सेना प्रमुख की नियुक्ति में वरिष्ठता ही पैमाना नहीं: रक्षामंत्री
सेना प्रमुख के चयन में सभी प्रक्रियाओं का पालन किया गया और वरिष्ठता ही एकमात्र पैमाना नहीं।
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। नए सेना प्रमुख की नियुक्ति में वरिष्ठता के विवाद को खारिज करते हुए रक्षामंत्री मनोहर पार्रीकर ने कहा है कि आर्मी चीफ की नियुक्ति में किसी नियम-कायदे की अनदेखी नहीं की गई है। जनरल बिपिन रावत के नए सेना प्रमुख के रुप में कमान संभालने के बाद इस विवाद पर अपनी चुप्पी तोड़ते हुए रक्षामंत्री ने कहा कि ऐसा नहीं है वरिष्ठता को लेकर कोई सिद्धांत लिखा हुआ। उन्होंने साफ कहा कि सेना प्रमुख के चयन में सभी प्रक्रियाओं का पालन किया गया और वरिष्ठता ही एकमात्र पैमाना नहीं।
मनोहर पार्रीकर ने रक्षा मंत्रालय में अपने दो साल के कामकाज का ब्यौरा सामने रखने के दौरान सवालों के जवाब में नियुक्ति को लेकर वरिष्ठता के विवाद को सरकार की तरफ से पूर्ण विराम देने की कोशिश की। उन्होंने कहा कि सेना प्रमुख की नियुक्ति की दौड़ में शामिल तीनों ही उम्मीदवार काफी अच्छे थे। इसीलिए नियुक्ति में समय भी लगा। रक्षामंत्री ने कहा कि सेना प्रमुख की चयन प्रक्रिया के नियम में यह कहीं नहीं कहा गया कि वरिष्ठता ही पैमाना होगा। यदि ऐसा होता तो फिर यह कंप्यूटर आधारित एक तकनीकी प्रक्रिया हो जाएगी। ऐसे में उम्मीदवारों का आकलन करने, आईबी से रिपोर्ट मंगवाने और फिर दूसरे तमाम आधार देखने की जरूरत ही क्या रह जाएगी। रक्षामंत्री ने कहा कि यदि वरिष्ठता ही पैमाना रहता तो फिर जन्म तिथि ही सेना प्रमुख बनने का आधार बनेगी। उन्होंने कहा कि इससे साफ है कि सेना प्रमुख के चयन में किसी प्रक्रिया की अवहेलना नहीं की गई है। रक्षामंत्री ने इस बात पर भी खुशी जताई कि विवादों के बावजूद नए सेना प्रमुख के कमान संभालने के बाद सेना में सब कुछ ठीक है।
रक्षा मंत्रालय की कमान संभालने के बाद अपनी उपलब्धियां गिनाते हुए पार्रीकर ने सैनिकों को ओआरओपी देने को अहम बताया। साथ ही कहा कि अभी तक 19 लाख 70 हजार से अधिक पूर्व सैनिकों को ओआरओपी का लाभ दिया जा चुका है। इसके तहत पेंशन के बाकी तमाम मामलों का निपटारा इसी महीने तक कर दिया जाएगा।
सेना के पास गोला-बारुद की कमी के मुद्दे पर रक्षामंत्री ने कहा कि हथियारों के उत्पादन की क्षमता इस साल हमने बढ़ाई है। सेना को इस बात के पूरे अधिकार दिए गए हैं कि अगर आयुध की कमी है तो वह इसकी खरीद करे। वहीं बुलेट प्रूफ जैकेटों की कमी को लेकर पर्रीकर ने कहा कि इसकी कोई कमी नहीं है। साथ ही सेना को अब सीधे कमी की स्थिति में खरीदने का अधिकार दे दिया गया है। चंडीगढ की डीआरडीओ लैब ने भी बुलेट प्रूफ जैकेट बनाने की दिशा में अहम योगदान किया है।
सैनिकों को आयुध के साथ रायफल्स की जरूरतों पर रक्षामंत्री ने कहा कि स्पेशल फोर्सेज को फास्ट ट्रैक प्रक्रिया के तहत इसकी खरीद की अनुमति दी जा चुकी है। इसी तरह नए रायफलों के लिए आर्डिनेंस फैक्ट्री बोर्ड को डिजाइन तैयार करने के लिए चार महीने का समय दिया गया है। उन्होंने कहा कि इसमें विलंब होगा तो फिर फास्ट ट्रैक प्रक्रिया के तहत खरीद की जाएगी। उन्होंने बताया कि इस साल करबी 95000 करोड रुपए की रक्षा खरीद को मंजूरी दी गई है जिसमें काफी मेक इन इंडिया की शर्तो के तहत है।
वायुसेना को मध्यम श्रेणी के लड़ाकू विमानों की जरूरत पर रक्षामंत्री ने कहा कि तेजस का निर्माण हम तेजी से कर रहे हैं। इसके लिए हम रणनीतिक साझेदारी का मॉडल अपनाएंगे और इसकी रूपरेखा तय होने वाली है। उन्होंने कहा कि सुखोई विमानों की उपलब्धता भी पहले के 45 फीसद से बढ़कर 64 फीसद हो गई है। रक्षामंत्री ने भारत की अंतरमहाद्वीपीय बेमिसाल अग्नि-5 मिसाइल के परीक्षण पर कहा कि यह शत प्रतिशत कामयाब रहा है। हालांकि इस मिसाइल के परीक्षण पर चीन के एतराज को लेकर पार्रीकर ने कुछ भी कहने से मना कर दिया। कश्मीर में सेना के कैंपों पर हुए आतंकी हमलों के बारे में रक्षामंत्री ने कहा कि इन सबकी रिपोर्ट उन्होंने मंगवाई है।
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