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    राहुल के करीबियों को मिला वफादारी का इनाम

    By Test2 test2Edited By:
    Updated: Tue, 03 Mar 2015 06:59 AM (IST)

    राहुल गांधी की नाराजगी का रंग कांग्रेस पर दिखने लगा है। पार्टी में फेरबदल की शुरूआत राहुल के करीबियों को पद देने के साथ शुरू हो गई है।

    नई दिल्ली। राहुल गांधी की नाराजगी का रंग कांग्रेस पर दिखने लगा है। पार्टी में फेरबदल की शुरूआत राहुल के करीबियों को पद देने के साथ शुरू हो गई है। पार्टी ने चार राज्यों व मुंबई में कांग्रेस के पुराने चेहरों को नए चेहरों से बदला है। इसमें गुजरात की कमान भरत सिंह सोलंकी, महाराष्ट्र में अशोक चव्हाण, मुंबई में संजय निरूपम, दिल्ली में अजय माकन, जम्मू कश्मीर में गुलाम मोहम्मद मीर और तेलंगाना में उत्तम कुमार रेड्डी को जिम्मेदारी दी गई है। अपेक्षाकृत युवा माने जा रहे इन सभी नेताओं की उम्र 50 से 55 के बीच है। हालांकि इनमें से अधिकतर के साथ गंभीर विवाद भी जुड़े हैं।

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    वफादारी एक मात्र पैमाना

    ऐसा लगता है कि राहुल की नई टीम में उनके प्रति वफादारी एक मात्र पैमाना थी, जिसे कसौटी माना गया है। दिल्ली में जमानत जब्त करा चुके अजय माकन को प्रदेश की कमान मिली है।

    महाराष्ट्र में मराठा कार्ड

    वहीं महाराष्ट्र में घोटालों के साए में मुख्यमंत्री पद गंवा चुके अशोक चव्हाण महाराष्ट्र में पार्टी का चेहरा होंगे। अदालत में चव्हाण पर मामला अभी चल रहा है। जबकि, कोर्ट ने उन पर मुकदमा न चलाया जाने को लेकर दाखिल याचिका खारिज कर दी है। हालांकि, राज्य में मराठा कार्ड खेलने की तैयारी कर रही कांग्रेस को एक मराठा की जरूरत थी, ऐसे में पार्टी ने अशोक चव्हाण पर दांव लगाया है।

    मुंबई में पूर्वाचल

    मुंबई कांग्रेस की कमान कभी शिवसेना के मुखर नेता से कांग्रेसी हुए संजय निरूपम को दी गई है। पूर्वाचल के मुद्दे पर राजनीति करने वाले संजय की पहचान छठ पर जुहू पर भीड़-इकट्ठा करने वाले नेता की है। निरूपम को मुंबई की कमान सौंप कर कांग्रेस मुंबई में पूर्वाचल कार्ड खेलने की तैयारी में है। संजय को मुंबई में दलित नेता जनार्दन चंदुरकर की जगह लाया गया है।

    मीर को भीड़ लाने का इनाम

    इसी तरह जम्मू-कश्मीर में पार्टी का नया चेहरा बने गुलाम मोहम्मद मीर को राहुल की सभाओं में भीड़ लाने का इनाम मिला है। मीर 2008 तक विधायक थे, इस बार हार गए हैं। मीर का नाम मंत्री पद पर रहते हुए सेक्स स्कैंडल में आ गया था। उस समय मंत्री पद छोड़ना पड़ा था। हालांकि, मीर अदालत से बरी हो चुके हैं व मुकदमा बंद हो चुका है।

    विवादित उत्तम को तेलंगाना

    इसी तरह तेलंगाना की कमान पाने वाले उत्तम कुमार रेड्डी भी विवादों में फंस चुके हैं। गत चुनाव में रेड्डी की गाड़ी में धुंए की शिकायत के बाद बोनट से नोटों की गड्डिया बरामद हुई थी, जिनमें आग लग गई थी। हालांकि उस समय वे गाड़ी में सफर नही कर रहे थे। उत्तम कुमार रेड्डी की पत्‌नी भी राजनीति में सक्रिय हैं। माना जा रहा है कि राज्य में रेड्डी जाति के दबदबे को देखते हुए राहुल ने उन्हें जातीय समीकरण के तहत कमान सौंपी है।

    गुजरात में भरत सोलंकी

    वहीं, गुजरात के भरत सिंह सोलंकी को पद देने के पीछे पार्टी में संदेश की राजनीति माना जा रहा है। गुजरात में मोडवाडिया के मुकाबले कम उम्र सोलंकी को लाने को पार्टी में बदलाव की पहल के रूप में देखा जा रहा है। कई बार सांसद रहे सोलंकी की पार्टी के कई वरिष्ठ नेताओं से कम पटती थी। ऐसे में उनकी नियुक्ति को पार्टी में निजाम बदलने से जोड़कर देखा जा रहा है।

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