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    कश्मीर मुद्दे पर पाकिस्तान आज मनाएगा काला दिवस, भारत ने दर्ज की आपत्ति

    By Lalit RaiEdited By:
    Updated: Wed, 20 Jul 2016 05:48 AM (IST)

    पाकिस्तान की नापाक चाल से दुनिया अब परिचित हो चुकी है। कश्मीर के मुद्दे पर काला दिवस मनाने की योजना का भारत ने जमकर विरोध किया है।

    नई दिल्ली(जेएनएन)। पड़ोसी मुल्क पाकिस्तान कश्मीर को सुलगाए रखने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ रहा। इसके लिए पाक ने बुधवार, 20 जुलाई को अपने मुल्क में कश्मीरियों की आजादी की मांग व आतंकी बुरहान की मौत के विरोध में ब्लैक डे अथवा यौम ए स्याह मनाने का एलान कर रखा है। पाक की इस साजिश का हिस्सा बने अलगाववादियों ने भी कश्मीरी आवाम को भड़काते हुए 20 से 22 जुलाई तक काले झंडे लहराने के साथ प्रदर्शन करने का ऐलान किया है। पाकिस्तान और अलगाववादियों की इस गुस्ताखी का माकूल जवाब देने के लिए सुरक्षाबलों ने पक्की तैयारी की है।

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    15 जुलाई को लाहौर के गवर्नर हाउस में कश्मीर के मुद्दे को लेकर बुलाई गई केंद्रीय कैबिनेट की ख़ास मीटिंग में ये फैसला लिया गया कि कश्मीर के हालात को लेकर काला दिवस मनाएंगे। दरअसल, पाकिस्तान इसके ज़रिए कश्मीर मुद्दे को अंतरराष्ट्रीय पटल पर एक और बार उछालना चाहता है। इसलिए काला दिवस के साथ-साथ उसने कश्मीर के हालात पर चर्चा के लिए संसद का संयुक्त सत्र भी बुलाने का फैसला किया है।

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    भारत, पाकिस्तान के ऐसा करने पर अपनी कड़ी आपत्ति जता चुका है। भारत कहता है कि पाकिस्तान को भारत के अंदरूनी मामले में बोलने का हक़ नहीं है, लेकिन पाकिस्तान इस्लामाबाद से लेकर यूएन से लेकर इस प्लेटफॉर्म पर इसे उठा रहा है।

    कैबिनेट में पाकिस्तानी प्रधानमंत्री नवाज़ शरीफ़ की तरफ से लिए फैसले को लेकर पाकिस्तान में केन्द्रीय और प्रांतीय हर सरकारी महकमे को ये दिशा-निर्देश जारी किए गए हैं कि इसे हर तरह से लागू किया जाए। इस दिन सभी सरकारी कर्मचारियों को अपनी बांहों पर काली पट्टी बांधने को कहा गया है। बुरहान वानी को आतंकवादी होने की वजह से मारा गया, लेकिन पाकिस्तान उसे शहीद बता रहा है। इसलिए कश्मीर में हुई शहादत के लिए ख़ास नमाज़ कराने की व्यवस्था करने का आदेश भी दिया गया है। ये पाकिस्तान में ही नहीं बल्कि दुनिया भर के देशों में रहने वाले पाकिस्तानियों और राजनयिकों के लिए भी लागू किया गया है।

    उधर, कश्मीर में जारी हिंसा में सोमवार शाम काजीगुंड फायङ्क्षरग में घायल महिला नीलोफर की मंगलवार सुबह अस्पताल में इलाज के दौरान मौत हो गई। इसके बाद लोग सड़कों पर उतर आए और भारी विरोध जताया। काजीगुंड फायरिंग में मरने वालों की संख्या तीन हो गई है। जबकि कश्मीर हिंसा में मारे गए लोगों का आंकड़ा 48 पहुंच गया है। मृतक नीलोफर के आठ वर्षीय पुत्र समेत छह लोग अस्पताल में उपचाराधीन हैं। इस बीच, सेना की 15वीं कोर के कमांडर लेफ्टिनेंट जनरल एसके दुआ, राज्य पुलिस महानिदेशक के राजेंद्रा, एडीजीपी सीआइडी एसएम सहाय और आइजीपी कश्मीर एसजेएम जिलानी ने तड़के कुलगाम का दौरा किया। उन्होंने संबंधित सैन्य व पुलिस अधिकारियों के साथ बैठक की। इसके अलावा स्थानीय गणमान्य नागरिकों के साथ भी बातचीत कर हालात सामान्य बनाने पर चर्चा की गई। सेना ने काजीगुंड घटना पर खेद जताते हुए पूरे मामले की कोर्ट ऑफ इंक्वायरी के आदेश दे दिए हैं।

