अजमेर की सड़कों पर कभी तांगा चलाया करते थे आसाराम
असुमल सिरुमलानी से आसाराम बनने और खुद को योगगुरु व संत बताने वाले यौन शोषण के आरोप में घिरे आसाराम अब जोधपुर की जेल में दिन गुजार रहे है। आध्यात्मिक ग ...और पढ़ें

अजमेर। असुमल सिरुमलानी से आसाराम बनने और खुद को योगगुरु व संत बताने वाले यौन शोषण के आरोप में घिरे आसाराम अब जोधपुर की जेल में दिन गुजार रहे है। आध्यात्मिक गुरु और तांत्रिक के रूप में खुद को स्थापित करने से पहले वह अजमेर की सड़कों पर तांगा चलाया करते थे। तांगे पर वह तीर्थयात्रियों को रेलवे स्टेशन से अजमेर शरीफ दरगाह ले जाया करते थे।
काटे नहीं कटी जेल में आसाराम की पहली रात
अविभाजित भारत के सिंध प्रांत में 1939 को जन्में असुमल सिरुमलानी उर्फ आसाराम विभाजन के बाद अपने पिता थाउमल सिरुमलानी के साथ पाकिस्तान के सिंध प्रांत से गुजरात आए थे। उस समय वह सात साल के थे और उनका परिवार काफी गरीब था।
आसाराम अजमेर में दो साल तक अपने चाचा के साथ रहे, जहां वह तांगा चलाने का काम किया करते थे। 1963 में अजमेर आने से पहले उन्होंने गुजरात के विभिन्न शहरों में भी काम किया।
आसाराम की जमानत पर आज हो सकता है फैसला
चरण जीत सिंह नाम के एक वकील ने बताया कि वह काफी महत्वाकांक्षी थे और अमीर बनना चाहते थे। अजमेर में कुछ दिन बिताने के बाद अहमदाबाद वापस चले गए और वह अध्यात्मिक गुरु और तांत्रिक आसाराम बन गए।
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