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    बिहार में सेक्स स्कैंडल में तीन जज बर्खास्त

    By Edited By:
    Updated: Sun, 09 Feb 2014 12:12 PM (IST)

    सेक्स स्कैंडल में फंसे बिहार न्यायिक सेवा के तीन पदाधिकारियों को पटना हाई कोर्ट की 'फुल कोर्ट मीटिंग' में शनिवार को बर्खास्त कर दिया गया। हरिनिवास गुप्ता, जितेंद्र नाथ सिंह और कोमल राम न्यायिक सेवा में थे। गुप्ता समस्तीपुर के परिवार न्यायालय के प्रधान जज थे और इन दिनों मुजफ्फरपुर में कार्यरत थे। जितेंद्र नाथ आरा जिला

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    पटना। सेक्स स्कैंडल में फंसे बिहार न्यायिक सेवा के तीन पदाधिकारियों को पटना हाई कोर्ट की 'फुल कोर्ट मीटिंग' में शनिवार को बर्खास्त कर दिया गया। हरिनिवास गुप्ता, जितेंद्र नाथ सिंह और कोमल राम न्यायिक सेवा में थे। गुप्ता समस्तीपुर के परिवार न्यायालय के प्रधान जज थे और इन दिनों मुजफ्फरपुर में कार्यरत थे। जितेंद्र नाथ आरा जिला न्यायालय में अपर सत्र न्यायाधीश (एडीजे) व कोमल राम नवादा में सब जज के पद पर कार्यरत थे।

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    मुख्य न्यायाधीश रेखा मनोहर दोषित की अध्यक्षता में शनिवार को सभी जजों की सहमति पर तीनों न्यायिक अधिकारियों को बर्खास्त कर दिया गया। सेवामुक्त किए जाने के बाद इन्हें किसी प्रकार का वेतन और पेंशन नहीं दिया जाएगा। इससे पहले गत पांच फरवरी को भी मुख्य न्यायाधीश की अध्यक्षता में सात सदस्यीय स्टैंडिंग कमेटी की बैठक हुई थी।

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    तीनों न्यायिक अधिकारियों पर आरोप है कि गत माह 26 जनवरी को झंडा फहराने के बाद सभी नेपाल के विराटनगर चले गए। जहां बस स्टैंड के पास मेट्रो गेस्ट हाउस एंड होटल में ठहरे। यहां इनके लिए शराब व शवाब की व्यवस्था थी। रात में नेपाली पुलिस की छापेमारी में तीनों अधिकारियों को लड़कियों के साथ आपत्तिजनक स्थिति में पकड़ा गया। नेपाल एसपी ने सभी पदाधिकारियों को बिहार न्यायिक सेवा के होने के चलते छोड़ दिया। लेकिन नेपाल से प्रकाशित अखबार 'उद्घोष' ने 29 जनवरी के अंक में घटना कच्च् कच्च्चा चिट्ठा खोल दिया। स्कैंडल में फंसे होने की सूचना मिलने के बाद तीनों को डिमोट कर दिया गया। पटना हाई कोर्ट प्रशासन ने इसकी जांच पूर्णिया के जिला जज संजय कुमार से कराई।

    जांच में कोमल राम को छोड़ दोनों अधिकारियों ने स्वीकार किया कि वे 26 व 27 जनवरी को नेपाल में थे। मामला देश की सीमा पार का होने के चलते इसकी जानकारी केंद्र सरकार तक गई। गृह मंत्रालय के उप सचिव ने 20 जून 2013 को पटना हाई कोर्ट के रजिस्ट्रार को दो पन्ने की चिट्ठी लिखी जिसमें मुख्य न्यायाधीश से मामले को संज्ञान लेने को कहा गया।

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