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    बच्चों को लेकर समग्र नीतियों के लिए हो एकल एजेंसी

    By Sudhir JhaEdited By:
    Updated: Sun, 20 Sep 2015 06:43 PM (IST)

    नोबेल पुरस्कार विजेता कैलाश सत्यार्थी ने बच्चों को लेकर समग्र नीतियां विकसित करने के लिए एक अंतरराष्ट्रीय कल्याणकारी एजेंसी की जरूरत पर जोर दिया है। उन्होंने वैश्विक और घरेलू स्तर पर कई संगठनों के साथ काम करने को भयावह अनुभव बताया है।

    नई दिल्ली। नोबेल पुरस्कार विजेता कैलाश सत्यार्थी ने बच्चों को लेकर समग्र नीतियां विकसित करने के लिए एक अंतरराष्ट्रीय कल्याणकारी एजेंसी की जरूरत पर जोर दिया है। उन्होंने वैश्विक और घरेलू स्तर पर कई संगठनों के साथ काम करने को भयावह अनुभव बताया है।

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    पढ़ेंः 14 साल तक के बच्चों को बाल मजदूरी से रोका जाएः सत्यार्थी

    सत्यार्थी ने यूरोपीय शरणार्थी संकट को आपातकाल करार दिया है। उन्होंने क्षेत्र के देशों से अपील की कि वे इस संकट से निपटने के लिए 'अपने दिल और दिमाग' को खोलें क्योंकि बच्चे इससे सबसे ज्यादा प्रभावित हैं। सत्यार्थी का यह बयान आगामी 26 सितंबर को संयुक्त राष्ट्र में सतत विकास लक्ष्यों पर विशेष शिखर बैठक में उनके संबोधन से पहले आया है।

    सत्यार्थी ने कहा कि वैश्विक स्तर पर बच्चों को लेकर कोई समग्र नीति वाली सोच नहीं है। संयुक्त राष्ट्र की विभिन्न एजेंसियां विभिन्न मुद्दों का काम देखती हैं। स्वास्थ्य को कोई देख रहा है, बाल मजदूरी की जिम्मेदारी आइएलओ के पास है और यूनेस्को शिक्षा पर प्रमुख एजेंसी है। इन एजेंसियों के पास बहुत काम हैं। अगर हम गुलाम बनाई गई, तस्करी, दुष्कर्म की शिकार किसी लड़की को मुक्त कराते हैं तो नौ विभिन्न एजेंसियों के साथ निपटना होता है। हम उनके साथ कैसे समन्वय बनाएं, उनके साथ कैसे काम करें, यह अब भी एक भयावह अनुभव है। बाल अधिकार कार्यकर्ता सत्यार्थी ने कहा कि बच्चों के लिए इस तरह की एकल एजेंसी के गठन की मांग बहुत लंबे समय से की जा रही है। हमारा संगठन इस मुद्दे को उठाना चाहता है।

    सत्यार्थी ने कहा कि 'हाशिए पर मौजूद' बच्चों से जुड़े नेक मकसद का चैंपियन बनने के लिए 10 करोड़ युवाओं को जोड़ने की उनकी योजना है। उन्होंने कहा कि युवाओं को इस मकसद में शामिल करना जरूरी है क्योंकि सकारात्मक मार्ग में खुद को साबित करने का अवसर नहीं मिलने पर वे हिंसा की ओर बढ़ रहे हैं।

    'बाढ़ के चलते असम से होती है मानव तस्करी'

    नई दिल्ली। कैलाश सत्यार्थी ने असम को मानव तस्करी के रैकेट का मूल और पारगमन स्थान बताया है। उन्होंने हर साल वहां बाढ़ से होने वाले विध्वंस को इसका कारण माना है। उन्होंने कहा कि दिल्ली और एनसीआर में असम से बच्चों को लाकर घरेलू नौकर बनाया जाता है। जिनको काम नहीं मिल पाता, उन्हें जबरन वेश्यावृत्ति या भीख मांगने में लगाया जाता है। उन्होंने बताया कि अरुणाचल प्रदेश और मेघालय से बच्चों को असम लाकर दूसरे स्थानों पर भेजा जाता है। कोलकाता और मुंबई स्थित मानव तस्करी के रैकेट इन दो राज्यों से जुड़े हैं। सत्यार्थी ने असम सरकार से राज्य से मानव तस्करी को रोकने का आग्रह किया।

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