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    NSG की बैठक से ठीक एक दिन पहले शी जिनपिंग से मिलेंगे मोदी, मांगेंगे सपोर्ट

    एनएसजी ग्रुप की बैठक से ठीक एक दिन पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी चीन के राष्‍ट्रपति से ताशकंद में मुलाकात कर इस मुद्दे पर उनसे समर्थन मांगेगे।

    By Kamal VermaEdited By: Updated: Tue, 21 Jun 2016 07:30 PM (IST)

    नई दिल्ली। एनएसजी में शामिल होने के लिए भारत चीन को साधने में लगा हुआ है। हालांकि चीन ने भी अपना रुख अभी तक साफ नहीं किया है। हालांकि वह यह जरूर कह रहा हैै कि जो छूट इस विषय पर भारत को मिल रही है वही छूट पाकिस्तान को भी मिलनी चाहिए। वहीं दूसरी ओर यह भी साफ हो गया है कि भारत के लिए अभी एनएसजी में शामिल होने के लिए दरवाजे पूरी तरह से बंंद नहीं हुए हैं।

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    बिजनेस स्टैंडर्ड की खबर के मुताबिक एनएसजी की बैठक 24 जून को होनी है और इससे एक दिन पहले इसी मुद्दे पर भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी चीन के राष्ट्रपति जिनपिंग से उजबेकिस्तान की राजधानी ताशकंद में मुलाकात करेंगे। वह यहां शंघाई कार्पोरेशन ऑर्गेनाइजेशन समिट के दौरान उनसे मुलाकात करेंगे।

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    इससे पहले 9 जून को एनएसजी की बैठक वियना में हुई थी जिसमें इसमें भारत की अर्जी को मंजूर करते हुए इस ग्रुप की सदस्यता देने पर विचार विमर्श किया गया था। लेकिन चीन ने यहां पर भारत का दूसरे तरीके से विरोध किया। उसका कहना था कि पहले यह ग्रुप उन देशों से भी भारत की सदस्यता के मुद्दे पर विचार करे जिन्होंने अभी तक भी परमाणु अप्रसार संधि यानि एनपीटी पर साइन नहीं किए हैं।

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    वहीं दूसरी और एनएसजी का सदस्य देश अर्जेंंटीना भी भारत की सदस्यता को लेकर कई दूसरे देशोंं से विचार विमर्श करने में लगा हुआ है। गौरतलब है कि एनएसजी के करीब 48 सदस्यों में से करीब 29 देश भारत को सदस्यता देने के समर्थन में हैं। भारत को इस ग्रुप की सदस्यता देने को लेकर सियोल की बैठक में भी विचार विमर्श होगा।

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    मीडिया रिपोर्ट की मानें तो चीन के विदेश मंत्रालय का कहना है कि यह देखना होगा कि क्या इस ग्रुप में शामिल 48 देश एनपीटी साइन न करने वाले किसी देश को इसकी सदस्यता देने के लिए नियमों को बदल सकते हैं या नहीं। वहीं चीन के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता के मुताबिक उन्होंने अभी तक अमेरिका द्वारा इस मुद्दे पर भारत का सपोर्ट करने के दस्तावेजों को नहीं देखा है। उनके मुताबिक अमेरिका ने ही यह नियम बनाया था कि एनपीटी साइन न करने वाले देश इस ग्रुुप का हिस्सा नहीं बन सकते हैं।