'मेक इन इंडिया वीक' की सफलता पर शिवसेना ने खड़े किए सवाल
शिवसेना ने अपने मुखपत्र सामना के जरिए मेक इन इंडिया वीक के लिए पीएम मोदी की जहां प्रशंसा की है वहीं इस पर सवाल भी खड़े किए हैं। पत्र लिखता है कि महाराष्ट के सीएम की विदेश यात्राओं से इन यात्राओं पर हुए खर्च के बराबर भी विदेश निवेश नहीं
मुंबई। मुंबई में आज से शुरू हो रहे 'मेक इन इंडिया वीक' को लेकर शिवसेना ने जहां केंद्र की इसके लिए प्रशंसा की है वहीं उसको कटघरे में भी खड़ा किया है। इसके जरिए शिवसेना ने पिछले दिनों महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फणनवीस की विदेश यात्राओं पर सवाल उठाते हुए कहा है कि जितना खर्च इन यात्राओं पर हुआ सरकार उतना भी विदेशी निवेश नहीं जुटा सकी। ऐसी यात्राओं का फिर क्या फायदा। शिवसेना ने यह सब अपने मुखपत्र सामना के जरिए कहा है।
सामना के संपादकीय में पार्टी का दर्द भी सामने आया है। इसमें कहा गया है कि मेक इन इंडिया वीक मुंबई में हो रहा है लेकिन इसमें शिवसेना प्रमुख को नहीं बुलाया गया। लेकिन इसका हमें मलाल नहीं है क्योंकि हम हमेशा ही देश और महाराष्ट्र की तरक्की को लेकर अपना बड़ा दिल रखते आए हैं। इसके अलावा इस संपादकीय में पीएम माेदी की यह कहकर प्रशंसा की गई है कि उन्होंने इसकी शुरुआत मुंबई से की यह काफी अच्छी बात है। इसके अलावा उन्होंने मेंक इन महाराष्ट्र का भी नारा दिया है उसके लिए भी उन्होंने पीएम मोदी की प्रशंसा की है।
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शिवसेना ने इस संपादकीय के जरिए अपने दर्द को बयां करने के अलावा शिवसेना प्रमुख को इस दौरान आयोजित डिनर में न बुलाने पर सवाल पूछने वालों पर भी जमकर प्रहार किया है। पार्टी का कहना है कि जहां देश के विकास की बात हो वहां पर शिवसेना के लिए यह बात मायने ही नहीं रखती है। शिवसेना का कहना है कि आज तक मुंबई ने देश को काफी कुछ दिया है इसके बाद भी मुंबई काे वह दर्जा नहीं मिला जो उसको मिलना चाहिए।
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संपादकीय में मुंबई में काम करने वाले मजदूरों को और अधिक सुविधाएं दिए जाने की मांग भी की गई है। इसके अलावा इस बात के लिए आगाह भी किया गया है कि बाहरी निवेश आने पर कहीं देश के इन मजदूरों का कीड़े मकोड़ों की तरह कुचल न दिया जाए। अखबार के संपादकीय में गुजरात की सीएम आनंदीबेन की आलोचना करते हुए कहा गया है कि वह यहां आती हैं और कहती हैं कि यहां छोड़ कर गुजरात में अपना व्यापार शुरू करें, जो की गलत है।
पत्र लिखता है कि महाराष्ट्र के सीएम के विदेशी दौरों से महाराष्ट्र को कोई लाभ नहीं हुआ, ऐसे में इस वीक के दौरान यहां आने वाले आठ हजार विदेशी मेहमान कितना देकर जाएंगे इस पर भी सवाल है। अपने मुखपत्र के संपादकीय में कहा है कि मेक इन इंडिया का दूसरा पहलू विदर्भ में पिछले वर्ष हजारों की किसानों द्वारा की गई आत्महत्या है। विदेशी निवेश के जरिए घरेलू उद्योग और मजदूरों पर होने वाले नुकसान को लेकर पार्टी ने सरकार को चेताया है।
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