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    'कैसे काटूंगी पहाड़ सी जिंदगी'

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    Updated: Mon, 16 Sep 2013 10:02 AM (IST)

    सचिन की हत्या के दिन से ही स्वाति ने मौन साध रखा था। घूंघट में छिपा चेहरा और बस सिसकी की आहट। लेकिन आज मुख्यमंत्री के दौरे ने स्वाति की झिझक को भी तोड़ ...और पढ़ें

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    रवि प्रकाश तिवारी, मुजफ्फरनगर। सचिन की हत्या के दिन से ही स्वाति ने मौन साध रखा था। घूंघट में छिपा चेहरा और बस सिसकी की आहट। लेकिन आज मुख्यमंत्री के दौरे ने स्वाति की झिझक को भी तोड़ा और इंसाफ के लिए पल्लू उठाकर बोली, मुझे नौकरी या मुआवजे का लालच नहीं है। मुझ इंसाफ चाहिए। इंसाफ तभी होगा, जब मेरे पति के निर्मम हत्यारों को फांसी की सजा होगी।

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    स्वाति की स्थिति पर मुख्यमंत्री भी आंगन में मौजूद महिलाओं से बार-बार यही कहते सुने गए कि स्वाति का ख्याल रखिए। उसे समझाइए आदि। परंपरा की मान-मर्यादा रखने वाली स्वाति ने निजाम को अपने आंगन में पाया तो घूंघट में छिपकर फफककर रोने लगी, लेकिन तभी मानो उसे झटका लगा। मुख्यमंत्री गौरव के घर को मुड़े ही थे कि हक और इंसाफ की खातिर स्वाति ने वह बेड़ियां काट डाली, जिसे वह अपना श्रृंगार मानती थी। शायद अब उसे ज्ञान हो गया था कि बगैर सुहाग के श्रृंगार कैसा?

    फिर भी सभ्यता की एक दहलीज को मानते हुए चौखट में रहकर ही बोलने लगी-'जिन दरिंदों ने मेरे बेटे को बिना बाप का कर दिया है। उसका इंसाफ केवल उनकी फांसी से ही होगा, लेकिन वे छुट्टे घूम रहे हैं। मैं कहां जाऊं, अभी बेटे ने तो पापा ही बोलना सीखा था कि उसके पापा को छीन लिया। कैसे पहाड़ सी जिंदगी काटूंगी।

    एक-एक मिनट पर बेटा पूछता है, पापा कहां है, कोई बताए क्या जवाब दूं'। इसके बाद फिर आंखों में उफनता आंसुओं का सैलाब स्वाति की पीड़ा को बता देता है। समूचे आंगन में लोगों की भीड़ रहते हुए भी पूरा माहौल कुछ देर के लिए स्तब्ध हो जाता है और अगले ही पल फिर घूंघट में फफकती, स्वाति कमरे में चली जाती है।

    सूनी गोद का कोई मोल नहीं होता

    सचिन के साथ ही गौरव की भी हत्या हुई है। गौरव की मां सुरेंद्र भी कहती हैं कि उनके बेटे की भरपायी नहीं हो सकती। उन्होंने कहा कि भले ही सरकार उनके घर चलकर आई हो, लेकिन उनके घर में कोई रौनक नहीं है। क्योंकि आज उनकी गोद सूनी है। जिगर का टुकड़ा अनंत में लीन हो गया है। वे कहती हैं कि अगर सीएम उन्हें राज भी सौंप दें तो उनका दर्द कम नहीं होगा।

    तो क्या मुआवजा लेते रहो, सहते रहो

    मुख्यमंत्री के दौरे के बाद सचिन की मां मुनेश ने कहा कि जिस तरह से उनके बेटे की मौत पर आज सरकार मुआवजा बांटने की बात कर रही है, सरकारी नौकरी की घोषणा कर रही है उससे उनका कोई लेना देना नहीं है। भरे-पूरे घर में दो टाइम की रोटी मिल जाती थी, वह ज्यादा सकून देने वाला था। उन्होंने कहा कि अगर ऐसे मुआवजा लेकर चुप रहने का मामला चलता रहा तो पता नहीं कितनी माओं की गोद सूनी होगी और कितनों का सुहाग उजड़ेगा।

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