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अप्रैल में होगी राहुल की ताजपोशी

राहुल गांधी छुट्टी पर हैं, लेकिन कांग्रेस काम में लग गई है। रूठे उपाध्यक्ष को मनाने के लिए पार्टी नेताओं ने उनकी ताजपोशी के लिए कांग्रेस अध्यक्ष को मना लिया है। वफादरी की कसमों व महासचिवों के इस्तीफों के तड़के के साथ राहुल गांधी की पदोन्नति की पटकथा तैयार हो

By Test2 test2Edited By: Published: Sat, 28 Feb 2015 02:13 AM (IST)Updated: Sat, 28 Feb 2015 07:54 AM (IST)
अप्रैल में होगी राहुल की ताजपोशी

नई दिल्ली । राहुल गांधी छुट्टी पर हैं, लेकिन कांग्रेस काम में लग गई है। रूठे उपाध्यक्ष को मनाने के लिए पार्टी नेताओं ने उनकी ताजपोशी के लिए कांग्रेस अध्यक्ष को मना लिया है। वफादरी की कसमों व महासचिवों के इस्तीफों के तड़के के साथ राहुल गांधी की पदोन्नति की पटकथा तैयार हो गई है। वरिष्ठ कांग्रेस महासचिव दिग्विजय सिंह ने राहुल की राह बनाने के लिए इस्तीफा देने की बात कही है।

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माना जा रहा है कि दिग्विजय का बयान कांग्रेस आलाकमान की स्वीकृति के बाद आया है। यह पार्टी में अभी भी राहुल का विरोध कर रहे लोगों को संकेत भी है। हालांकि, अश्विनी कुमार और जयराम रमेश सरीखे कुछ नेता अभी भी सोनिया की सरपरस्ती की बात कह रहे हैं। लेकिन इन बयानों को राजनीतिक 'सेफ्टी वॉल्व' के तौर पर देखा जा रहा है।

सूत्रों के मुताबिक मार्च में प्रस्तावित कार्यसमिति की बैठक में राहुल को अध्यक्ष बनाने का प्रस्ताव पारित हो जाएगा। इसके साथ ही कांग्रेस के तमाम महासचिव पार्टी के पुनर्गठन के लिए इस्तीफे की पेशकश कर सकते हैं। इसके बाद अप्रैल में होने वाले अधिवेशन में उन्हें कांग्रेस अध्यक्ष बना दिया जाएगा। ताजपोशी में कोई विघ्न न हो इसके लिए अधिवेशन कर्नाटक में आयोजित किए जाने पर लगभग सहमति बन गई है।

जानकारी के मुताबिक अच्छे दिनों का इंतजार कर रही कांग्रेस अतीत को दोहराते हुए अधिवेशन के लिए बेंगलुरु और चिंतन शिविर के लिए शिमला जा सकती है। एक तो इन दोनों राज्यों में कांग्रेस की सरकारें हैं। और दूसरी बात कि पार्टी ने फरवरी 2001 में बेंगलुरु में अधिवेशन व जुलाई 2003 में शिमला में चिंतन शिविर के बाद सत्ता में वापसी की थी।

इसके साथ ही अध्यक्ष पद पर सोनिया गांधी का लंबा कार्यकाल समाप्त हो जाएगा। 1998 में सीताराम केसरी से यह जिम्मेदारी लेने के बाद से वह लगातार इस पद पर हैं। उनके नेतृत्व में कांग्रेस को 1999 के आम चुनावों में हार का सामना करना पड़ा था। हालांकि, उन्हीं के नेतृत्व में 2004 में चुनाव जीतकर पार्टी ने लगातार दस साल देश में सरकार चलाई।

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