चीनी घुसपैठ की तरफ इशारा, सुषमा बोली- हिंद महासागर की सुरक्षा करें सदस्य राष्ट्र
श्रीलंका में आयोजित दो दिवसीय भारतीय उप महाद्वीप की कांफ्रेंस में तकरीबन 35 देश भाग ले रहे हैं।

कोलंबो (पीटीआई)। विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने कहा है कि हिंद महासागर के स्थायित्व के लिए इसकी सुरक्षा की जिम्मेदारी सदस्य राष्ट्रों पर है। समूचे विश्व की आर्थिक प्रगति के लिए इस क्षेत्र में शांति की बेहद ज्यादा जरूरत है। उनका इशारा साफ तौर पर चीन की घुसपैठ की तरफ था।
श्रीलंका के कोलंबो में दो दिवसीय भारतीय उप महाद्वीप की कांफ्रेंस में वह बोल रही थीं। सुषमा ने कहा कि भारतीय समुद्री क्षेत्र का इस्तेमाल करने वाले सभी देश वैश्विक नियमों का पालन करें। यह एक बेहद जटिल क्षेत्र है, लेकिन विश्व की तरक्की में क्षेत्र का योगदान अहम है। इसके पानी से हर साल एक लाख से ज्यादा जहाज गुजरते हैं। उनका कहना था कि भारत की समुद्री सीमा 75 सौ किमी लंबी है। भारत का 90 फीसद कारोबार पानी के जरिये ही होता है।
गौरतलब है कि अफ्रीका में बंदरगाह स्थापित करने के बाद चीन पाकिस्तान के ग्वादर के साथ श्रीलंका के समुद्री क्षेत्र में अपनी घुसपैठ कर रहा है। हिंद महासागर में चीन के जहाज बीते कुछ समय से ज्यादा दिखने लगे हैं। सुषमा का कहना था कि पीएम नरेंद्र मोदी मानते हैं कि सागर का मतलब क्षेत्र में रहने वाले सभी देशों के विकास को लेकर है। वह मानते हैं कि पड़ोसी देशों से संपर्क बेहतर होगा तो विकास को पंख लग जाएंगे।
इस सम्मेलन का आयोजन इंडिया फाउंडेशन, सिंगापुर स्थित एस राजारत्नम स्कूल ऑफ इंटरनेशनल स्टडीज और कोलंबो स्थित नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ फंडामेंटल स्टडीज कर रहे हैं। इसमें लगभग 35 देश भाग ले रहे हैं। इसका विषय है कि हिंद महासागर में दोनों देशों के लिए क्या-क्या संभावनाएं हो सकती हैं। दोनों देशों के लिए समुद्र में क्या-क्या हो सकता है और किस तरीके से भारत और श्रीलंका शांति, समृद्धि हासिल कर सकते हैं। इसका पहला सत्र सितंबर 2016 में सिंगापुर में आयोजित किया गया था।

कमेंट्स
सभी कमेंट्स (0)
बातचीत में शामिल हों
कृपया धैर्य रखें।