'7 साल पहले भी हुआ था गुड फ्राइडे पर जज सम्मेलन, तब तो मोदी नहीं थे'
जज सम्मेलन के आयोजन को लेकर उठे विवाद को दुर्भाग्यपूर्ण बताते हुए सरकार ने कहा है कि इसके आयोजन में उसकी कोई भूमिका नहीं थी। साथ ही सरकार ने विपक्ष पर आरोप लगाया कि वह इस मसले को धर्मनिरपेक्षता की छवि से जोड़ने की कोशिश कर रहा है। हाई कोर्ट
नई दिल्ली। जज सम्मेलन के आयोजन को लेकर उठे विवाद को दुर्भाग्यपूर्ण बताते हुए सरकार ने कहा है कि इसके आयोजन में उसकी कोई भूमिका नहीं थी। साथ ही सरकार ने विपक्ष पर आरोप लगाया कि वह इस मसले को धर्मनिरपेक्षता की छवि से जोड़ने की कोशिश कर रहा है। हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीशों के तीन दिवसीय सम्मेलन का आयोजन गुड फ्राइडे के दिन से शुरू कराने को लेकर ईसाई समुदाय के कुछ वकीलों, सुप्रीम कोर्ट के एक न्यायाधीश व अन्य लोगों ने आपत्ति जताई थी।
संसदीय मामलों के मंत्री वेंकैया नायडू ने कहा कि न्यायपालिका, रामनवमी, संक्रांति और विनायक चतुर्थी जैसे हिंदुओं के लिए आध्यात्मिक महत्व वाले दिनों में भी बिना कोई सवाल उठाए काम करती है। नायडू ने आरोप लगाया कि विपक्ष, भाजपा और सरकार को बदनाम करने के लिए गलत जानकारी फैला रहा है। इस विवाद से मुझे काफी दुख हुआ, दुख इस बात का भी है कि कुछ लोगों ने इसे धर्मनिरपेक्षता की छवि से जोड़ने की कोशिश की।
गुड फ्राइडे के दिन इस सम्मेलन के आयोजन पर आपत्ति के चलते यह आयोजन विवाद का केंद्र बन गया। सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश कुरियन जोसेफ ने यह मामला मुख्य न्यायाधीश एचएल दत्तू के समक्ष उठाया था। साथ ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर अपनी यह आपत्ति जाहिर की।
नायडू ने इस मसले पर कहा कि यह सम्मेलन सरकार की ओर से आयोजित नहीं था, यह मुख्य न्यायाधीशों का पहले से तय कार्यक्रम था। केंद्रीय मंत्री ने कहा कि सात साल पहले भी यह सम्मेलन गुड फ्राइडे के दिन हुआ था, तब तो मोदी यहां नहीं थे, भाजपा सत्ता में नहीं थी। इतना ही नहीं, जब इस मसले को धर्मनिरपेक्षता से जोड़कर दिखाया गया तब मुझे लगा कि जज नहीं बल्कि कुछ अन्य बाहरी लोग सरकार पर हमला करने के लिए इस मसले का इस्तेमाल कर रहे हैं। इस बारे में गलत जानकारियां ऐसे ही लोगों द्वारा फैलाई जा रही हैं। कुछ लोग सरकार की गलत छवि बनाने का प्रयास कर रहे हैं। यह बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है।
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