विधानसभा चुनावों से भागते राहुल गांधी
लोकसभा चुनावों के बाद संगठन पर अपनी पकड़ मजबूत करने में जुटे राहुल गांधी एक बार फिर चुनाव से मुकाबिल हैं। चार राज्यों में होने वाले विधानसभा चुनावों में जहां राहुल की नेतृत्व क्षमता की परीक्षा होगी, वहीं यह पार्टी उपाध्यक्ष को लेकर उठ रहे सवालों के जवाब भी देंगे। हालांकि, राहुल ने इन
नई दिल्ली, जागरण ब्यूरो। लोकसभा चुनावों के बाद संगठन पर अपनी पकड़ मजबूत करने में जुटे राहुल गांधी एक बार फिर चुनाव से मुकाबिल हैं। चार राज्यों में होने वाले विधानसभा चुनावों में जहां राहुल की नेतृत्व क्षमता की परीक्षा होगी, वहीं यह पार्टी उपाध्यक्ष को लेकर उठ रहे सवालों के जवाब भी देंगे। हालांकि, राहुल ने इन चुनावों से दूरी बनानी शुरू कर दी है। सत्ता विरोधी रुझान से मुकाबिल इन राज्यों में प्रत्याशियों के चयन को लेकर चुनाव समिति की बैठक में राहुल ने हिस्सा नहीं लिया।
नेतृत्व को लेकर चल रही उठापटक के बीच विधानसभा चुनावों में परिणाम को लेकर सशंकित पार्टी में राहुल को बचाने के प्रयास अभी से शुरू हो गए हैं। राहुल को बचाने के लिए 'टीम राहुल' पहले ही पेशबंदी शुरू कर चुकी है।
पार्टी के आंतरिक सर्वे में इन राज्यों से निराशाजनक रिपोर्ट आने के बाद 'टीम राहुल' ने सिर्फ जीत की संभावना वाली सीटों को चयनित कर उपाध्यक्ष का कार्यक्रम बनाने का फैसला किया है। चुनाव अभियान, और झारखंड व महाराष्ट्र में होने वाले गठबंधन को लेकर भी 'टीम राहुल' ने मौन साध लिया है।
लोकसभा चुनावों में हुई शर्मनाक पराजय के बाद पीढ़ी गत बदलाव से गुजर रही कांग्रेस में राजनीति करने के ढंग को लेकर शीर्ष स्तर पर ही मतभेद पैदा हो गए है। कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी के सहयोगी पार्टी को इस हालत से बाहर निकालने के लिए पारंपरिक राजनीति की ओर लौटने की वकालत कर रहे हैं। दूसरी तरफ, परिणाम से बेपरवाह राहुल के नेतृत्व वाली टीम नए ढंग की राजनीति के पथ पर आगे जाना चाहती है। पार्टी में काडर और उत्तरदायित्व तय करने को लेकर प्रयास कर रहे राहुल के लिए विधानसभा चुनाव चुनौती की तरह सामने आए हैं। इन चुनावों में अगर अपेक्षित परिणाम न आए तो पार्टी में एक बार फिर राहुल के नेतृत्व को लेकर सवालों का तेज होना तय है।
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