जानिए कौन हैं संत रामपाल?
संत रामपाल का जन्म आठ सिंतबर, 1951 को सोनीपत के धनाणा गांव में हुआ था। पढाई पूरी करने के बाद रामपाल को हरियाणा सरकार के सिंचाई विभाग में जूनियर इंजीनियर की नौकरी मिल गयी. नौकरी के दौरान उनकी भेंट 107 साल के कबीरपंथी संत स्वामी रामदेवानंद महाराज से हुई।
संत रामपाल का जन्म आठ सिंतबर, 1951 को सोनीपत के धनाणा गांव में हुआ था। पढ़ाई पूरी करने के बाद रामपाल को हरियाणा सरकार के सिंचाई विभाग में जूनियर इंजीनियर की नौकरी मिल गई। नौकरी के दौरान उनकी भेंट 107 साल के कबीरपंथी संत स्वामी रामदेवानंद महाराज से हुई। रामपाल उनके शिष्य बन गये। इसके बाद 1995 में उन्होंने 18 साल लंबी अपनी नौकरी छोड दी और सत्संग करने लगे। धीरे धीरे उनके अनुयायियों की संख्या बढ़ती गयी। इसी दौरान उन्हें करोंथा गांव में आश्रम के लिए एक महिला से जमीन मिल गई। 1999 में उन्होंने सतलोक आश्रम की नींव रखी।
कैसे शुरू हुआ विवाद
2006 में स्वामी दयानंद की लिखी एक किताब पर संत रामपाल ने एक टिप्पणी की, जिसके बाद आर्यसमाज को यह टिप्पणी बेहद नागवार गुजरी और दोनों के समर्थकों कें हिंसक झडप हुई। घटना में एक शख्स की मौत भी हो गयी। इसके बाद एसडीएम ने 13 जुलाई 2006 को आश्रम को कब्जे में ले लिया। इसके बाद रामपाल व उनके 24 समर्थकों को गिरफ्तार कर लिया गया। हालांकि 2009 में उन्हें आश्रम वापस मिल गया।
बाद में संत रामपाल के खिलाफ आर्यसमाज के लोगों ने सर्वोच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया। कोर्ट ने उनकी याचिका खारिज कर दी। इसके बाद आर्य समाजियों व संत रामपाल के समर्थकों में बार बार झडप हुई।इस हिंसक झडप में तीन लोगों की मौत हो गयी, करीब 100 लोग घायल हो गये। इस मामले में संत रामपाल को पंजाब और हरियाणा हाइकोर्ट में पेश होना है।
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