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    दो सौ मुस्लिमों के लिए फरिश्ता बने हिंदू

    By Edited By:
    Updated: Sun, 15 Sep 2013 06:23 AM (IST)

    जिलेभर में सांप्रदायिक ताकतें जमकर तांडव मचा रही थी, ऐसे में गांव डबल में भी तनाव व्याप्त था, कुछ सिरफिरे धमकियां दे रहे थे। इसी बीच गांव में चार अमनप ...और पढ़ें

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    मुजफ्फरनगर, जागरण संवाददाता। जिलेभर में सांप्रदायिक ताकतें जमकर तांडव मचा रही थी, ऐसे में गांव डबल में भी तनाव व्याप्त था, कुछ सिरफिरे धमकियां दे रहे थे। इसी बीच गांव में चार अमनपसंद युवकों ने मुस्लिमों की जान बचाने का बीड़ा उठाया। उन्होंने दो सौ मुस्लिमों को गांव के अंतिम छोर पर पहुंचाकर उन्हें सुरक्षित स्थान पर भेजा। गांव चंदसीना में पनाह लिए डबल के मुस्लिम इन चारों का अहसान कभी न भूलने की बात कह रहे हैं।

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    पढ़ें: मुस्लिम ही नहीं हिंदुओं का भी उठा भरोसा

    गांव चंदसीना के मदरसा शमशुल उलूम में ये शरण लिए हुए हैं। वह गांव के चार हिंदू युवकों को फरिश्ता मानते हैं और उनका अहसान कभी न भूलने की बात कहते हैं। इस्लाम, मोहम्मद शोमीन, अनीस, नसीम, फलातून आदि आठ सितंबर को याद कर फफक पड़ते हैं। उन्होंने बताया कि डबल गांव में दो सौ मुस्लिम रहते हैं। सभी गरीब व मजदूर हैं। आठ सितंबर की रात कुछ सिरफिरे लोगों ने धमकियां देनी शुरू कर दीं। वे अपने घरों में दुबक गए। लगा कि आज नहीं बच पाएंगे। ऐसे में सोनू त्यागी, अशोक त्यागी, जीवन त्यागी व नरेश त्यागी उनके बीच पहुंचे और उन्हें अपने सुरक्षा घेरे में लेकर गांव के अंतिम छोर पर पहुंचाया। उन्होंने नदी पार कर गांव चंदसीना में शरण ली। चारों उनके लिए फरिश्ते से कम नहीं हम इनका अहसान कभी नहीं भुला पाएंगे।

    शनिवार को सोनू गांव चंदसीना में मुस्लिमों से मिलने पहुंचा। उसका कहना है कि जब उन्हें आभास हुआ कि कुछ असामाजिक तत्व मुस्लिमों को नुकसान पहुंचा सकते हैं, तो उनका दिल कांप गया। ठान ली कि वे गांव में खून खराबा नहीं होने देंगे। उन्होंने अपने साथियों को लेकर दिन ढलते ही मुस्लिमों को चंदसीना पहुंचाया। मुस्लिमों के बिना गांव में मन नहीं लग रहा और वह उनसे मिलने चंदसीना रोजाना आता है।

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