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    पीएम मोदी के हमले से बौखलाया पाक, बलूच नेताओं को बातचीत के लिए बुलाया

    By Sanjeev TiwariEdited By:
    Updated: Mon, 15 Aug 2016 07:46 PM (IST)

    पाकिस्तान ने बलूचिस्तान से बाहर निर्वासन में रह रहे बलूच नेताओं को बातचीत के लिए बुलाया है। पाक ने कहा है कि इन मसलों का हल निकालने के लिए वार्ता ही एकमात्र रास्ता है।

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    जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली । बलूचिस्तान पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बयान का असर कुछ घंटों में ही दिखने लगा है। पाकिस्तान ने विदेश में रह रहे प्रमुख बलूच नेताओं को बातचीत के आमंत्रित किया है। दरअसल, प्रधानमंत्री के बयान के बाद बलूचिस्तान के स्वतंत्रता संघर्ष को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर स्वीकृति मिलनी तय है। इसके साथ ही बलूचिस्तान में पाक सेना की बर्बरता और स्थानीय लोगों के साथ हो रहे अत्याचार पर विश्व समुदाय का ध्यान जाएगा।

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    इसे देखते हुए पाकिस्तान बलूच नेताओं के साथ बातचीत का दिखावा करने के लिए मजबूर हुआ है। प्रधानमंत्री ने शुक्रवार को सर्वदलीय बैठक में ही बलूचिस्तान में चल रही आजादी की लड़ाई का जिक्र किया था। इससे पहले राजग की बैठक में भी उन्होंने बलूचिस्तान की स्थिति की चर्चा की थी। इसके बाद से पूरी दुनिया में फैले बलूचिस्तान के लोगों में जबरदस्त उत्साह आ गया है। पहली बार किसी देश की बड़ी राजनीतिक हस्ती ने बलूचिस्तान में आजादी की लड़ाई का समर्थन किया है। इसके बाद बलूच नेताओं में प्रधानमंत्री को बधाई देने का तांता लग गया।

    मोदी ने स्वतंत्रता दिवस के अपने भाषण में इसका जिक्र भी किया है। मोदी ने जैसे ही स्वतंत्रता दिवस पर अपना भाषण खत्म किया, बलूचिस्तान रिपब्लिकन पार्टी ने तत्काल इसका स्वागत किया। पाकिस्तान से निष्कासित पार्टी प्रमुख ब्रहुमदग बुगती ने प्रधानमंत्री के भाषण को उत्साहव‌र्द्धक बताया। उन्होंने उम्मीद जताई कि भारतीय प्रधानमंत्री द्वारा यह मुद्दा उठाने से बलूचिस्तान में पाक सेना के अत्याचार पर विश्व समुदाय का ध्यान जाएगा। बलूचिस्तान ने पाकिस्तान बनने के तत्काल बाद अलग देश की मांग शुरू कर दी थी। तब से इसके लिए संघर्ष जारी है। लेकिन दुनिया के किसी देश ने उनकी लड़ाई को अहमियत नहीं दी।

    पहली बार चार साल पहले टेक्सास के अमेरिकन सिनेटर लोई गोहमर्ट ने बलूचिस्तान को अलग देश बनाने की जरूरत बताई थी। अब मोदी ने बलूचिस्तान में चल रही आजादी की लड़ाई का समर्थन किया है। उनके बयान के दूरगामी असर को देखते हुए पाकिस्तान ने तत्काल इससे निपटने की कोशिश भी शुरू कर दी है। आजादी के बाद पाकिस्तान पहली बार पूरी दुनिया में फैले बलूच नेताओं को बातचीत के लिए आमंत्रित कर रहा है। लेकिन बलूच नेताओं को पाकिस्तान पर जरा भी भरोसा नहीं है। उनका कहना है कि जब तक बलूचिस्तान में सेना का अत्याचार बंद नहीं होता, पाकिस्तान से बातचीत नहीं हो सकती है।

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