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    सुप्रीम कोर्ट ने बैंकों से बड़े डिफॉल्टरों के नाम बताने को कहा

    By kishor joshiEdited By:
    Updated: Wed, 17 Feb 2016 06:07 AM (IST)

    फंसे कर्जे यानी नॉन परफॉरमिंग एसेट्स (एनपीए) की समस्या को लेकर सरकारी बैंकों को और फजीहत झेलनी पड़ सकती है। एक तरफ तो ये बैंक दिन ब दिन बढ़ते फंसे कर्जो पर लगाम लगाने की ठोस रणनीति नहीं बना पाए हैं।

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    नई दिल्ली। फंसे कर्जे यानी नॉन परफॉरमिंग एसेट्स (एनपीए) की समस्या को लेकर सरकारी बैंकों को और फजीहत झेलनी पड़ सकती है। एक तरफ तो ये बैंक दिन ब दिन बढ़ते फंसे कर्जो पर लगाम लगाने की ठोस रणनीति नहीं बना पाए हैं। दूसरी तरफ,अब उन्हें पहली बार उन बड़े डिफॉल्टरों के नाम भी सार्वजनिक करने होंगे जो जानबूझकर कर्ज नहीं लौटा रहे हैं। सुप्रीम कोर्ट ने एक ऐतिहासिक फैसले में बैंकों को निर्देश दिया कि उन्हें 500 करोड़ रुपये से यादा के लोन डिफॉल्टरों के नाम बताने होंगे।

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    इस निर्देश का पालन होता है तो बैंकों का कर्ज वापस न करने वाले बड़े घरानों व जालसाजों के नाम सामने आएंगे।अभी तक रिजर्व बैंक के नियमों व कानूनों के आधार पर बैंक जानबूझकर लोन डिफॉल्टर के नाम सार्वजनिक नहीं करते थे। पिछली बार एक दशक पहले बैंक यूनियनों ने जानबूझकर कर्ज नहीं लौटाने वाले ग्राहकों के नाम सार्वजनिक किए थे। दिसंबर, 2015 तक के आंकड़े बताते हैं कि सिर्फ सरकारी बैंकों के 3.25 लाख करोड़ रुपये विभिन्न औद्योगिक घरानों के पास फंसी हुई है। इस राशि का लगभग 60 फीसद सिर्फ 150 व्यक्तियों या कंपनियों पर बकाया है।

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    मौजूदा फंसे कर्ज (3.25 लाख करोड़) के अतिरिक्त लाखों करोड़ रुपये पहले ही बैंक बट्टे-खाते में डाल चुके हैं। फंसे कर्ज की वापसी न होने की स्थिति में बैंकों को अपने शुद्ध मुनाफे में से पैसा निकालना होता है। मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट ने कहा, वर्ष 2013-2015 के बीच में ही 1.14 लाख करोड़ की राशि बट्टे खाते में डाली गई है यानि फंसे कर्ज की राशि को एक तरह से माफ किया गया है।

    पीएनबी ने विजय माल्या को डिफाल्टर घोषित किया

    कोर्ट ने एक गैर सरकारी संगठन की तरफ से दायर जनहित याचिका का संज्ञान लेते हुए कहा है कि फंसे कर्जे की वजह से सरकारी बैंकों की हालत खराब होती जा रही है। अभी तक कर्ज वसूली का कोई ठोस तरीका नहीं ईजाद किया जा सका है। कोर्ट के निर्देश से कुछ ही देर पहले पंजाब नैशनल बैंक ने लगभग तीन वर्ष की जद्दोजहद के बाद देश के नामी उद्योगपति डॉ. विजय माल्या को उनकी बंद हो चुकी कंपनी किंगफिशर एयरलाइंस के संदर्भ में जानबूझकर कर्ज नहीं चुकाने वाला घोषित किया। अब माल्या के लिए भारत में किसी भी वित्तीय संस्थान से कर्ज लेना आसान नहीं रहेगा। वहीं, भारतीय स्टेट बैंक की चेयरपर्सन अरुंधति भट्टाचार्य ने स्वीकार किया कि बैंक के फंसे कर्जे की राशि आने वाले दिनों में और बढ़ेगी और इससे मुनाफा भी प्रभावित होगा।

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