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    EU के मुद्दे पर ब्रिटेन में दूसरी बार होगा जनमत संग्रह, जानें कारण

    ब्रिटेन में गुरुवार को दूसरी बार ईयू में बने रहने या फिर बाहर जाने को लेकर जनमतसंग्रह होना है। पहली बार वर्ष वर्ष 1975 में इसी मुद्दे पर जनमतसंग्रह हुआ था।

    By Kamal VermaEdited By: Updated: Tue, 21 Jun 2016 09:04 PM (IST)

    नई दिल्ली (जेएनएन)। ब्रिटेन में दो दिन बाद होने वाले जनमत संग्रह में यह तय हो जाएगा कि ब्रिटेेन यूरोपियन यूनियन में रहेगा या नहीं। ब्रिटेन के ईयू में बने रहने या बाहर रहने पर पहले भी जनमतसंग्रह हो चुका हैै। लिहाजा यह दूसरा मौका होगा जब ब्रिटेन के लोग इसके लिए वोट करेंगे।

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    पहली बार वर्ष 1975 में ब्रिटेन के ईयू में बने रहने या बाहर जाने को लेकर जनमतसंग्रह हुआ था। उस वक्त तत्कालीन प्रधानमंत्री हेरल्ड विल्सन ने जनमत संग्रह करवाया था। इसमें करीब 67 फीसद लोगों ने ईयू में बने रहने के लिए वोट किया था। गुरुवार को दूसरी बार इसी मुद्दे पर जनमत संग्रह होगा।

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    वर्ष 1957 में छह देशों के सहयोग से यूरोपियन यूनियन अस्तित्व में आया था। इसके बाद 1973 में इसमें ब्रिटेन भी शामिल हो गया। आज इसमें करीब 28 देश शामिल हैं। ब्रिटेन में इस जनमत संग्रह को लेकर प्रचार जोर-शोर से हो रहा हैै। हालांकि ब्रिटेन की महिला सांसद जो कॉक्स की हत्या के बाद कुछ दिनों के लिए यह प्रचार रोक दिया गया था। लेकिन अब यह फिर शुरू हो चुका है। ब्रिटेन के ईयू में रहने या फिर बाहर जाने पर जनमत संग्रह करवाने की कुछ खास वजह हैं।

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    प्रवासियों की समस्या

    अन्य देशों से ब्रिटेन में आने वाले लोग इसकी सबसे बड़ी वजह बनी है। दरअसल ईयू में कुछ गरीब देश भी शामिल हैं, जिस वजह से लोग दूसरे देश खासतौर पर ब्रिटेन की ओर रुख करते हैं। ईयू में रहने के चलते कुछ विशेष छूट का फायदा इन लोगों को मिलता है लिहाजा काफी संख्या में लोग इसकी ओर रुख करते हैं। यही वजह है कि ब्रिटेन के अपने संसाधनों का इस्तेमाल अपने लोगों के लिए कम हो पाता है। इसको रोकने के लिए कई लोग ब्रिटेन के ईयू से बाहर जाने के पक्षधर हैं। इस पलायन और दूसरे देशों से आने वाले लोगों पर ब्रिटेन की अच्छी खासी रकम खर्च होती है।

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    सुरक्षा का खतरा

    अधिक संख्या में ब्रिटेन में आने वाले प्रवासियों को देखते हुए यहां की सुरक्षा पर हर वक्त खतरा मंडराता रहता है। मौजूदा समय में बढ़ते आतंकवादी हमलों को देखते हुए यह खतरा और बढ़़ गया है। ईयू से बाहर जाने का समर्थन करने वाले मानते हैं कि यदि ब्रिटेन इस पर लगाम नहीं लगाता है तो उसको गंभीर परिणामों से दो-चार होना पड़ेगा।

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    रोजगार का संकट

    ब्रिटेेन में आ रहे प्रवासियों के चलते यहां के अपने लोगों और युवाओं पर बेरोजगारी का संकट सिर उठाए खड़ा है। आने वाले समय में ब्रिटेन को बेरोजगारी का बड़े पैमाने पर सामना करना पड़ सकता हैै। ईयू से बाहर रहने का समर्थन करने वालों का मानना है कि ऐसा करने पर ब्रिटेन में रोजगार बढ़ेगा।

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    व्यापार

    मौजूदा समय में ब्रिटेेन का करीब 45 फीसद व्यापार सिर्फ ईयू से ही होता है। लेकिन अब ईयू से बाहर जाने का समर्थन करने वालों का कहना है कि आज ईयू को ब्रिटेन की मार्किट की जरूरत है न कि उन्हें। वहीं ईयू में बने रहने पर ब्रिटेन को कई तरह की छूट भी मिलती है।

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