली न केवल हथियार बल्कि जवानों के वर्दी, पिठू और जूते--मोजे भी उतार कर ले जाते हैं। इनका इस्तेमाल वे खुद करते हैं। मोबाइल और पर्स भी लूट लेते हैं। 

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पहले केवल कमांडर के पास होता थी एके 47

पुलिस अफसरों के अनुसार, 15 साल पहले तक नक्सली भरमार जैसे देशी हथियारों का इस्तेमाल करते थे। थ्री नॉट थ्री भी गिनती के ही उनके पास रहते थे। आंध्रप्रदेश में नक्सलवाद बढ़ने के बाद चोरी-छिपे विदेशी हथियार उन तक पहुंचने लगे। उस वक्त एके-47 केवल कमांडर के पास ही होता था। अब हर दल में ज्यादतर के पास एके-47 और इंसास रहता है। 

थाने में करते थे लूटपाट

पहले नक्सली हथियार हासिल करने के लिए थानों पर हमले करते थे। बाद में सरकार ने कम संख्या बल वाले थानों से हथियार ही हटा लिए थे। अब थानों से लूट की वारदातें छत्तीसगढ़ में बंद हो गए हैं, लेकिन ओडिशा और झारखंड में ऐसी घटनाएं अब भी हो रही हैं।

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