प्रधानमंत्री मोदी और राष्ट्रपति अशरफ गनी की दो टूक, सुधरे पाकिस्तान
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और राष्ट्रपति अशरफ घनी ने पाकिस्तान को दो टूक संदेश दिया है कि वह आतंकवाद को पनाह देना बंद कर दे।
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। क्या पाकिस्तान इस संदेश को समझने के लिए तैयार है? संदेश नई दिल्ली से दिया गया है। लेकिन इस बार अकेले भारत ने संदेश नहीं दिया है, बल्कि उसके साथ अफगानिस्तान भी है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अफगानिस्तान के राष्ट्रपति मो. अशरफ गनी की बुधवार को हुई बहुप्रतीक्षित बातचीत में पाकिस्तान को हर तरह के आतंक को पनाह देना बंद करने का सीधा सा संदेश दिया गया है।
पाक समर्थित आतंकवाद से बुरी तरह परेशान दोनों देशों ने पाकिस्तानी रवैये में बदलाव नहीं होने पर अंजाम क्या होंगे, इसके बारे में कुछ नहीं कहा है। लेकिन दोनों नेताओं के बीच सैन्य व रक्षा सहयोग बढ़ाने पर सहमति बनी है। इस सहमति के कूटनीतिक मायने साफ तौर पर समझे जा सकते हैं।
भारत ने अफगानिस्तान को एक अरब डॉलर (6600 करोड़ रुपये) की अतिरिक्त वित्तीय मदद देने का वादा किया है। यह मदद मानवीय आधार व द्विपक्षीय आधार पर दी जाने वाली अन्य मदद के अतिरिक्त होगी। भारत पहले ही अफगानिस्तान को दो अरब डॉलर की मदद दे चुका है। नई मदद के तहत दी जाने वाली राशि वहां शिक्षा व्यवस्था को बेहतर करने, महिलाओं व लोकतांत्रिक व्यवस्थाओं को मजबूत बनाने, स्वास्थ्य व कृषि क्षेत्र में अफगानिस्तान को आत्मनिर्भर बनाने में दी जाएगी।
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इसके अलावा अफगानिस्तान में दवाओं की किल्लत को देखते हुए तत्काल भारत से विश्वस्तरीय व सस्ती दवाओं की आपूर्ति बढ़ाने और सौर उर्जा के क्षेत्र में तकनीकी व अन्य मदद देने को लेकर भी रजामंदी हो गई है। इस तरह से भारत ने अफगानिस्तान को बिजली और स्वास्थ्य क्षेत्र की अहम दिक्कतों से उबारने की पहल की है।
भारत व अफगानिस्तान के बीच किस तरह से सैन्य सहयोग होंगे, इस पर दोनों पक्ष अभी साफ तौर पर कुछ कहने को तैयार नहीं है। विदेश सचिव एस जयशंकर ने पूछने पर जवाब दिया, 'दोनों नेता भारत व अफगानिस्तान के बीच सुरक्षा व रक्षा सहयोग को मजबूत करने के लिए तैयार हैं। अफगानी सेना प्रमुख की हाल की भारत यात्रा के दौरान इस बारे में बातचीत हुई थी।'
एकता से पाकिस्तान होगा आहत
लेकिन आतंकवाद पर दोनों देशों के एक सुर से पाकिस्तान को धक्का लगेगा। मोदी और गनी के बीच हुई बातचीत का एक बड़ा हिस्सा पाकिस्तान के समर्थन से चल रहे आतंकवाद के बारे में रहा है। यही नहीं संकेत इस बात के भी हैं कि दोनों नेताओं के बीच बलूचिस्तान के बारे में भी विचार-विमर्श हुआ है। प्रधानमंत्री मोदी ने हाल ही में बलूचिस्तान में दमन का मुद्दा उठाया है। अफगानिस्तान पहले से ही इस पर आवाज उठाता रहा है।
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विकास की राह का रोड़ा है आतंक
संयुक्त बयान में कहा गया है कि राजनीतिक लाभ के लिए आतंक की मदद करने से क्षेत्र में शांति व विकास की राह में बड़ी बाधाएं पैदा हो रही हैं। मोदी व गनी ने पाकिस्तान का नाम लिए बगैर कहा है कि हर देश को भारत व अफगानिस्तान में आतंक फैलाने वाले समूहों के अलावा अन्य सभी आतंकी समूहों को उकसाना व पनाह देना बंद करना चाहिए।
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