असहिष्णुता के मुद्दे पर संसद में बहस की शुरूआत हंगामेदार
संसद के शीतकालीन सत्र के दौरान आज लोकसभा सबसे अहम माने जाने वाले असहिष्णुता के मुद्दे पर चर्चा की शुरुआत आखिरकार हो ही गई। इस दौरान मोहम्मद सलीम के बयान पर गृहमंत्री राजनाथ भावुक होते दिखाई दिए। मोहम्मद सलीम के बयान पर आपत्ति जताते हुए उन्होंने कहा कि सलीम द्वारा
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली।लोकसभा में 'असहिष्णुता' पर बहस की शुरूआत हंगामेदार हुई। बहस की शुरूआत करते हुए सीपीएम के मोहम्मद सलीम ने अपनी छवि को लेकर सतर्क रहने वाले गृहमंत्री राजनाथ सिंह पर ही उंगली उठा दी। उन्होंने एक पत्रिका का हवाला देते हुए आरोप लगाया कि राजनाथ ने 800 साल की गुलामी के बाद हिंदू शासन लौटने की बात की थी।
राजनाथ सिंह ने इसका जोरदार खंडन किया। उन्होंने कहा कि देश का अल्पसंख्यक समाज भी जानता है कि वह ऐसी बात नहीं कर सकते हैं। आहत राजनाथ ने तो यहां तक कह दिया कि ऐसा बयान देने वाले गृहमंत्री रहने का अधिकार नहीं है। शोर शराबे में कई बार सदन की कार्यवाही स्थगित हुई। बहस के दौरान मोहम्मद सलीम ने कहा कि खुद राजनाथ ने कहा था कि 800 साल की गुलामी के बाद हिंदू शासन लौटा है। लेकिन इस पर राजनाथ ने गहरा ऐतराज जताया। राजनाथ ने कहा कि आरोप बहुत गंभीर हैं। उन्होंने बताने को कहा कि कब ऐसा बयान दिया था, नहीं तो माफी मांगनी होगी।
राजनाथ ने कहा कि वे हमेशा सोच-समझकर बोलते हैं और मोहम्मद सलीम के बयान से बहुत आहत हैं। अगर देश का गृहमंत्री इस तरह का कोई बयान देता है तो उसे पद पर बने रहने का कोई अधिकार नहीं है। आखिरकार स्पीकर ने मोहम्मद सलीम के राजनाथ सिंह पर दिए गए वक्तव्य को सदन की कार्यवाही से हटा दिया। सत्तापक्ष के हंगामे के बाद भी अपने बयान पर कायम मोहम्मद सलीम ने एक साप्ताहिक पत्रिका का हवाला देते हुए कहा कि पत्रिका के रिपोर्टर के खिलाफ केस किया जाए। उनका कहना था कि वे सिर्फ पत्रिका में छपे बयान को बता रहे हैं। लेकिन संसदीय कार्य राज्यमंत्री राजीव प्रताप रूड़ी ने इस व्यक्तव्य को वापस लेने की मांग की ताकि सदन की कार्यवाही सुचारू रूप से चले।
लेकिन दोनों पक्षों के कड़े रूख के कारण बार-बार सदन की कार्यवाही स्थगित होती रही। बीजू जनता दल के भतृहरि माहताब ने नियमों का हवाला देते हुए कहा कि बिना पूर्व सूचना के किसी सदस्य या मंत्री के खिलाफ कोई आरोप नहीं लगाया जा सकता है। वहीं कांग्रेस नेता वीरप्पा मोइली का कहना था कि राजनाथ ऐसा कोई बयान नहीं देने की बात कहकर मामला खत्म कर सकते हैं। पर वे सीपीएम सांसद से सफाई क्यों अड़े हैं। लोकसभा में दिन भर चली बैठकों में कई दूसरे सदस्यों ने भी हिस्सा लिया। चर्चा मंगलवार को भी जारी रहेगी। मंगलवार से संभवत: इस मुद्दे पर राज्यसभा में भी चर्चा होनी है।
नायडू ने की चर्चा की शुरुआत
इससे पूर्व चर्चा को शुरू करते हुए संसदीय कार्यमंत्री वैंकेया नायडू ने कहा कि लेखकों, फिल्मकारों और अन्य को लोगों की भावनाओं से खिलवाड़ नहीं करना चाहिए। उन्होंने इस तरह की बयानबाजी करने वालों और ऐसी किताबों पर जो इसको बढ़ावा देती है उन्हें प्रतिबंधित किया जाना चाहिए। उन्होंने इसके लिए पोलिसी बनाने की भी वकालत की है। उन्होंने दोहराया कि सरकार सभी मुद्दों पर चर्चा को तैयार है।
पेरिस हमले पर लोकसभा में जताया दुख
इससे पहले आज लोकसभा की कार्यवाही शुरू होने के बाद सबसे पहले पेरिस हमले, मक्का में भगदड़ के हादसे पर दुख जताया गया। इसको लेकर दो मिनट का मौन भी लोकसभा में रखा गया। इसके बाद लोकसभा में प्रश्नकाल की औपचारिक शुरुआत हुई।
सरकार चर्चा को तैयार
केन्द्रीय संसदीय कार्यमंत्री वेंकैया नायडू समेत मुख्ता अब्बास नकवी ने कहा कि यदि विपक्ष संसद चलने दे तो सरकार असहिष्णुता पर बहस को तैयार है। उन्होंने आरोप लगाया कि विपक्षी दल और कुछ छद्म-बुद्धिजीवी कांग्रेस व उसके मित्र दलों द्वारा शासित राज्यों में हुई छोटी--मोटी घटनाओं को तूल दे रहे हैं। उनका इरादा संयुक्त राष्ट्र में स्थाई सदस्यता की कोशिश में जुटे देश की छवि खराब करना है।
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लोकसभा की विषय सूची में सोमवार को यह मुद्दा शामिल है, वहीं राज्यसभा में इस हफ्ते कभी भी चर्चा हो सकती है। फिलहाल राज्यसभा में डॉ. आंबेडकर की 125वीं जयंती के मौके पर 'भारतीय संविधान' के प्रति वचनबद्धता पर चर्चा हो रही है।
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सरकार के रुख पर काफी कुछ निर्भर
उल्लेखनीय है कि 26 नवंबर से शुरू हुए शीत सत्र के पहले दो दिन लोकसभा में संविधान पर चर्चा कराई गई। इसमें विपक्ष ने चर्चा रोकने की तो कोशिश नहीं की, लेकिन ब़़ढती असहिष्णुता व सांप्रदायिक हिंसा को लेकर सरकार पर निशाने साधे। हालांकि इस मुद्दे पर असली टकराव इस हफ्ते होगा, जब सरकार विधायी कामकाज शुरू करेगी। विपक्ष के एक नेता ने कहा है कि विपक्ष के मुद्दों पर सरकार के रुख से संसद का कामकाज तय होगा।
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