SIMI एनकाउंटर: भागने से पहले आतंकियों को जेल में ही मिल गए थे कपड़े, जूते
जेल के रिकॉर्ड से इस बात की पुष्टि होती है कि आतंकियों को पिछले छह माह से पांच से आठ किलो तक इकट्ठा खजूर भेजा जाता रहा है।
भोपाल, (अनूप दुबे)। सेंट्रल जेल ब्रेक करने की साजिश सिमी आतंकी छह माह पहले रच चुके थे। इसके तहत उन तक हर वो सामान पहुंच रहा था, जिसकी उन्हें जरूरत थी। सामान पहुंचाने का जरिया था थोकबंद खजूर। जेल के रिकॉर्ड से इस बात की पुष्टि होती है कि आतंकियों को पिछले छह माह से पांच से आठ किलो तक इकट्ठा खजूर भेजा जाता रहा है। वहीं भागे आतंकियों की सेल से ब़़डी मात्रा में कप़़डे, जूते, खाने का सामान, ब्लेड, एक बैग में चाकू, टूथब्रश और अन्य सामान का मिलना इस बात के स्पष्ट संकेत हैं कि आतंकियों को बाहर कोई मदद नहीं मिली बल्कि वे जेल से ही पूरी तैयारी के साथ भागे थे।
सेल में सामान इतना ज्यादा था कि वे भागते समय उसे नहीं ले जा सके। इन तथ्यों का खुलासा पुलिस जांच में हुआ है। भोपाल पुलिस के एक वरिष्ठ अधिकारी के मुताबिक आतंकियों को उनकी जरूरत का सामान बेहद आसानी से पहुंचता रहा है। साजिश के तहत उस सामान का उपयोग उन्होंने योजनाबद्घ तरीके से किया। जेल में आतंकियों के बी ब्लॉक में तीन सेल में 18 'आई सेल' (एक कैदी के लिए एक सेल) हैं। इनमें से 16 में आरोपी थे, जबकि एक के अस्पताल में भर्ती होने समेत दो 'आई सेल' खाली थी। यह सभी सुबह 6 से शाम 6 बजे तक ब्लॉक में ही खुले घूमते थे। एक आरोपी अपनी सेल से कभी नहीं निकलता था, जबकि अन्य एक साथ घूमते रहते थे।
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आशंका जताई जा रही है वही अंदर बैठकर चाबी बनाता रहता था। बी सेल के 'आई सेल' के कमरा नंबर 19 से 22 तक जाकिर हुसैन और अन्य दो आरोपी बंद थे। संभावना है कि उन्होंने किसी तरह बाहर आकर शहीद रमाशंकर यादव की हत्या कर अन्य सभी आई सेल के दरवाजे खोल दिए थे। इसके बाद वे दीवार पर च़़ढकर फरार हो गए।
पुलिस ने जेल प्रबंधन से जानकारी मांगी है कि किस आदेश के तहत यह सुविधाएं कैदियों तक पहुंची। 5 दिन पहले मुख्य संतरी को हटा दिया सिमी आतंकियों को क़़डी सुरक्षा में ए और बी ब्लॉक में रखा गया था। ब्लॉक की सुरक्षा के लिए बनाई गई 10 फीट की दीवार के ऊपर तारों की फेंसिंग है। इसके बाहर एक संतरी तैनात किया गया था। सिमी आतंकियों के जेल से फरार होने के महज 5 दिन पहले 26 अक्टूबर को ड्यूटी से मुख्य संतरी को हटा दिया गया था। संतरी बी ब्लॉक की मुख्य दीवार के बाहर 24 घंटे पहरे पर रहता था। उसके हटने के कारण ही आतंकी दीवार फांदकर आसानी से फरार होने में कामयाब हो सके थे। हालांकि इस बारे में अधिकारी कुछ भी बोलने से बचते नजर आए।
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