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    राष्ट्रपति शासन के खिलाफ 'आप' की याचिका पर सुनवाई सोमवार को

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    Updated: Fri, 21 Feb 2014 12:49 PM (IST)

    सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली विधानसभा को भंग कर लोकसभा चुनाव के साथ दिल्ली में चुनाव कराने की मांग करने वाली आप आदमी पार्टी [आप] की याचिका को सुनवाई के लिए स्वीकार कर लिया है। इस पर 24 फरवरी को सुनवाई होगी। 'आप' द्वारा यह याचिका दिल्ली के गवर्नर नजीब जंग के उस फैसले के खिलाफ डाली गई है जिसमें उन्होंने अरविंद केजरीवाल की विधानसभा भंग करने की मांग को ठुकराते हुए इसको निलंबित रखने का फैसला किया था।

    नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली विधानसभा को भंग कर लोकसभा चुनाव के साथ दिल्ली में चुनाव कराने की मांग करने वाली आप आदमी पार्टी [आप] की याचिका को सुनवाई के लिए स्वीकार कर लिया है। इस पर 24 फरवरी को सुनवाई होगी। 'आप' द्वारा यह याचिका दिल्ली के गवर्नर नजीब जंग के उस फैसले के खिलाफ डाली गई है जिसमें उन्होंने अरविंद केजरीवाल की विधानसभा भंग करने की मांग को ठुकराते हुए इसको निलंबित रखने का फैसला किया था।

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    इस बीच दिल्ली हाईकोर्ट ने आप को झटका देते हुए उनकी सरकार द्वारा जारी उस आदेश पर रोक लगा दी है जिसमें अरविंद केजरीवाल ने दिल्ली का मुख्यमंत्री रहते हुए बिजली बिलों में पचास फीसद की छूट का ऐलान किया था। यह छूट उन्हें दी गई थी जो केजरीवाल द्वारा चलाए गए बिजली के संघर्ष में शामिल थे और जिन्होंने उनके कहने पर बिलों का भुगतान नहीं किया था।

    दिल्ली के पूर्व मुख्यमंत्री ने शुक्रवार को एक प्रेस कांफ्रेंस के दौरान आरोप लगाया कि यह सब सोची समझी रणनीति के तहत किया जा रहा है, जिससे भाजपा को विधायकों की खरीद फरोख्त का वक्त मिल जाए। उन्होंने आरोप लगाया कि मौजूदा समय में लोकसभा चुनाव के मद्देनजर भाजपा अपनी छवि सुधारने की कोशिश का दिखावा कर रही है। इस वजह से वह विधायकों की खरीद फरोख्त नहीं कर पा रही है। लेकिन यदि गवर्नर का फैसला नहीं बदलता है तो लोकसभा चुनाव के बाद उन्हें पूरी छूट मिल जाएगी और वह ऐसा कर अपनी सरकार बनाने की पूरी कोशिश करेगी। प्रेस कांफ्रेंस में उन्होंने दिल्ली में तुरंत चुनाव कराए जाने की एक बार फिर से मांग दोहराई।

    सुप्रीम कोर्ट में विधानसभा को निलंबित रखने के फैसले को कानूनी रूप से गलत करार देते हुए आम आदमी पार्टी ने आग्रह किया है कि वह केंद्र सरकार को विधानसभा भंग करने और चुनाव करवाने का निर्देश दे। गौरतलब है कि 14 फरवरी को मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने अपने इस्तीफे के साथ ही उपराज्यपाल के पास विधानसभा भंग करने का भी प्रस्ताव भेजा था। लेकिन केजरीवाल को ठुकराते हुए 16 फरवरी को दिल्ली में राष्ट्रपति शासन का आदेश जारी कर दिया गया।

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    याचिका में कहा गया है कि संविधान के अनुसार उपराज्यपाल मंत्रिमंडल की अनुशंसा पर काम करते हैं। केजरीवाल सरकार ने जब विधानसभा भंग करने का फैसला लिया तो सरकार के पास बहुमत था। जन लोकपाल विधेयक गिरने के बावजूद दो अन्य विधेयक बहुमत से पारित किए गए थे। लेकिन विधानसभा निलंबित कर चुनाव टाल दिया गया है। याचिका में खुल कर केंद्र सरकार पर आरोप लगाए गए।

    याचिका में कहा गया है कि विधानसभा चुनाव में बुरी तरह पराजित कांग्रेस अब परोक्ष रूप से दिल्ली पर शासन करना चाहती है। कांग्रेस के कई नेता जांच के दायरे में हैं। उसे भी दबाने की कोशिश हो रही है। यही कारण है कि अब सरकार गठन के लिए कोई संभावना न होने के बावजूद चुनाव को टालने की कोशिश हो रही है। आप ने कहा कि लोकसभा चुनाव निकट है और उसके साथ दिल्ली विधानसभा चुनाव भी होते हैं तो कई खर्चो से बचा जा सकता है।