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ममता ने कबूली राहुल की विपक्षी नेतृत्व की अगुवाई

कांग्रेस उपाध्‍यक्ष राहुल गांधी ने पाहली बार नोटबंदी के खिलाफ साझा मंच पर आए ममता समेत आठ दलों के नेताओं की कमान संभाली।

By Kamal VermaEdited By: Published: Wed, 28 Dec 2016 12:42 AM (IST)Updated: Wed, 28 Dec 2016 06:10 AM (IST)
ममता ने कबूली राहुल की विपक्षी नेतृत्व की अगुवाई

नई दिल्ली (संजय मिश्र)। नोटबंदी पर विपक्ष के पूरे कुनबे को जुटाने में कांग्रेस भले ही सफल नहीं रही मगर पार्टी राहुल गांधी की अगुवाई में तृणमूल कांग्रेस प्रमुख ममता बनर्जी को सियासी मंच साझा कराने में कामयाब जरूर हो गई। सोनिया गांधी की गैरमौजूदगी में राहुल ने नोटबंदी के खिलाफ साझा मंच पर आए ममता समेत आठ दलों के नेताओं की कमान संभाली। कांग्रेस अध्यक्ष के नहीं आने के बावजूद ममता ने भी नोटबंदी के खिलाफ लड़ाई में विपक्ष को एकजुट करने की आवाज बुलंद कर एक तरह से राहुल गांधी के नेतृत्व में ही विपक्षी कारवां आगे बढ़ने को कबूल कर लिया।

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नोटबंदी पर संसद सत्र के आखिरी दिन टूटी विपक्षी एकता को जोड़ने की कसरत के तहत सोनिया गांधी की पहल पर विपक्षी नेताओं की मंगलवार को संयुक्त प्रेस कांफ्रेंस और बैठक बुलाई गई थी। मंगलवार को ही गोवा में छुट्टियां बिताने गई सोनिया इसमें शामिल नहीं हुई। मगर यह कांग्रेस की रणनीतिक कामयाबी रही कि सोनिया के कमान नहीं संभालने के बावजूद ममता ने राहुल की अगुवाई में साझा प्रेस कांफ्रेंस की बल्कि इससे पूर्व इन आठों दलों के नेताओं की बैठक में शामिल भी हुई। कांग्रेस की पहल पर हुई इस सियासी कसरत के मद्देनजर जाहिर तौर पर राहुल ने ही इस बैठक की अध्यक्षता की। राहुल की अगुवाई में विपक्षी नेताओं की बैठक में ममता की यह पहली भागीदारी थी।

नोटबंदी पर सरकार के खिलाफ विरोधी सियासत को परवान चढ़ाने की इस कसरत में राहुल ने भी नेतृत्व कांग्रेस के हाथ में ही होने का पूरा संदेश देने में हिचक नहीं दिखाई। संयुक्त प्रेस कांफ्रेंस में सबसे पहले माइक थामने से लेकर विपक्ष के अन्य तमाम दलों के नहीं आने से लेकर संसद सत्र के आखिरी दिन प्रधानमंत्री से हुई अपनी मुलाकात के विवाद पर राहुल ने खुद जवाब दिए। दरअसल कांग्रेस इस बात को लेकर सशंकित थी कि तीखे तेवरों वाली बेलाग ममता बनर्जी अपने से कम अनुभवी राहुल की रहनुमाई को कबूल करेंगी। मगर माना जा रहा है कि नोटबंदी के बहाने वैकल्पिक विपक्षी सियासत का आधार तैयार करने की राजनीतिक जरूरत के मद्देनजर ममता ने फिलहाल इसे नजरअंदाज करना मुनासिब समझा है।

समझा जाता है कि इसमें ममता के साथ सोनिया के निजी रिश्तों की भी खास भूमिका रही है और इस बैठक से पहले सोनिया और ममता के बीच बातचीत भी हुई। गौरतलब है कि संसद के शीत सत्र के दौरान तृणमूल समेत 16 विपक्षी दलों के नेता राहुल की अगुवाई में इकठ्ठा हुए। मगर तब राहुल के साथ डेरेक ओब्रायन या सुदीप बंधोपाध्याय मौजूद रहते थे। शीत सत्र के आखिरी दिन राष्ट्रपति भवन गए नेताओं में ममता शरीक भी हुई थी तो उसका नेतृत्व सोनिया गांधी और मनमोहन सिंह ने किया था। इसे देखते हुए राहुल-ममता का मंच साझा करना कांग्रेस रणनीतिकारों के लिए राहत देने वाला रहा।

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