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    किरायेदारों को नहीं मिल रहा केजरीवाल की योजना का लाभ

    By Sumit KumarEdited By:
    Updated: Wed, 22 Apr 2015 08:00 AM (IST)

    दिल्ली में प्रति माह 400 यूनिट तक बिजली खर्च करने वाले उपभोक्ताओं को आम आदमी पार्टी की सरकार सस्ती बिजली उपलब्ध करा रही है, लेकिन इस छूट का फायदा यहां किराये के मकान में रहने वाले लाखों परिवारों को नहीं मिल रहा है। इसलिए राजनीतिक पार्टियों से लेकर रेजिडेंट वेलफेयर

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    राज्य ब्यूरो, नई दिल्ली। दिल्ली में प्रति माह 400 यूनिट तक बिजली खर्च करने वाले उपभोक्ताओं को आम आदमी पार्टी की सरकार सस्ती बिजली उपलब्ध करा रही है, लेकिन इस छूट का फायदा यहां किराये के मकान में रहने वाले लाखों परिवारों को नहीं मिल रहा है। इसलिए राजनीतिक पार्टियों से लेकर रेजिडेंट वेलफेयर एसोसिएशन (आरडब्ल्यूए) तक ने किरायेदारों को भी बिजली सब्सिडी का लाभ देने की मांग शुरू कर दी है।

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    कांग्रेस नेताओं व आरडब्ल्यूए के प्रतिनिधियों का कहना है कि अगर दिल्ली के विकास का पैसा सस्ती बिजली उपलब्ध कराने के लिए खर्च हो रहा है तो यह भी ध्यान रखना जरूरी है कि इसका लाभ सही लोगों को मिले। कम बिजली खर्च करने वाले उपभोक्ताओं को आधे दाम पर बिजली उपलब्ध कराने के लिए दिल्ली सरकार बिजली कंपनियों को अरबों रुपये की सब्सिडी दे रही है। सरकार का दावा था कि इस सब्सिडी से दिल्ली के लगभग 84 फीसद उपभोक्ताओं को लाभ मिलेगा। लेकिन, हकीकत कुछ और है। इसका लाभ लगभग दस लाख लोगों को ही मिल रहा है।

    गर्मी बढ़ने पर इनमें से भी काफी कम लोग सरकारी छूट के लिए तय दायरे में आएंगे। इस तरह से बिजली कंपनियों को तो अरबों रुपये मिल गए, लेकिन इसका लाभ चंद दिल्लीवासियों को ही मिल सकेगा। किरायेदारों को ज्यादा बिल चुकाना होता है। इसी तरह से झुग्गी में रहने वालों को भी बिजली बिल में छूट का लाभ नहीं मिल रहा है।

    कई रसूखदार लोगों ने झुग्गी बनाकर इन्हें किराये पर उठाया है। बिजली छूट का लाभ वह उठा रहे हैं और झुग्गी में किराये पर रहने वालों से ज्यादा पैसे ले रहे हैं। उल्लेखनीय है कि दिल्ली में लगभग 33.5 लाख बिजली उपभोक्ता हैं। सरकार का कहना है कि इसमें से 28 लाख उपभोक्ताओं को सस्ती बिजली का लाभ मिलेगा।

    नार्थ दिल्ली रेजिडेंट वेलफेयर फेडरेशन (एनडीआरडब्ल्यूएफ) के अध्यक्ष अशोक भसीन का कहना है कि किराये के अधिकांश मकानों में अलग से बिजली कनेक्शन नहीं है। इन्हें सब-मीटर के आधार पर प्रति यूनिट 9 से 10 रुपये के हिसाब से बिल चुकाना पड़ता है। दिल्ली में इस तरह के लगभग 20 लाख उपभोक्ता हैं जिन्हें सब्सिडी का कोई लाभ नहीं मिल रहा है। इसलिए इन किरायेदारों को प्रीपेड मीटर उपलब्ध कराने की जरूरत है। इससे इनसे होने वाली लूट पर रोक लगेगी।

    कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष अजय माकन भी कह चुके हैं कि यह देखना जरूरी है कि सब्सिडी जिन लोगों के लिए दी गई है इसका लाभ उन्हें मिल रहा है या नहीं। किरायेदारों को इसका लाभ मिले इसकी व्यवस्था जरूरी है।

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