राष्ट्रपति शासन हमेशा के लिए नहीं: सुप्रीम कोर्ट
दिल्ली में नई सरकार के गठन को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने बड़ा सवाल किया है। 'आप' की याचिका पर सुनवाई करते हुए कोर्ट ने केंद्र से पूछा है कि क्या भाजपा के पास दिल्ली में सरकार बनाने के लिए पर्याप्त नंबर है? कोर्ट ने यह भी जानना चाहा कि क्या भाजपा इस स्थिति में है कि वह राजधानी में एक स्थायी सरकार दे सके?
नई दिल्ली। दिल्ली में नई सरकार के गठन को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने बड़ा सवाल किया है। 'आप' की याचिका पर सुनवाई करते हुए कोर्ट ने केंद्र से पूछा है कि क्या भाजपा के पास दिल्ली में सरकार बनाने के लिए पर्याप्त नंबर है? कोर्ट ने यह भी जानना चाहा कि क्या भाजपा इस स्थिति में है कि वह राजधानी में एक स्थायी सरकार दे सके? कोर्ट ने सुनवाई के दौरान यह भी टिप्पणी की कि भले ही राष्ट्रपति ने इस बाबत सबसे बड़े दल को सरकार बनाने की अनुमति दी हो लेकिन यह कोर्ट केजरीवाल की इस याचिका पर मेरिट के आधार पर सुनवाई कर रही है। सुप्रीम कोर्ट का कहना है कि राष्ट्रपति की सरकार गठन के लिए अनुमति मिलने के बावजूद आप की याचिका पर सुनवाई जारी रहेगी। अब इस मामले में गुरुवार यानि 30 अक्टूबर को सुनवाई होनी है।
एलजी को कोर्ट की फटकार
कोर्ट ने सुनवाई के दौरान दिल्ली के उपराज्यपाल नजीब जंग को भी फैसला लेने में हुई देरी पर फटकार लगाई है। सुनवाई के दौरान कोर्ट ने कहा कि यदि भाजपा को ही सरकार बनाने का न्योता देना था तो एलजी ने इसमें इतनी देरी क्यों लगाई? खंडपीठ ने टिप्पणी करते हुए कहा कि लोकतंत्र में राष्ट्रपति शासन एक निश्चित अवधि के लिए होता है न कि हमेशा के लिए। इस पर एलजी के वकील का कहना था कि सरकार के लिए दिशा-निर्देश देना सुप्रीम कोर्ट के अधिकार क्षेत्र में नहीं आता है।
केंद्र की दलील
केंद्र सरकार ने कोर्ट में बताया की राष्ट्रपति ने उपराज्यपाल की सलाह पर सहमति दी है। उप-राज्यपाल ने सबसे बड़ी पार्टी को दिल्ली में सरकार बनाने के लिए न्यौता देने की सलाह दी थी। आम आदमी पार्टी ने उप-राज्यपाल की सलाह का विरोध करते हुए कहा कि भाजपा के पास आवश्यक संख्या नहीं है और अगर उन्हें सरकार बनाने के लिए न्यौता दिया जाता है तो भी वे बहुमत साबित नहीं कर पायेंगे।
सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई के दौरान केंद्र सरकार पर नाराजगी भी जाहिर की और कहा की 5 महीने बीत जाने के बाद भी ऐसा कुछ नहीं लग रहा है कि केंद्र सरकार दिल्ली में सरकार बनाने के लिए कोई उपयुक्त कदम उठा रही है। कोर्ट ने सुनवाई के दौरान कहा कि लोकतंत्र में जनता को एक चुनी हुई संवैधानिक सरकार का हक है और अगर उन्हें एक संवैधानिक सरकार नहीं मिलती है तो ये उनके संवैधानिक अधिकारों का हनन है।
