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दुष्कर्मी सभ्य समाज के लिए खतरा: हाई कोर्ट

दुष्कर्मी सभ्य समाज के लिए खतरा हैं। बच्चे दुष्कर्म से अनभिज्ञ होते हैं। वह विरोध करने में सक्षम नहीं होते। कामांध व दुराचारी लोगों के लिए वह आसान शिकार बन जाते हैं। जो बच्चियों व युवतियों के साथ छल करते हैं, उन्हें बिना किसी रहम के कठोर सजा दी जानी

By Rajesh NiranjanEdited By: Published: Sat, 14 Feb 2015 10:40 AM (IST)Updated: Sat, 14 Feb 2015 12:18 PM (IST)

नई दिल्ली, जागरण संवाददाता। दुष्कर्मी सभ्य समाज के लिए खतरा हैं। बच्चे दुष्कर्म से अनभिज्ञ होते हैं। वह विरोध करने में सक्षम नहीं होते। कामांध व दुराचारी लोगों के लिए वह आसान शिकार बन जाते हैं। जो बच्चियों व युवतियों के साथ छल करते हैं, उन्हें बिना किसी रहम के कठोर सजा दी जानी चाहिए। यह टिप्पणी करते हुए दिल्ली हाई कोर्ट ने पांच साल की बच्ची के साथ दुष्कर्म के दोषी की उस याचिका को खारिज कर दिया, जिसमें उसने सजा से राहत मांगी थी। उसे दस साल की सजा सुनाई गई है। न्यायमूर्ति सुनीता गुप्ता की खंडपीठ ने पीडि़ता की गवाही को अहम मानते हुए आरोपी को राहत देने से इन्कार कर दिया। खंडपीठ ने कहा कि आरोपी की फिल्मी कहानी को नहीं माना जा सकता।

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पेश मामले के अनुसार 12 सितंबर, 2007 को पीडि़ता अपने घर के बाहर खेल रही थी। इस दौरान मिठ्ठू राय ने उसे पैसे देने के बहाने बुलाया और घर में ले जाकर दुष्कर्म किया। फिर बच्ची को दो रुपये देकर घर भेज दिया। बच्ची ने बड़ी बहन को आपबीती सुनाई। इसके बाद आदर्श नगर थाने में मामला दर्ज किया गया। आरोपी ने खुद पर लगे आरोपों को झुठलाते हुए कहा कि वह बेकसूर है। वह तो बच्ची के पिता से मालिक के कहने पर किराया लेने गया था। उसका पिता बार-बार कहने के बावजूद किराया नहीं दे रहा था। इसी वजह से उस पर झूठा मुकदमा लगाया गया है। 11 अक्टूबर, 2010 में निचली अदालत ने आरोपी को दोषी करार देते हुए दस साल की सजा सुनाई थी।

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