नतीजे देखने लालकिले पर उमड़ती थी भीड़
आज तकनीक के इस युग में चुनाव खत्म होने के बाद मतगणना शुरू क्या हुई नतीजे चंद घंटे में घर बैठे पता चल जाते हैं। मगर देश में जब लोकतंत्र की नींव रखी गई और चुनाव होते थे तब परिणाम जानने के लिए दिल्ली में लोग लालकिले के परिसर में जुटते थे। ताजा चुनाव परिणाम सबसे पहले यहां चुनाव आयोग द्वारा लगाए गए डिस्
राज्य ब्यूरो, नई दिल्ली। आज तकनीक के इस युग में चुनाव खत्म होने के बाद मतगणना शुरू क्या हुई नतीजे चंद घंटे में घर बैठे पता चल जाते हैं। मगर देश में जब लोकतंत्र की नींव रखी गई और चुनाव होते थे तब परिणाम जानने के लिए दिल्ली में लोग लालकिले के परिसर में जुटते थे। ताजा चुनाव परिणाम सबसे पहले यहां चुनाव आयोग द्वारा लगाए गए डिस्प्ले बोर्ड पर लगाकर सार्वजनिक किए जाते थे। देश के अलग-अलग राज्यों से नतीजे आने में सप्ताह भर का समय लग जाता था, तब तक राजनीति में दिलचस्पी रखने वाले लोग यहां डेरा डाले रहते थे।
लोकसभा चुनाव परिणामों को देखने के लिए लालकिले में मेले जैसा माहौल होता था। दिल्ली व समीपवर्ती राज्यों के नतीजे आने में कम से कम तीन से चार दिन लग जाते थे। मतगणना केंद्र से सीधे सूचना लेकर चुनाव आयोग के कर्मचारी लालकिले के मैदान में आते थे और वहां बोर्ड पर प्रत्याशियों को प्राप्त होने वाले मतों की जानकारी लिखते थे। पुरानी दिल्ली में रहने वाले सुभाष चंद्र अग्रवाल पुराने संस्मरण बताते हैं कि उनके पिताजी चुनाव नतीजे जानने के लिए लालकिले के परिसर में इस तरह डट जाते थे कि घर समीप होने के बावजूद उस दौरान वापस नहीं आते थे।
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चुनाव को लोकतंत्र का पर्व कहा जाता है तो सही मायने में उस दौरान चुनाव के समय पर्व जैसा माहौल भी होता था। पहला आम चुनाव वर्ष 1951 में 25 अक्टूबर से प्रारंभ हुआ तो चुनाव प्रक्रिया फरवरी 1952 में जाकर पूरी हुई थी। चार महीने तक जनतंत्र का जश्न मनाते लोग नहीं थकते थे। वर्तमान समय में वोटर बनने से लेकर वोट डालने की प्रक्रिया सब कुछ तकनीक के माध्यम से बेहद आसान हो गई है।