निर्भया की फिल्म पर प्रतिबंध को लेकर सोशल मीडिया में जंग
सोशल नेटवर्किग साइटों पर सरकार ने बीबीसी की डॉक्यूमेंट्री इंडियाज डॉटर को प्रतिबंधित तो कर दिया है कि लेकिन फिल्म पर बैन के पक्ष और विपक्ष में फेसबुक और ट्विटर पर यूजर्स के बीच जिरह छिड़ गई है। इतना ही नहीं महिला समाजसेवियों ने भी फिल्म पर प्रतिबंध के खिलाफ
नई दिल्ली। सोशल नेटवर्किग साइटों पर सरकार ने बीबीसी की डॉक्यूमेंट्री इंडियाज डॉटर को प्रतिबंधित तो कर दिया है कि लेकिन फिल्म पर बैन के पक्ष और विपक्ष में फेसबुक और ट्विटर पर यूजर्स के बीच जिरह छिड़ गई है। इतना ही नहीं महिला समाजसेवियों ने भी फिल्म पर प्रतिबंध के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है।
ट्विटर पर सरकारी प्रतिबंध के पक्ष में वैशाली नाम की युवती ने प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा कि इंग्लैंड में 2014 में 24043 दुष्कर्म हुए। लेकिन आश्चर्य की बात है कि इस विषय पर रिसर्च करने के लिए लेस्ली को भारत आना पड़ा। खासकर दुष्कर्मी के मनोभाव समझने के लिए हजारों मील दूर आ गईं। वहीं, आशिमा नाम की महिला ने ट्वीट कर कहा कि एक समाज से दुष्कर्मी से बड़ा अपराधी और कोई नहीं। उनके पक्ष को जानने के लिए फिल्म बनाने का मतलब है उस अपराध के लिए औरों को प्रेरित करना। जो लोग आज निर्भया की डॉक्यूमेंट्री का समर्थन कर रहे हैं हो सकता है वह भविष्य में बिग बॉस में ऐसे अपराधी की एंट्री की वकालत करते मिल जाएं।
वहीं, इस डॉक्यूमेंट्री पर सरकार के प्रतिबंध का विरोध करने वालों में ऑल इंडिया डेमोक्रेटिक वुमेन्स एसोसिएशन (एआइडीडब्लूए) शामिल हैं। एआइडीडब्लूए की उपाध्यक्ष सुधा सुंदररमन का कहना है कि डॉक्यूमेंट्री पर प्रतिबंध लगा कर अभिव्यक्ति की आजादी को बाधित किया जा रहा है। उनका कहना है कि फिल्म में इस अपराध की नृशंसता को बिना सनसनीखेज बनाए दिखाया गया है। हालांकि एक सजायाफ्ता का दिया बयान स्तब्धकारी और निंदनीय है।
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इस फिल्म पर रोक के विरोध में फिल्म लेखक और गायक नीलेश मिसरा का कहना है कि वह उम्मीद करते हैं कि इस देश में दुष्कर्म, महिलाओं के यौन उत्पीड़न पर प्रतिबंध लग जाए। लेखक चेतन भगत का कहना है कि इंडियाज डॉटर फिल्म उन बहसों से बहुत ही संवेदनशील है जो आजकल इस मुद्दे पर हो रही हैं।
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