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    दक्षिण कश्मीर में छूरहट-काजीगुंड में सोमवार शाम प्रदर्शनकारियों ने नौ आरआर के जवानों के एक दल को रास्ते में रोक लिया था। जवानों ने कई बार प्रदर्शनकारियों को चेतावनी देते हुए वहां से हटाने का प्रयास किया, लेकिन नाकाम रहे। तथाकथित तौर पर प्रदर्शनकारियों ने सैन्यकर्मियों के साथ मारपीट करते हुए उनके हथियार छीनने का प्रयास किया। इस पर जवानों को फायरिंग करनी पड़ी, जिसमें एक महिला समेत दो लोगों की मौके पर ही मौत हो गई थी। नीलोफर व उसके बेटे समेत सात लोग जख्मी हुए थे। नीलोफर ने तड़के शेर-ए-कश्मीर आयुर्विज्ञान संस्थान सौरा में दम तोड़ दिया। उसका शव जैसे ही उसके गांव पहुंचा, पूरा माहौल बदल गया। लोग सड़कों पर उतर आए और देश विरोधी प्रदर्शनों का दौर शुरू हो गया। आजादी समर्थक नारेबाजी के बीच नीलोफर को दफनाया गया।
    रक्षा मंत्रालय के प्रवक्ता लेफ्टिनेंट कर्नल एनएन जोशी ने काजीगुंड घटना पर खेद जताते हुए कहा कि सेना ने इस मामले में जांच का आदेश दे दिया है। पीडि़त परिवारों की हर प्रकार से मदद की जाएगी। अगर कोई जवान या अधिकारी अकारण ही फायरिंग का दोषी हुआ तो उसके खिलाफ कार्रवाई होगी।

    छिटपुट हिंसा को छोड़कर शांत रही वादी

    कश्मीर घाटी में मंगलवार को कड़ी सुरक्षा का असर हर तरफ नजर आया। शाम तक सिर्फ टहाब, पुलवामा, संगम, बिजबिहाड़ा, त्राल, कुलगाम और श्रीनगर के बटमालू, बगयास व गांदरबल के फतेहपोरा व आहन इलाके में ही पुलिस और प्रदर्शनकारियों के बीच छिटपुट ङ्क्षहसक झड़पें हुईं। उत्तरी कश्मीर के सोपोर, बारामुला, बांडीपोर, हाजिन, कुपवाड़ा, हंदवाड़ा और मध्य कश्मीर के बडग़ाम जिले में बंद व प्रशासनिक पाबंदियों का असर दिनभर सामान्य जनजीवन पर नजर आया। इन इलाकों में भी शाम तक कोई बड़ी ङ्क्षहसक घटना नहीं हुई।

    इंटरनेट व रेल सेवा ठप, सड़कें वीरान


    वादी में लगातार 11वें दिन बंद और कफ्र्यू से सामान्य जनजीवन पूरी तरह अस्त व्यस्त रहा। सभी मोबाइल इंटरनेट सेवाएं, प्री-पेड मोबाइल सेवा और निजी कंपनियों की प्रत्येक टेलीफोन सेवा ठप रही। सड़कों पर वाहनों का आवागमन न के बराबर था। सरकारी कार्यालयों में तमाम प्रशासनिक आदेशों के बावजूद कर्मियों की उपस्थिति नाममात्र रही। बनिहाल-बारामुला रेलवे लाइन पर भी कोई रेलगाड़ी नहीं दौड़ी। वहीं सभी स्कूल, कॉलेज, निजी प्रतिष्ठान पूरी तरह बंद रहे।

    अलगाववादी नजरबंद
    कट्टरपंथी सईद अली शाह गिलानी, उदारवादी हुर्रियत कांफ्रेंस के प्रमुख मीरवाइज मौलवी उमर फारूक, मुहम्मद यासीन मलिक, शब्बीर शाह और इंजीनियर हिलाल समेत सभी प्रमुख अलगाववादी नेता मंगलवार को भी अपने घरों में नजरबंद रहे। इन सभी को प्रशासन ने आठ जुलाई की रात को ही नजरबंद बना लिया था।

    अवाम को भड़काया

    कट्टरपंथी सईद अली शाह गिलानी, मीरवाईज मौलवी उमर फारूक, जेकेएलएफ चेयरमैन मुहम्मद यासीन मलिक ने मंगलवार को एक साझा बयान जारी कर लोगों को भड़काया कि पाकिस्तान हम कश्मीरियों के साथ हमदर्दी के लिए बुधवार को यौम ए स्याह मना रहा है। इसलिए हमारा भी फर्ज है कि हम कश्मीर में भी ब्लैक डे को कामयाब बनाएं। अलगाववादियों ने लोगों से कहा कि वे बुधवार को अपने मकानों, दुकानों व अन्य प्रतिष्ठानों के अलावा सार्वजनिक स्थलों पर काले झंडे लगाएं। इसके अलावा रात साढ़े आठ बजे से नौ बजे तक अपने मोबाइल फोन, घरों में बिजली के बल्व व बिजली के अन्य उपकरण पूरी तरह बंद रखें। इसके साथ ही पूरा दिन बंद रखा जाए, लेकिन 21 जुलाई वीरवार को वह सिर्फ दोपहर दो बजे तक ही हड़ताल को जारी रखें और उसके बाद शुक्रवार 22 को पूर्ण हड़ताल करें व नमाज ए जुमा के बाद ङ्क्षहदोस्तान के खिलाफ प्रदर्शन करें।

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