कुलभूषण जाधव को फांसी की सजा देना अंतरराष्ट्रीय मानकों का उल्लंघन: एमनेस्टी
एमनेस्टी इंटरनेशनल ने कहा, कुलभूषण जाधव को मौत की सजा देना दर्शाता है कि किस तरह पाकिस्तान की सैन्य अदालत ने अंतरराष्ट्रीय मानकों की धज्जियां उड़ाई हैं।
लंदन, पीटीआई। भारतीय नागरिक कुलभूषण जाधव को कथित जासूसी के आरोप में मौत की सजा देकर पाकिस्तान की सैन्य अदालत ने एक बार फिर दिखा दिया है कि किस तरह 'उसने अंतरराष्ट्रीय मानकों का 'माखौल उड़ाया' है। एमनेस्टी इंटरनेशनल ने सोमवार को सैन्य अदालत के इस फैसले की क्षमता पर भी सवाल उठा दिए।
एमनेस्टी इंटरनेशनल के दक्षिण एशिया निदेशक बिराज पटनायक ने कहा, 'कुलभूषण जाधव को मौत की सजा देना दर्शाता है कि किस तरह पाकिस्तान की सैन्य अदालत ने अंतरराष्ट्रीय मानकों की धज्जियां उड़ाई हैं।' वह कथित जासूसी मामले में जाधव को पाकिस्तान की सैन्य अदालत द्वारा मौत की सजा देने पर प्रतिक्रिया जता रहे थे।
उन्होंने बयान जारी कर कहा, 'बचावकर्ताओं को उनके अधिकारों से वंचित करना और कुख्यात गोपनीय तरीके से काम कर सैन्य अदालतें न्याय नहीं करतीं, बल्कि उसका मजाक उड़ाती हैं। उनकी काफी गलत व्यवस्था है जिन्हें केवल सैन्य अनुशासन के मुद्दों से निपटना चाहिए न कि अन्य अपराधों से।' उन्होंने कहा कि एमनेस्टी हमेशा किसी भी स्थिति में मौत की सजा का विरोध करती है।
बता दें कि भारतीय नौसेना के पूर्व अधिकारी कुलभूषण यादव को जासूसी के आरोप में मार्च 2016 में पाकिस्तान में गिरफ्तार किया गया था। कुलभूषण को पाकिस्तान ने इस्लामाबाद के खिलाफ युद्ध छेड़ने और जासूसी के आरोप में मौत की सज़ा सुनाई है।
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