बड़े बकायेदारों की रकम उजागर होने के आसार
बैंकों से हजारों करोड़ का कर्ज लेकर अदा नहीं करने वालों ने देश को कुल कितने का चूना लगाया है, आने वाले दिनों में इसका पर्दाफाश हो सकता है।
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। बैंकों से हजारों करोड़ का कर्ज लेकर अदा नहीं करने वालों ने देश को कुल कितने का चूना लगाया है, आने वाले दिनों में इसका पर्दाफाश हो सकता है। सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को इसके संकेत दिए। कोर्ट ने कहा कि ऐसे डिफॉल्टरों के नाम भले ही सार्वजनिक न किए जाएं, लेकिन कुल राशि जरूर उजागर होनी चाहिए। रिजर्व बैंक (आरबीआइ) ने गोपनीयता का हवाला देते हुए डिफॉल्टरों के नाम और कुल राशि दोनों को सार्वजनिक करने का विरोध किया।
चीफ जस्टिस टीएस ठाकुर की अध्यक्षता वाली पीठ ने 500 करोड़ से ज्यादा कर्ज लेकर न चुकाने वालों की सूची देखने के बाद चिंता जताते हुए उक्त बात कही। पीठ ने कहा, 'हम देख रहे हैं कि हजारों करोड़ की संपत्ति वाले बैंकों से बड़े-बड़े कर्ज लेते हैं। बाद में खुद को दीवालिया घोषित कर देते हैं। फिर बैंक इस कर्ज के पुनर्गठन में लग जाते हैं। जबकि एक तरफ गरीब किसान हैं, जो कुछ हजार रुपये कर्ज लेते हैं और चुका नहीं पाने पर उनकी संपत्ति जब्त कर ली जाती है।' पीठ ने याचिकाकर्ता संस्था सेंटर फॉर पब्लिक इंटरेस्ट लिटिगेशन (सीपीआइएल) और आरबीआइ से कहा कि वे डिफॉल्टरों की जानकारी सार्वजनिक करने पर अपने सुझाव दें। साथ ही उन मुद्दों को भी तय करें जिन पर कोर्ट विचार करे। साथ ही कोर्ट ने फंसे कर्जो (एनपीए) की भारी रकम को देखते हुए आरबीआइ से पूछा है कि वह इसकी वसूली कैसे करेगा और क्या कदम उठा रहा है।
सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र से पूछा, सूखे में अनाज के लिए राशनकार्ड क्यों जरूरी?
पीठ ने इस मामले में इंडियन बैंक एसोसिएशन और वित्त मंत्रालय को भी नोटिस जारी कर पक्षकार बना लिया है।सुनवाई की शुरुआत में आरबीआइ के वकील ने डिफॉल्टरों की जानकारी उजागर करने के विरोध में कहा कि याचिकाकर्ता तीन साल का विवरण मांग रहे हैं। गोपनीयता प्रावधानों के कारण यह ब्योरा सार्वजनिक नहीं किया जा सकता। इस पर चीफ जस्टिस ने कहा कि डिफॉल्टरों का नाम छोडि़ए, कुल राशि को उजागर करने में क्या परेशानी है।
अर्थव्यवस्था पर पड़ेगा असर
आरबीआइ ने इसका भी विरोध किया। कहा कि इससे देश की अर्थव्यवस्था पर असर पड़ेगा। एनपीए के बारे में पूरी जानकारी केंद्रीय बैंक अकेले नहीं दे सकता। उसने बैंको के कामकाज का विकेंद्रीकरण कर दिया है। ऐसे में बैंक ज्यादा जानकारी दे सकते हैं। इस पर पीठ ने कहा कि सभी बैंकों की बजाय इंडियन बैंक एसोसिएशन और वित्त मंत्रालय को पक्षकार बनाया जाना चाहिए।
गोपनीयता की दलील पर सवाल
याचिकाकर्ता के वकील प्रशांत भूषण ने कहा कि आरबीआइ गोपनीयता की दलील दे रहा है। बीते साल सुप्रीम कोर्ट ने एक फैसले में कहा था कि आरबीआइ गोपनीयता की दलील नहीं दे सकता। केंद्रीय बैंक के वकील ने प्रशांत की दलील का विरोध किया। इस पर पीठ ने सवाल किया कि क्या आरटीआइ कानून के तहत आरबीआइ को कोई छूट मिली हुई है। पीठ ने पूछा कि अगर कोई बैंक फंड का समझदारी से इस्तेमाल नहीं करता। किसी ऐसी पार्टी को कर्ज देता है, जिससे वापसी संभव नहीं है। क्या ऐसे मामलों में केंद्रीय बैंक कोई कार्रवाई करता है। आरबीआइ ने कहा कि कुछ मामलों में ऐसा हुआ है। कोर्ट ने कहा कि आरबीआइ रेगुलेटर है और उसे देखना चाहिए कि जनता का पैसा कहां जा रहा है। कोर्ट मामले की अगली सुनवाई 26 अप्रैल को करेगा।
बैड लोन मामलाः वित्त मंत्रालय और इंडियन बैंक्स एसोसिएशन को SC का नोटिस
क्या है मामला
सुप्रीम कोर्ट एनपीए के मामले में सुनवाई कर रहा है। शीर्ष अदालत ने पिछली सुनवाई पर आरबीआइ से 500 करोड़ या ज्यादा राशि वाले डिफॉल्टरों की सूची मांगी थी। आरबीआइ ने यह सूची कोर्ट को सौंपी थी। इस पर अब सुनवाई हो रही है।
कमेंट्स
सभी कमेंट्स (0)
बातचीत में शामिल हों
कृपया धैर्य रखें।