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    शीला की सक्रियता, सूबे का कांग्रेसी नेतृत्व बेचैन

    By Rajesh NiranjanEdited By:
    Updated: Thu, 30 Oct 2014 08:39 AM (IST)

    केरल के राज्यपाल पद से इस्तीफा देकर दिल्ली लौटीं सूबे की पूर्व मुख्यमंत्री शीला दीक्षित को कांग्रेस ने पार्टी में भले कोई महत्वपूर्ण ओहदा नहीं

    नई दिल्ली, राज्य ब्यूरो। केरल के राज्यपाल पद से इस्तीफा देकर दिल्ली लौटीं सूबे की पूर्व मुख्यमंत्री शीला दीक्षित को कांग्रेस ने पार्टी में भले कोई महत्वपूर्ण ओहदा नहीं दिया हो लेकिन अपने बयानों को लेकर वह लगातार सुर्खियों में हैं। उनकी सक्रियता सूबे के कांग्रेसी नेतृत्व के लिए बेचैनी का सबब बनी हुई है।

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    केरल से आने के तुरंत बाद उन्होंने दिल्ली में भाजपा द्वारा सरकार बनाए जाने की पुरजोर वकालत कर कांग्रेसी रणनीतिकारों को मुसीबत में डाल दिया था। हाल ही में उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की तारीफ कर, कांग्रेस नेताओं को असहज कर दिया। दीक्षित ने अब यह भी कहा है कि वह विधानसभा चुनाव नहीं लडऩा चाहतीं और न ही वह दिल्ली में कांग्रेस का नेतृत्व करने जा रही हैं। हालांकि, उनहोंने यह भी कहा कि उनके मामले में फैसला पार्टी को ही लेना है। जब दीक्षित द्वारा सूबे में भाजपा द्वारा सरकार बनाए जाने की कोशिशों का समर्थन किया गया तो प्रदेश कांग्रेस ने उनके इस बयान को सिरे से खारिज करते हुए कहा था कि यह उनका व्यक्तिगत बयान है, पार्टी इससे बिलकुल सहमत नहीं है। बाद में दीक्षित ने यह कहा था कि उनका मतलब यह था कि यदि भाजपा के पास बहुमत हो तो वह सरकार बना ले।

    कांग्रेस के जानकार सूत्रों का कहना है कि यदि दिल्ली में विधानसभा चुनाव कराने की स्थिति आई तो पार्टी दीक्षित के नेतृत्व में चुनाव नहीं लड़ेगी। उनका कहना था कि पार्टी हाईकमान प्रदेश अध्यक्ष अरविंदर सिंह लवली के प्रदर्शन से संतुष्ट है और सत्ता में वापसी के लिए किसी जल्दबाजी में नहीं है।

    इस बीच कांग्रेसी नेताओं ने अंदरखाने पूर्व मुख्यमंत्री दीक्षित के खिलाफ जोरदार अभियान भी चला रखा है। पार्टी के पूर्व विधायक भीष्म शर्मा ने दीक्षित द्वारा प्रधानमंत्री मोदी की तारीफ किए जाने पर कड़ी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा कि वे पार्टी अध्यक्ष सोनिया गांधी व राहुल गांधी से मांग करेंगे कि दीक्षित के खिलाफ कड़ी कार्रवाई हो क्योंकि वह दिल्ली में कांग्रेस को कमजोर करने का काम कर रही हैं।

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