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    निर्दोष भारतीयों को 'जासूसी' में फंसाना पाक की पुरानी चाल

    By Gunateet OjhaEdited By:
    Updated: Tue, 11 Apr 2017 09:35 AM (IST)

    पाकिस्तान पहले भी इस तरह की हरकत कर कई निर्दोष भारतीयों की जान ले चुका है।

    निर्दोष भारतीयों को 'जासूसी' में फंसाना पाक की पुरानी चाल

    नई दिल्ली, जेएनएन। भारत के पूर्व नौसेना अधिकारी कुलभूषषण जाधव को पाकिस्तान की सैन्य कोर्ट ने सोमवार को जासूसी के आरोप में फांसी की सजा सुनाई है। यह पहला मौका नहीं है जब पाकिस्तान भारत से बदला लेने की खीझ में किसी निर्दोष भारतीय कैदी को सजा दे रहा है। वह पहले भी इस तरह की हरकत कर कई निर्दोष भारतीयों की जान ले चुका है।

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    हालिया चार प्रमुख मामले ये हैं 

    1. किरपाल सिंह

    पंजाब के गुरदासपुर से संबंध रखने वाले किरपाल सिंह 1992 में गलती से पाकिस्तान की सीमा में दाखिल हुए। उन पर पाकिस्तान के पंजाब प्रांत में बम धमाका करने का मुकदमा चला। 25 वर्षों तक वह जेल में रहे। लाहौर हाई कोर्ट द्वारा बरी किए जाने के बावजूद पाकिस्तान ने उन्हें आजाद नहीं किया। अज्ञात कारणों से लाहौर जेल में उनकी मौत हो गई।

    2. किशोर भगवान

    फरवरी 2014 को भारतीय मछुआरे किशोर भगवान की पाकिस्तानी जेल में मौत की खबर आई। उन पर बिना किसी दस्तावेज पाकिस्तान के आर्थिक क्षेत्र में घुसने का आरोप था। पाकिस्तान की समुद्री सुरक्षा एजेंसी ने उन्हें गिरफ्तार किया। 2013 में किशोर ने जेल से भागने का भी प्रयास किया, पर पकडे़ गए। अज्ञात कारणों से जेल में उनकी मौत हो गई।

    3. सरबजीत सिंह

    पंजाब के तरणतारण जिले के सरबजीत पर 1990 में पाकिस्तान के पंजाब प्रांत में बम धमाकों में शामिल होने का आरोप लगा। दरअसल, वह धमाकों के दौरान गलती से सीमा पार कर पाकिस्तान चले गए थे। वहां उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया।

    4. चमेल सिंह

    जम्मू जिले के चमेल सिंह को पाकिस्तानी सेना ने 2008 में गिरफ्तार किया। उन पर जासूसी करने का आरोप लगा। उनके परिवार के मुताबिक खेतों में काम करने के दौरान उन्होंने गलती से सीमा पार कर ली थी। 2013 में लाहौर की जेल में पुलिसवालों की पिटाई से उनकी जान चली गई।

    डरा-धमका कर जाधव का बनाया वीडियो

    102 कट पाक सेना ने गत वर्ष मार्च में जाधव की पूछताछ का वीडियो जारी किया था। करीब 358 सेकंड (करीब छह मिनट) के वीडियो में 102 से ज्यादा जगह कांट-छांट कर तोड़े-मरोडे़ जाने का खुलासा हुआ है। इसी कबूलनामे को सजा का आधार बनाया गया, लेकिन पूछताछ ही शंका के घेरे में है तो सजा पर सवाल लाजमी हैं। भारत सरकार ने इसीलिए उसे खारिज कर दिया था।

    वीडियो और उठे सवाल

    जाधव कहते दिखाई देते हैं.. मेरी एक्टिविटी एंटी नेशनल थी। मुझे ईरान बॉर्डर से पाकिस्तान की तरफ से पकड़ा गया। कोई भारतीय ऐसा बयान नहीं दे सकता है। पौन मिनट बाद जाधव ने भारत का नाम लिया। एक मिनट बाद ही साफ हो जाता है कि वह पढ़कर बोल रहे हैं। करीब ढाई मिनट बाद वह बलूचिस्तान का नाम लेते हैं।  चार मिनट बाद जाधव ने 3 मार्च, 2016 को गिरफ्तारी का जिक्र किया।  उनके बयान में कई बार जुबां व होंठों का तालमेल बिगड़ा दिखा।

    गिरफ्तारी के वक्त पाक ने लगाए थे मनगढ़त आरोप

    3 मार्च 2016 को गिरफ्तारी के वक्त जाधव भारतीय नौसेना में कमांडर थे। मजिस्ट्रेट के समक्ष उन्होंने रॉ का एजेंट होने की बात कबूली। जाधव ने नाम बदलकर हुसैन मुबारक पटेल कर लिया था। रॉ ने बलूचिस्तान व कराची में जासूसी व विद्रोह भड़काने के लिए भेजा गया था। उन्हें ईरान के रास्ते अशांत बलूचिस्तान पहुंचने पर गिरफ्तार किया गया था।

    भारत ने ठुकराए थे आरोप

    जाधव का सरकार या किसी भारतीय खुफिया एजेंसी से कोई संबंध नहीं था। नौसेना से उन्होंने समय पूर्व सेवानिवृत्ति ले ली थी। सेवानिवृत्ति के बाद वह व्यापार के सिलसिले में ईरान, अफगानिस्तान व पाकिस्तान जाते थे। पाक सेना ने पूछताछ का जो वीडियो जारी किया उसमें जाधव काफी डरे सहमे नजर आ रहे थे। जाधव से भारतीय दूतावास के अफसरों के समक्ष पूछताछ का आग्रह किया था, जिसे नहीं माना गया।

    फांसी टली, लेकिन जेल में ही कर दी गई सरबजीत की हत्या

    भारतीय नागरिक सरबजीत सिंह को भी पाकिस्तान ने जासूसी और आतंकवाद के आरोप लगाकर सजा और प्रताड़ना दी थी। वह 28 अगस्त 1990 को शराब के नशे में पंजाब से सीमा पार कर गया था। उसे रॉ का एजेंट बताते हुए उसे लाहौर, मुल्तान और फैसलाबाद बम धमाकों का आरोपी बनाया गया। बाद में फर्जी आरोपों के दम पर अक्टूबर 1991 में उसे फांसी की सजा सुनाई गई। एक अप्रैल 2008 को सरबजीत को फांसी देना तय कर दिया गया लेकिन कूटनीतिक प्रयासों के बाद फांसी टल गई। फिर जून 2012 में पाक मीडिया ने खबर दी कि सरबजीत को रिहा किया जा रहा है लेकिन यह खबर अफवाह साबित हुई। पाक सरकार ने सरबजीत के बदले सुरजीत सिंह की रिहाई का आदेश दे दिया था। 2 मई 2013 को उसकी लाहौर की कोट लखपत जेल में हत्या कर दी गई थी।

    सरबजीत की बहन बोली बचाएं कुलभूषण की जान

    सरबजीत की बहन दलबीर कौर ने सरकार से सजा के खिलाफ अंतरराष्ट्रीय कोर्ट में जाने समेत हरसंभव कदम उठाने और कुलभूषषण की जान बचाने का आग्रह किया है। उन्होंने कहा 'जाधव के परिवार का दर्द मैं समझ सकती हूं।'

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