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    इस बार दिल्‍ली चुनाव में होगी कांटे की टक्कर

    By Sanjay BhardwajEdited By:
    Updated: Tue, 13 Jan 2015 11:06 AM (IST)

    सूबे में एक बार फिर चुनावी रणभेरी बज उठी है। सियासी लड़ाई की तारीख का एलान हो गया है। सूरमाओं ने तरकश में तीर सजा लिए हैं। लेकिन यह सियासी जंग कौन जीतेगा इसका फैसला शहर की जनता को करना है। बड़ा सवाल यह है कि क्या राजधानी के मतदाता

    नई दिल्ली [अजय पांडेय]। सूबे में एक बार फिर चुनावी रणभेरी बज उठी है। सियासी लड़ाई की तारीख का एलान हो गया है। सूरमाओं ने तरकश में तीर सजा लिए हैं। लेकिन यह सियासी जंग कौन जीतेगा इसका फैसला शहर की जनता को करना है। बड़ा सवाल यह है कि क्या राजधानी के मतदाता पटरी से उतरी दिल्ली के विकास की गाड़ी को दोबारा पटरी पर लाने के हक में बटन दबाएंगे?

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    दिल्ली में विधानसभा के गठन के बाद यह पहला मौका है जब महज 14 महीनों के भीतर दूसरी बार विधानसभा चुनाव कराने की नौबत आ गई है। सूबे में एक बार भाजपा व तीन बार कांग्रेस का राज कायम हो चुका है। पिछली बार कांग्रेस की बैसाखी के सहारे आम आदमी पार्टी (आप) ने भी अपना राज स्थापित किया लेकिन महज 49 दिनों के भीतर अरविंद केजरीवाल की अगुआई वाली सरकार ने इस्तीफा दे दिया।

    बीते 20-22 वर्षो में पहली बार दिल्ली में राष्ट्रपति शासन लागू हुआ। जोड़तोड़ कर सरकार गठन की कोशिशें जरूर हुईं लेकिन कामयाब नहीं हो पाईं। सूबे में सरकार के गठन के मामले पर एक बार फिर जनता की अदालत में सुनवाई तय हो गई है।

    एक-दूसरे की ताकत का है अहसास

    सियासी जानकारों की मानें तो दिल्ली विधानसभा का यह चुनाव बिल्कुल बदली हुई परिस्थितियों में लड़ा जाने वाला है। सबसे बड़ी बात यह है कि पिछले चुनाव में कांग्रेस अथवा भाजपा दोनों में से किसी भी दल को आप की झाड़ की ताकत का अहसास नहीं था। दोनों दलों के सूरमाओं ने आप को संजीदगी से नहीं लिया और परिणाम यह हुआ कि केजरीवाल की अगुआई में एक नई पार्टी ने कांग्रेस का सूपड़ा साफ कर दिया और भाजपा की जीत के इरादों पर भी पानी फेर दिया। इस बार तीनों दलों को एक-दूसरे की ताकत का बखूबी अहसास है।

    गौरतलब यह भी है कि भ्रष्टाचार, काले धन, महंगाई आदि मुद्दों की धार इस बार कमजोर पड़ती दिखाई दे रही है। केंद्र में नरेंद्र मोदी की अगुआई में एक प्रचंड बहुमत वाली सरकार का गठन हो चुका है और प्रधानमंत्री मोदी की लोकप्रियता की लहर पर सवार भाजपा इस बार बहुमत की छलांग लगाने की पूरी कोशिश करेगी।

    कांग्रेस के खिलाफ गुस्से का गुबार निकल चुका है और वह वापसी के लिए पूरा जोर लगा रही है। पिछले चुनाव में माहौल जिस प्रकार से पूरी तरह उसके खिलाफ था, इस बार वैसी सूरत नहीं दिखती। आप के लिए यह चुनाव सही मायनों में अपने आपको साबित करने का चुनाव है। केजरीवाल के नेतृत्व में यह पार्टी जनता से पूर्ण बहुमत देने की मांग भी कर रही है। पार्टी ने चुनाव प्रचार में जान भी जबरदस्त तरीके से लगा रखी है। अब देखना यह है कि जनता किसके पक्ष में बटन दबाती है।

    14-।5 तक घोषित होंगे उम्मीदवार

    नई दिल्ली : सोमवार को पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह ने दिल्ली भाजपा के वरिष्ठ नेताओं के साथ बैठक की। सूत्रों के मुताबिक 14 या 15 जनवरी को पार्टी उम्मीदवारों की पहली सूची जारी हो सकती है। बैठक में टिकट वितरण पर चर्चा के साथ ही घोषणापत्र तैयार करने और चुनाव प्रचार अभियान की रणनीति बनाई गई। बैठक में दिल्ली भाजपा के प्रभारी प्रभात झा, प्रदेश अध्यक्ष सतीश उपाध्याय, प्रदेश संगठन महामंत्री विजय शर्मा, सांसद डॉ. हर्षवर्धन, मीनाक्षी लेखी, मनोज तिवारी, उदित राज, प्रवेश वर्मा व महेश गिरी मौजूद रहे।

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