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    भाजपा से दरार चौड़ी करेगा शिवसेना का रवैया

    By anand rajEdited By:
    Updated: Sun, 19 Jun 2016 05:25 AM (IST)

    स्वर्ण जयंती समारोह महाराष्ट्र के दो सत्तारूढ़ दलों भाजपा और शिवसेना के बीच दरार और चौड़ी कर सकता है।

    ओमप्रकाश तिवारी, मुंबई। शिवसेना का रविवार को होने वाला स्वर्ण जयंती समारोह महाराष्ट्र के दो सत्तारूढ़ दलों भाजपा और शिवसेना के बीच दरार और चौड़ी कर सकता है। शिवसेना ने इस समारोह का न्योता तक भाजपा को नहीं दिया है और यह कहकर भाजपा पर हावी होने के संकेत दिए हैं कि महाराष्ट्र की एकमात्र संरक्षक सिर्फ शिवसेना है।

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    रविवार को गोरेगांव के एनएसई ग्राउंड पर शिवसेना अपना स्वर्ण जयंती समारोह मनाने जा रही है। इस समारोह के एक दिन पहले शिवसेना के मुखपत्र सामना में यह कहकर मराठी भावनाओं को उभारने की कोशिश की गई है कि मुंबई पर दिल्ली का नियंत्रण देखकर छत्रपति शिवाजी महाराज की आत्मा को कष्ट हो रहा होगा। सामना कहता है कि शिवसेना ही महाराष्ट्र की एकमात्र गार्जियन (संरक्षक) है, और पिछले 50 वषोर्ं से वह यह भूमिका ईमानदारी से निभाती आ रही है।

    आज मराठी अस्मिता को ठेस पहुंचाने की कोशिश की जा रही है, जिसे हम सफल नहीं होने देंगे। माना जा रहा है कि रविवार के समारोह में शिवसेना अध्यक्ष उद्धव ठाकरे अपने वक्तव्य में सामना की इसी भूमिका को आगे बढ़ाते हुए कांग्रेस-राकांपा के बजाय भाजपा पर ही तीखा प्रहार करते दिखाई देंगे। भले ही शिवसेना राज्य की सत्ता में भाजपा के साथ हो।

    25 वर्षों से महाराष्ट्र में भाजपा के साथ राजनीति करती आई शिवसेना को पिछले विधानसभा चुनाव में बराबरी का सीट समझौता मंजूर नहीं हुआ। इस कारण दोनों दलों के बीच चुनावपूर्व गठबंध टूट गया था। महाराष्ट्र में भाजपा से ज्यादा ताकतवर होने का दावा करनेवाली शिवसेना को इस चुनाव में भाजपा से करीब आधी सीटों पर ही जीत हासिल हुई।

    भाजपा ने सरकार में भी उसे करीब दो महीने बाद शामिल किया, वह भी उसकी कोई शर्त माने बगैर। शिवसेना यह अपमान भुला नहीं पा रही है। तभी से वह केंद्र व राज्य में भाजपा के साथ सत्ता में साझीदार रहते हुए भाजपा की आलोचना का कोई मौका नहीं छोड़ती। यहां तक कि वह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की आलोचना के भी मौके तलाशती रहती है।

    अगले वर्ष की शुरुआत में ही मुंबई महानगरपालिका के चुनाव होने हैं। शिवसेना इस महानगरपालिका पर दो दशकों से ज्यादा समय से सत्ता में है। मुंबई महानगरपालिका की सत्ता ही शिवसेना की असली ताकत मानी जाती है। शिवसेना इस सत्ता को अपने हाथ से कतई जाने नहीं देना चाहती।

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    शिवसेना को आशंका है कि भाजपा अपनी आक्रामक रणनीति से उसे मुंबई मनपा से भी बेदखल करना चाहती है। यही कारण है कि वह मराठी अस्मिता उभारकर मुंबई के मराठी मतदाताओं को खुद से जोड़े रखना चाहती है। इसके लिए वह मुंबई को महाराष्ट्र से अलग किए जाने का भय भी मराठी मतदाताओं को दिखाती रहती है। उम्मीद की जा रही है कि रविवार को अपने स्वर्ण जयंती समारोह में भी उद्धव ऐसा ही करेंगे।

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