मोदी के खिलाफ जासूसी कांड की जांच से पीछे हटी सरकार
आठवें चरण के मतदान के पहले चुनावी तापमान बढ़ाने के बाद संप्रग सरकार गुजरात में कथित महिला जासूसी कांड की जांच के लिए न्यायिक आयोग के गठन के फैसले से पीछे हट गई है। संप्रग सहयोगियों की नाराजगी के बाद सरकार ने जांच आयोग के गठन का फैसला अगली सरकार पर छोड़ने का स्पष्ट संकेत दिया है।
नई दिल्ली, जागरण ब्यूरो। आठवें चरण के मतदान के पहले चुनावी तापमान बढ़ाने के बाद संप्रग सरकार गुजरात में कथित महिला जासूसी कांड की जांच के लिए न्यायिक आयोग के गठन के फैसले से पीछे हट गई है। संप्रग सहयोगियों की नाराजगी के बाद सरकार ने जांच आयोग के गठन का फैसला अगली सरकार पर छोड़ने का स्पष्ट संकेत दिया है। शुक्रवार को कानून मंत्री कपिल सिब्बल और गृह मंत्री सुशील कुमार शिंदे ने चुनाव परिणाम आने के पहले न्यायिक जांच आयोग के गठन की घोषणा की थी। सिब्बल ने दावा किया था कि जांच हुई तो भाजपा के प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार नरेंद्र मोदी पूरी तरह बेनकाब हो जाएंगे।
संप्रग सरकार के अंतिम समय में नरेंद्र मोदी को घेरने की कोशिश के खिलाफ रविवार को राकांपा और नेशनल कांफ्रेस के खुले विरोध के बाद सरकार के उच्च पदस्थ सूत्रों ने न्यायिक जांच आयोग को ठंडे बस्ते में डालने का संकेत दिया। सूत्रों के अनुसार पिछले साल 26 दिसंबर को कैबिनेट के फैसले पर अब 16 मई के बाद बनने वाली नई सरकार ही विचार करेगी। कैबिनेट के फैसले के बाद सरकार की तमाम कोशिशों के बावजूद मोदी के खिलाफ जांच के लिए सुप्रीम कोर्ट या हाई कोर्ट का कोई भी जज तैयार नहीं हुआ। सरकार के ताजा रुख से गृह मंत्रालय के अधिकारियों ने राहत की सांस ली है। जांच आयोग के गठन का शुरू से विरोध कर रहे एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि उन्हें न तो जांच करने वाले जज के बारे में जानकारी दी गई है और न ही इसके लिए अभी तक चुनाव आयोग से हरी झंडी ली गई है।
यह भी माना जा रहा है कि कथित जासूसी कांड की जांच का मुद्दा सिर्फ राजनीतिक लाभ के लिए उछाला गया था। हकीकत में सरकार कभी भी न्यायिक आयोग के गठन के लिए गंभीर नहीं थी। भाजपा शुरू से जांच आयोग के गठन का विरोध करते हुए इसे संप्रग सरकार की प्रतिशोध की राजनीति करार देती रही है। भाजपा के वरिष्ठ नेता अरुण जेटली ने कहा, न्यायिक आयोग का गठन गलत मंशा से शुरू किया गया था। सरकार की इस कोशिश में भागीदार नहीं बनने के लिए उन्होंने न्यायपालिका की सराहना की।
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