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    जानिए, गिलगित-बाल्टिस्तान पर पाक की कौन सी चाल ने बढ़ाई भारत की चिंता

    By Rajesh KumarEdited By:
    Updated: Wed, 15 Mar 2017 09:46 PM (IST)

    कुछ दिनों पहले डॉन अखबार ने भी गिलगित-बाल्टिस्तान को प्रांत बनाए जाने के संकेत दिए थे।

    जानिए, गिलगित-बाल्टिस्तान पर पाक की कौन सी चाल ने बढ़ाई भारत की चिंता

    इस्लामाबाद, प्रेट्र : रणनीतिक तौर पर अहम माने जाने वाले विवादित क्षेत्र गिलगित-बाल्टिस्तान को पाकिस्तान अपना पांचवां प्रांत घोषित करने की योजना बना रहा है। गुलाम कश्मीर से सटा यह इलाका वृहद विवादित क्षेत्र का हिस्सा है। ऐसे में पाक का यह कदम भारत की चिंताओं को बढ़ाने वाला है।

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    पाकिस्तान के अंतर प्रांतीय समन्वय मंत्री रियाज हुसैन पीरजादा ने जियो टीवी को बताया कि विदेश मामलों के सलाहकार सरताज अजीज की अगुआई वाली एक समिति ने गिलगित-बाल्टिस्तान को प्रांत का दर्जा देने की सिफारिश की है। मौजूदा स्थिति पाकिस्तान में गिलगित-बाल्टिस्तान एक अलग भौगोलिक क्षेत्र माना जाता है। फिलहाल यह एक स्वायत्तशासी क्षेत्र है। विधानसभा और एक चुना हुआ मुख्यमंत्री है।

    72,971 वर्ग किमी में फैले इस इलाके की अनुमानित जनसंख्या 18 लाख है। इसकी सीमाएं पश्चिम में खैबर-पख्तूनख्वा से, उत्तर में अफगानिस्तान के वाखान गलियारे से, उत्तर-पूर्व में चीन के शिनजियांग प्रांत से, दक्षिण में गुलाम कश्मीर और दक्षिण-पूर्व में जम्मू-कश्मीर से लगती है। पाकिस्तान इस क्षेत्र को गुलाम कश्मीर से अलग मानता है, जबकि भारत के अनुसार यह वृहद विवादित क्षेत्र का हिस्सा है। पीरजादा ने बताया कि इस क्षेत्र को प्रांत का दर्जा देने के लिए संविधान में संशोधन करना होगा।

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    ..इसलिए बदलाव

    46 अरब डॉलर की लागत से बनने वाला चीन-पाकिस्तान इकनॉमिक कॉरिडोर (सीपीईसी) इस इलाके से होकर गुजरेगा। भारत की आपत्तियों को दरकिनार कर चीन और पाक इस परियोजना पर आगे बढ़ रहे हैं। माना जा रहा है कि गिलगित-बाल्टिस्तान के अनिश्चित दर्जे को लेकर चीन की चिंता को देखते हुए ही पाकिस्तान ने उसका दर्जा बदलने का फैसला किया है।

    पहले से संकेत

    कुछ दिनों पहले डॉन अखबार ने भी गिलगित-बाल्टिस्तान को प्रांत बनाए जाने के संकेत दिए थे। अखबार ने कहा था कि सीपीईसी को कानूनी तौर पर पुख्ता बनाने के लिए पाकिस्तान इस इलाके का संवैधानिक दर्जा बढ़ाने पर विचार कर रहा है। रिपोर्ट में विशेषज्ञों के हवाले से कहा गया था कि यह कदम पूरे कश्मीर क्षेत्र के भविष्य को लेकर पाकिस्तान के रुख में ऐतिहासिक बदलाव का इशारा दे सकता है। साल की शुरुआत में बीबीसी से बातचीत में गिलगित-बल्टिस्तान के मुख्यमंत्री हफीजुर्रहमान ने भी कहा था कि एक समिति इस विकल्प पर काम कर रही है।

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