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समुद्र में संयुक्त कॉन्फ्रेंस कर पीएम मोदी ने रचा इतिहास

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज कोच्चि में जंगी जहाज आईएनएस विक्रमादित्य पर पहली बार समंदर में आयोजित संयुक्त कमांडर्स कॉन्फ्रेंस को संबोधित कर नया इतिहास रच दिया है। इसमें सम्मेलन में पीएम के अलावा रक्षा मंत्री मनोहर पर्रिकर, तीनों सेनाओं के प्रमुखों और एनएसए अजीत डोभाल ने भी हिस्सा लिया।

By Kamal VermaEdited By: Published: Tue, 15 Dec 2015 08:48 AM (IST)Updated: Tue, 15 Dec 2015 02:53 PM (IST)

नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज कोच्चि में जंगी जहाज आईएनएस विक्रमादित्य पर पहली बार समंदर में आयोजित संयुक्त कमांडर्स कॉन्फ्रेंस को संबोधित कर नया इतिहास रच दिया है। इसमें सम्मेलन में पीएम के अलावा रक्षा मंत्री मनोहर पर्रिकर, तीनों सेनाओं के प्रमुखों के साथ एनएसए अजीत डोभाल ने भी हिस्सा लिया। यह पहला मौका है जब रक्षा मंत्री और तीनों सेनाओं के प्रमुखों सहित टॉप कमांडर्स का ये सम्मेलन राजधानी दिल्ली से बाहर समुद्र में हुआ। प्रधानमंत्री के स्वागत में नौसेना ने प्रधानमंत्री के सामने अपना शक्ति प्रदर्शन भी किया।

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इस सम्मलेन में तीनों सेनाओं के प्रमुख देश की आंतरिक और बाहरी सुरक्षा की चुनौतियों और उनसे निपटने की तैयारियों के बारे में चर्चा हुई। प्रधानमंत्री सुबह 8 बजकर 50 मिनट पर आईएनएस गरुड़ से चले और आईएनएस विक्रमादित्य पर 9 बजकर 30 मिनट पर पहुचे। यहां से पीएम मोदी कोल्लम के लिए रवाना हो गए हैं।

क्या है जहाज विक्रमादित्य

आईएनएस विक्रमादित्य न सिर्फ एक जंगी जहाज है, बल्कि समंदर में तैरता छोटा-मोटा शहर भी है। संस्कृत शब्द विक्रमादित्य का अर्थ है-सूर्य की तरह प्रकाशवान और प्रतापी और दिलचस्प बात ये है कि आईएनएस विक्रमादित्य भी इतना प्रकाशवान है कि किसी शहर को अपनी रौशनी से जगमग कर सकता है।

14 जून 2014 को आईएनएस विक्रमादित्य को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राष्ट्र को समर्पित किया अब विक्रमादित्य नौसेना का मुख्य युद्धक पोत है। इसके रहते हिंदुस्तान की 7000 किलोमीटर लंबी समुद्री सरहद की तरफ दुश्मन आंख उठा कर भी नहीं देख सकता है। 30 नॉट यानी 56 किलोमीटर प्रति घंटे की रफतार से ये तेजी से युद्धक्षेत्र तक पहुंचता है। विक्रमादित्य 6 नली वाली AK-630 तोप से लैस है। इस पर 8 ब्रह्मोस मिसाइल भी हैं। जमीन से हवा पर मार करने वाली बराक मिसाइल इसे दुश्मन विमानों से बचाते हैं। लंबी दूरी के अत्याधुनिक एयर सर्विलेंस रडार दुश्मन के हमले से पहले ही इसे सावधान कर देते हैं।

आईएनएस विक्रमादित्य को 16 नवंबर 2013 को रूस के सेवमास शिपयार्ड में भारतीय नौसेना में कमीशन किया गया था। रूस ने डी-कमीशंड हो चुके एडमिरल गोर्शकोव नाम के अपने जहाज को भारतीय नौसेना की जरूरत के हिसाब से एक ताकतवर हथियार में बदल दिया है। आईएनएस विक्रमादित्य फिलहाल देश का सबसे बड़ा जंगी जहाज है, लिहाजा इसे चलाना किसी शहर को चलाने के बराबर है।

विक्रमादित्य एक बार में 45 दिन तक समंदर में रह सकता है, लेकिन अगर इसे समंदर के बीच टैंकर से ईंधन दिया जाता रहे तो ये जबतक चाहे तबतक समंदर में तैरता रहा सकता है। अपनी इसी विशालता और ताकतवर प्रणाली की वजह से आईएनएस विक्रमादित्य नौसेना के लिए सबसे खास है-और दुश्मन के लिए बुरा ख्वाब है।

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