अध्यक्ष न बनने से खफा राहुल छुट्टी पर, कांग्रेस के पैरों तले खिसकी जमीन
भूमि अधिग्रहण के मुद्दे पर सरकार को घेरने निकली कांग्रेस के पैरों के नीचे से जमीन खिसक गई है। संसद से सड़क तक लड़ाई का हौसला भर रही कांग्रेस के सेनापति यानी पार्टी उपाध्यक्ष राहुल गांधी अहम बजट सत्र शुरू होने से पहले खुद को अध्यक्ष न बनाए जाने से
नई दिल्ली, जागरण ब्यूरो। भूमि अधिग्रहण के मुद्दे पर सरकार को घेरने निकली कांग्रेस के पैरों के नीचे से जमीन खिसक गई है। संसद से सड़क तक लड़ाई का हौसला भर रही कांग्रेस के सेनापति यानी पार्टी उपाध्यक्ष राहुल गांधी अहम बजट सत्र शुरू होने से पहले खुद को अध्यक्ष न बनाए जाने से नाराज होकर 'छुïट्टी' पर चले गए। राहुल के इस अप्रत्याशित फैसले को कांग्रेस में बदलाव को लेकर उनके आखिरी दांव के रूप में देखा जा रहा है। पार्टी में आमूल-चूल परिर्वतन लाने में आ रही बाधा को लेकर नाराज राहुल अब 'पार्टी की कमान' से कम पर राजी नहीं हैं।
सूत्रों के मुताबिक राहुल ने दिल्ली विधानसभा चुनाव के बाद सोनिया से अवकाश की मांग की थी, लेकिन इसके स्वीकृत होने से पहले ही वह विदेश यात्रा पर निकल गए। बजट सत्र से पहले उन्हें वापस बुलाने की नाकाम कोशिशों के बाद कांग्रेस ने उनके अवकाश की जानकारी सार्वजनिक की। गौरतलब है कि राहुल को भूमि अधिग्रहण मुद्दे को लेकर बुधवार को जंतर-मंतर पर पार्टी के धरने में मौजूद रहना था। पार्टी ने बाकायदा इस बाबत सूचित भी किया था।
पार्टी ने किया बचाव
कांग्रेस उपाध्यक्ष के इस फैसले के बाद पार्टी को बचाव में उतरना पड़ा। पार्टी प्रवक्ता अभिषेक सिंघवी ने कहा कि राहुल आत्म चिंतन के बाद कांग्रेस कार्यसमिति की बैठक से वापसी करेंगे। माना जा रहा है कि इस बैठक में ही उन्हें कांग्रेस अध्यक्ष पद पर पदोन्नत किया जा सकता है।
पहले भी जताते रहे हैं नाराजगी
यह पहला मौका नहीं है जब राहुल की नाराजगी सामने आई है। पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के विदाई भोज व पार्टी के स्थापना दिवस पर राहुल की गैरमौजूदगी को भी उनकी नाराजगी के तौर पर देखा गया था।
राजनीति में नहीं ली जाती छुट्टी
मीडिया में राहुल का बचाव कर रहे पार्टी नेता भी निजी बातचीत में इसे अप्रत्याशित और हास्यास्पद बता रहे हैं। कर्नाटक से पार्टी के एक लोकसभा सदस्य ने तो कहा, 'राजनीति में छुïट्टी ली नहीं जाती जनता कर देती है। हमें वापसी करनी है तो दिन-रात राजनीति का काम करना होगा।'
बदलाव के लिए खोला मोर्चा
पार्टी में सीनियर नेताओं को अहम पदों से हटाने के लिए लंबे समय से बदलाव चाह रहे राहुल अब खुलकर मैदान में आ गए हैं। बदलाव के लिए प्रयासरत राहुल चाहते थे कि पार्टी के सभी पदाधिकारी एक साथ इस्तीफा दें और संगठन का पुनर्गठन हो। राहुल की मंशा संगठन में अपने विश्वसनीय लोगों को लाना था, लेकिन ऐसा नहीं हो पाया।
राहुल संगठन चुनावों के जरिये यूथ कांग्रेस व एनएसयूआई में अपने लोगों को आगे लाए। पार्टी में भी वह इसी तरह अपने लोगों को आगे लाना चाह रहे थे। लेकिन, लोकसभा चुनाव के बाद आधा दर्जन राज्यों में राहुल की रणनीति पस्त होने के बाद उनको लेकर विरोध मुखर होने लगा था। कई नेताओं ने उनके खिलाफ आवाज बुलंद की, कुछ ने तो उनकी तुलना जोकर तक से कर डाली। इन नेताओं पर अनुशासनात्मक कार्रवाई भी हुई, लेकिन विरोध बढ़ता ही गया।
ऐसे में राहुल ने आखिरी दांव चलते हुए पार्टी के सामने खुद को विकल्प के रूप में रखा है। पार्टी या तो अध्यक्ष के रूप में उन्हें स्वीकार करे या फिर उनके बिना आगे का रास्ता तलाशे।
बैंकाक में हैं राहुल!
नई दिल्ली। बजट सत्र शुरू होने के साथ ही कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी कहां चले गए इस बात की चर्चा हर तरफ है। सूत्रों के मुताबिक नाराज राहुल फिलहाल बैंकाक में छुटि्टयां मना रहे हैं।
राहुल गांधी 16 फरवरी को ही देर रात 3.40 की फ्लाइट से थाईलैंड रवाना हो गए थे। थाई एयरवेज की फ्लाइट का नंबर टीजी-332 था। कुछ हफ्तों की छुट्टी के दौरान उनका वहीं रहने का प्रोग्राम है।
''हमें इस बारे में जो कहना था, कह चुके हैं। अब हम इसमें कुछ और नहीं जोडऩा चाहते।'' -सोनिया गांधी, कांग्रेस अध्यक्ष
''कांग्रेस उपाध्यक्ष ने पार्टी के भविष्य और वर्तमान को लेकर आत्मचिंतन के लिए अवकाश लिया है।'' -अभिषेक सिंघवी, कांग्रेस प्रवक्ता
''पिछले एक दशक के दौरान संसद से अपने नेताओं की गैरमौजूदगी के चलते ही कांग्रेस लोकसभा में 44 सांसदों तक सिमट गई है।'' -अनुराग ठाकुर, भाजपा सांसद
''बजट सत्र की शुरुआत के वक्त सभी दलों के सांसदों को सदन में मौजूद रहना चाहिए। किसी बाध्यता की वजह से राहुल नहीं आ पाए होंगे।'' -कलराज मिश्र, केंद्रीय मंत्री
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