लेकिन सबसे बड़ा सवाल अभी भी कायम है की क्या संवैधानिक दायरे में कोर्ट उप-राज्यपाल को विधानसभा भंग कर फिर से चुनाव कराने के निर्देश दे सकती है या नहीं। सुप्रीम कोर्ट ने ये भी सवाल उठाया की न्यौते के बाद भाजपा बहुमत कैसे हासिल करेगी। फिलहाल संवैधानिक पीठ के सामने इस सवाल पर बहस जारी है कि क्या सुप्रीम कोर्ट राज्यपाल या राष्ट्रपति को इस मुद्दे पर कोई निर्देश दे सकती है या नहीं।
भाजपा ने किया 'गेम प्लान' तैयार
इस मामले में आज हुई सुनवाई के दौरान कोर्ट का कड़ा रुख केजरीवाल के हक में जाता दिखाई दिया। आप की तरफ से पेश हुए प्रशांत भूषण ने कहा कि सुनवाई को रोकने के लिए भाजपा ने यह गेम प्लान किया है। उनका आरोप था कि पिछले छह माह से भाजपा सरकार बनाने के लिए हर तरह के हथकंडे अपना रही है।
भूषण ने कहा कि केंद्र सरकार जानबूझकर दिल्ली में चुनाव नहीं करवाना चाहती है। वह राष्ट्रपति शासन की आड़ में दिल्ली पर अप्रत्यक्ष रूप से शासन करने की मंशा रखती है। उन्होंने कहा कि बिना खरीद-फरोख्त के दिल्ली में सरकार बनाना संभव नहीं है। लिहाजा विधानसभा भंग करके दिल्ली में नए सिरे से चुनाव कराने का कोर्ट आदेश दे।
भाजपा की 'डर्टी पॉलिटिक्स'
दिल्ली में सरकार बनाने का रास्ता साफ होने के बाद से आम आदमी पार्टी तिलमिला गई है। 'आप' के राष्ट्रीय संयोजक अरविंद केजरीवाल ने कहा है कि भाजपा इसके पीछे 'डर्टी पॉलिटिक्स' कर रही है। उन्होंने एक बार फिर से भाजपा पर 'आप' विधायकों की खरीद-फरोख्त की कोशिश करने का आरोप लगाया है।
दिल्ली में हों दोबारा चुनाव
केजरीवाल का कहना है कि केंद्र सरकार को दिल्ली विधानसभा भंग कर दोबारा चुनाव कराना चाहिए। उनका आरोप है कि भाजपा अपनी हार से बचने के लिए ही यह हथकंडे अपना रही है। वहीं दूसरी ओर लक्ष्मीनगर से विधायक विनोद कुमार बिन्नी ने कहा है कि दिल्ली में दोबारा से चुनाव करवाए जाने चाहिए।
बीच मझधार में छोड़ गए केजरीवाल
केजरीवाल के बयान की आलोचना करते हुए भाजपा के प्रवक्ता संबित पात्रा ने कहा है कि दिल्ली में जनता ने 'आप' को सरकार बनाने का मौका दिया था, लेकिन सीएम से पीएम बनने की जल्दी में केजरीवाल ने यह मौका गंवा दिया और जनता को मझधार में छोड़ दिया। लिहाजा अब उन्हें ऐसी बातें नहीं करनी चाहिए।
एलजी कर रहे दवाब में काम
दिल्ली में सरकार के गठन के लिए भाजपा को न्योता दिए जाने की खबर मीडिया में आने के बाद कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष जेपी अग्रवाल ने इस मुद्दे पर उपराज्यपाल की आलोचना की है। उन्होंने कहा कि इस कदम से भाजपा को फिर से खरीद फरोख्त का मौका मिल जाएगा। उन्होंने आरोप लगाया कि एलजी के ऊपर दवाब है जिसकी वजह से वह इस तरह से काम कर रहे हैं। भाजपा के पास बहुमत के लिए नंबरों की कमी है तो फिर आखिर क्यों एलजी इस तरह का कदम उठा रहे हैं। आखिर भाजपा विधानसभा में अपना बहुमत सिद्ध कैसे करेगी।
कोर्ट की टिप्पणी
-लोकतंत्र में हमेशा के लिए नहीं रह सकता राष्ट्रपति शासन।
-बहुत समय दिया जा चुका। अब और नहीं दिया जा सकता। अगर वह फैसला नहीं कर सकती तो कोर्ट फैसला करेगा।
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