लालकिले पर पीएम मोदी का वो भाषण जिसने कर दिया बलूचियों को मुरीद
लालकिले की प्राचीर से पीएम का भाषण कई मायनों में अलग था। पहली बार किसी प्रधानमंत्री ने बलूचिस्तान के मुद्दे पर खुलकर बोला।
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। जश्ने आजादी के मौके पर लाल किले से पीएम नरेंद्र मोदी ने बलूचिस्तान का नाम क्या ले लिया वह दुनिया भर में बलूचियों के हीरो बन गये। बलूचिस्तान में छिप कर वहां आजादी की सीधी लड़ाई लड़ने वाले बलूचियों से लेकर स्वतंत्र बलूचिस्तान की मांग को लेकर जर्मनी व अमेरिका में अभियान चलाने वाले बलूचियों की उम्मीदों को जैसे मोदी ने हवा दे दी है। सोशल मीडिया में भी बलूचियों के समर्थन में अभियान ने जोर पकड़ लिया है।
दूसरी तरफ भारत में भी बलूच आंदोलन का समर्थन करने वाले बेहद उत्साहित हैं। भाजपा सांसद सुब्रमणियन स्वामी ने बलूचिस्तान में पाकिस्तान की तरफ से हो रही कार्रवाई को नरसंहार करार दिया है और कहा है कि बलूच लोगों के मानवाधिकार के समर्थन में नई दिल्ली में एक केंद्र खोला जाना चाहिए। स्वामी की तरफ से इस बारे में किये गये ट्विट को 15 घंटे में तीन हजार बार रीट्विट किया जा चुका है और 3700 लोग इसे लाइक कर चुके हैं। इसी तरह से ट्विटर पर भारतीयों की तरफ से बलूच लोगों के समर्थन में विशेष समूह बनाने से लेकर उनके मुद्दे को उभारने के लिए विशेष मंच बनाने तक के सुझाव आ रहे हैं।
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लेकिन मोदी के भाषण का सबसे ज्यादा असर दुनिया के तमाम देशों में आजाद बलूचिस्तान के समर्थन में आंदोलन चला रहे नेताओं पर पड़ा है। बलूचिस्तान के सबसे बड़े नेता नवाब अकबर बुगती के पौत्र व स्विटजरलैंड में बलूच आंदोलन चलाने वाले ब्रह्मुदाघ बुगती ने मोदी के समर्थन का न सिर्फ स्वागत किया है बल्कि भारत को आगे बढ़ कर अंतरराष्ट्रीय फोरम पर इसे उठाने की दोबारा से मांग की है।
कभी पाक सेना के निशान पर रहे लेकिन अभी स्विजरलैंड में निर्वासन की जिंदगी जी रहे बलूच रिपब्लिकन पार्टी (बीआरपी) के नेता अजीजुल्लाह बुगती ने भारतवासियों से आग्रह किया है कि वे उन्हें राजनीतिक लड़ाई लड़ने के लिए हरसंभव मदद मुहैया कराये। ताकि बलूचिस्तान पर पाकिस्तान के अवैध कब्जे का खात्मा हो सके। अंतरराष्ट्रीय ख्याति की एक अन्य बलूची नेता नाएला कादरी बलूत ने मोदी को एक महान राष्ट्र के महान नेता बताते हुए कहा है कि आखिरकार भारत ने 70 सालों की चुप्पी तोड़ दी।
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भारत जैसे राष्ट्र के पीएम का समर्थन मिलने के बाद कई देशों में चल रहे बलूच आजादी आंदोलन के प्रति लोगों की सोच बदली है। जर्मनी व वाशिंगटन में इस तरह के आंदोलन चलाने वाले समूहों ने आज मंगलवार को कहा है कि उनके आंदोलन को अब अंतरराष्ट्रीय समर्थन मिल गया है। इन संगठनों ने मोदी से संयुक्त राष्ट्र में इस मुद्दे को उठाने का आग्रह किया है।
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