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    पीएमओ ने दी सीबीआइ को चुनौती

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    Updated: Sun, 20 Oct 2013 06:10 AM (IST)

    कोयला ब्लाक आवंटन मामले में कुमार मंगलम बिड़ला और पूर्व कोयला सचिव पीसी पारेख के खिलाफ एफआइआर दर्ज करने से उपजे विवाद पर अंतत: प्रधानमंत्री कार्यालय ने अपनी चुप्पी तोड़ ही दी। आदित्य बिड़ला समूह की कंपनी हिंडाल्को को तालाबीरा (दो) कोयला ब्लाक आवंटित करने को प्रधानमंत्री कार्यालय ने सही ठहराते हुए सीबीआ

    जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। कोयला ब्लाक आवंटन मामले में कुमार मंगलम बिड़ला और पूर्व कोयला सचिव पीसी पारेख के खिलाफ एफआइआर दर्ज करने से उपजे विवाद पर अंतत: प्रधानमंत्री कार्यालय ने अपनी चुप्पी तोड़ ही दी। आदित्य बिड़ला समूह की कंपनी हिंडाल्को को तालाबीरा कोयला ब्लाक आवंटित करने को प्रधानमंत्री कार्यालय ने सही ठहराते हुए सीबीआइ की कार्रवाई को कठघरे में खड़ा कर दिया है। वैसे पीएमओ ने यह तो माना है कि कोयला ब्लाक आवंटन पर गठित स्क्रीनिंग समिति के फैसले को बदल कर हिंडाल्को को उक्त ब्लाक दिया गया, लेकिन इसमें कहीं भी नियमों का उल्लंघन नहीं माना गया। प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने हर तथ्यों को ध्यान में रखते हुए इस फैसले की जिम्मेदारी ली, इसके जवाब में भाजपा ने प्रधानमंत्री का इस्तीफा मांगा है।

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    पढ़ें: पीएम के खिलाफ विपक्ष के साथ पूर्व अफसर भी हुए एकजुटशनिवार शाम पीएमओ ने विस्तृत बयान जारी कर माना कि कोयला ब्लाक आवंटन पर अंतिम फैसला प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने ही किया था। 2005 के उस सारे घटनाक्रम का सिलसिलेवार जिक्र करते हुए पीएमओ ने बताया कि किस तरह कुमार मंगलम बिड़ला की कंपनी हिंडाल्को को कोयला ब्लाक आवंटित हुआ। पीएमओ के इस बयान ने बिड़ला और पूर्व कोयला सचिव पीसी पारेख के खिलाफ एफआइआर दर्ज करने के सीबीआइ के कदम पर भी सवाल उठा दिए हैं। सीधे तौर पर सीबीआइ ने जिन तर्को के आधार पर इन दोनों के खिलाफ एफआइआर की है, उसे पीएमओ ने खारिज कर दिया है।

    पीएमओ ने स्पष्ट किया है कि कोयला ब्लाक आवंटन पर अंतिम फैसला करने का अधिकार तब प्रधानमंत्री के पास ही था। साथ ही संबंधित कोयला ब्लाक (तालाबीरा) को पहले स्क्रीनिंग समिति ने सरकारी कंपनी नेवेली लिग्नाइट को देने का फैसला किया था। इसके बाद कुमार मंगलम बिड़ला ने पीएमओ के समक्ष प्रेजेंटेशन दिया और पत्र लिखे। इसे कोयला मंत्रालय को भेज दिया गया। इस बीच ओडिशा सरकार ने भी हिंडाल्को को कोयला ब्लाक देने की जोरदार सिफारिश की। इसके बाद कोयला मंत्रालय ने महानदी कोलफील्ड्स लिमिटेड (एमसीएल), नेवेली लिग्नाइट कारपोरेशन (एनएलसी) और हिंडाल्को के संयुक्त उद्यम को तालाबीरा-दो और तालाबीरा-तीन ब्लाक देने का प्रस्ताव किया। पीएमओ ने इस पर स्वीकृति दे दी।

    हालांकि पीएमओ की इस बेलौस स्वीकारोक्ति ने विपक्षी दलों को प्रधानमंत्री पर सीधे हमला करने का और मौका भी दिया है। भाजपा प्रवक्ता बलबीर पुंज ने बिना देरी किए कहा कि जिस मामले में एफआइआर दर्ज हुई है, उसमें पीएम की सफाई के बजाय, उनका इस्तीफा आना चाहिए था। बकौल पुंज, पीएमओ के इस बयान के बाद साफ है कि इस मामले में सीबीआइ को उन्हें पहला अभियुक्त बनाना चाहिए था। बता दें कि पीसी पारेख ने कहा था कि अगर उन्हें आरोपी बनाया गया है तो आवंटन पर अंतिम फैसला लेने के नाते पीएम को आरोपी नंबर एक बनाना चाहिए।

    'सभी पहलुओं से संतुष्ट होने के बाद ही पीएम ने तालाबीरा कोयला ब्लाक आवंटन पर अंतिम फैसला लिया, जो पूरी तरह से सही था। सीबीआइ जांच के लिए स्वतंत्र है और हो सकता है कि उसके पास आवंटन के बाद के कुछ दस्तावेज हों।'

    - प्रधानमंत्री कार्यालय

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