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    'आप' की कलह को शिवसेना ने बताया भयावह

    शिवसेना ने आम आदमी पार्टी (आप) की राष्ट्रीय परिषद से प्रशांत भूषण और योगेंद्र यादव को निकाले जाने की घटना को भयावह बताया है। शिवसेना ने अपने मुखपत्र सामना के संपादकीय में लिखा कि यादव और भूषण को कुछ मसलों पर आप प्रमुख अरविंद केजरीवाल के विरोध का खामियाजा भुगतना

    By Sanjay BhardwajEdited By: Updated: Wed, 01 Apr 2015 12:22 AM (IST)

    मुंबई। शिवसेना ने आम आदमी पार्टी (आप) की राष्ट्रीय परिषद से प्रशांत भूषण और योगेंद्र यादव को निकाले जाने की घटना को भयावह बताया है। शिवसेना ने अपने मुखपत्र सामना के संपादकीय में लिखा कि यादव और भूषण को कुछ मसलों पर आप प्रमुख अरविंद केजरीवाल के विरोध का खामियाजा भुगतना पड़ा।

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    केजरीवाल पर निशाना साधते हुए सामना में लिखा गया कि आपातकाल के बाद इंदिरा गांधी को हराकर जनता पार्टी भी सत्ता में आई थी, लेकिन छोटे-छोटे दलों के गठजोड़ से बनी यह पार्टी अंतत: टूट गई थी।

    संपादकीय में कहा गया कि आखिर आप और अन्य दलों में अंतर क्या है? जिस तरीके से भूषण और यादव को बाहर किया गया वह भयावह है। उनका अपराध केवल केजरीवाल का विरोध करना था। जबकि दोनों ने केजरीवाल को पूरी शिद्दत से समर्थन दिया था। हालांकि भूषण ने उनकी कुछ गलतियों को उजागर किया था। वहीं यादव अपनी राजनीतिक सूझ-बूझ के लिए जाने जाते हैं।

    आप की जनता पार्टी से तुलना करते हुए संपादकीय में कहा गया कि आप का परिणाम भी वहीं हो सकता है जो कि छठवां आम चुनाव जीतने के बाद जनता पार्टी का हुआ था। शिवसेना ने कहा कि आप में जो कुछ हो रहा है उसे देखते हुए केजरीवाल को राजनीति के बारे में दूसरों को सीख देना बंद करना चाहिए।

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