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    टूट की कगार पर 'आप', योगेंद्र-प्रशांत बना सकते हैं नई पार्टी

    आम आदमी पार्टी (आप) की राष्ट्रीय कार्यकारिणी से निकाले गए वरिष्ठ नेता प्रशांत भूषण व योगेंद्र यादव जल्दी ही अपनी अलग पार्टी बना सकते हैं। इसकी तैयारी के तहत उन्होंने जल्दी ही पार्टी के कार्यकर्ताओं की एक समानांतर बैठक बुलाने का फैसला किया है। इसमें वे अपने अगले कदम का

    By Sachin kEdited By: Updated: Tue, 31 Mar 2015 09:48 AM (IST)

    जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। आम आदमी पार्टी (आप) की राष्ट्रीय कार्यकारिणी से निकाले गए वरिष्ठ नेता प्रशांत भूषण व योगेंद्र यादव जल्दी ही अपनी अलग पार्टी बना सकते हैं। इसकी तैयारी के तहत उन्होंने जल्दी ही पार्टी के कार्यकर्ताओं की एक समानांतर बैठक बुलाने का फैसला किया है। इसमें वे अपने अगले कदम का एलान करेंगे। इसमें पार्टी के कुछ मौजूदा सांसद व विधायक भी शामिल हो सकते हैं।

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    पार्टी के अहम पदों से हटाए गए योगेंद्र यादव ने सोमवार को बताया कि वे पार्टी में पिछले कुछ दिनों की गतिविधियों से बेहद नाराज हैं। साथ ही, उन्होंने बताया कि वे बड़ी संख्या में पार्टी के कार्यकर्ताओं के साथ संपर्क में हैं। अब दो हफ्ते के अंदर वे एक बड़ी बैठक में सभी समर्थकों को बुला कर इस बारे में फैसला करेंगे। हालांकि उन्होंने अभी साफ तौर पर नहीं कहा है कि वे नई पार्टी बनाएंगे।

    वे इस बारे में कोई एलान करने से पहले अपने समर्थकों को पूरी तरह तौल लेना चाहते हैं। उनके समर्थक चाहते हैं कि अब नए सिरे से तैयारी कर चुनावी मैदान में उतरा जाए। पार्टी के एक सांसद व कुछ विधायक भी उनके साथ हैं। यादव ने यह भी कहा है कि वे शनिवार को बैठक के दौरान हुई घटना को लेकर अदालत या चुनाव आयोग में जाने के पक्ष में नहीं।

    उधर, शनिवार को हुई पार्टी की राष्ट्रीय परिषद की बैठक के दौरान हुए केजरीवाल के भाषण के जारी किए गए वीडियो को प्रशांत भूषण ने संपादित करार दिया है। उन्होंने कहा कि भाषण के दौरान काफी नारेबाजी व हंगामा हुआ था। मगर उस हिस्से को काट-छांट दिया गया। इसके बावजूद उनके भाषण से साफ हो गया है कि पार्टी में सिर्फ उन्हीं की चलती थी।

    आप विधायकों में सुलग रही आग

    नई दिल्ली [राज्य ब्यूरो]। आम आदमी पार्टी (आप) की राष्ट्रीय कार्यकारिणी से संस्थापक सदस्य प्रशांत भूषण, योगेंद्र यादव, प्रो. आनंद कुमार व अजित झा को निकाले जाने का फैसला पार्टी के कई विधायकों को हजम नहीं हो रहा है। विधायक खुले तौर पर तो पार्टी के शीर्ष नेतृत्व के विरोध में नहीं आ रहे हैं, मगर उनमें आग सुलग रही है जो आगे चलकर भड़क सकती है। सूत्रों का कहना है कि प्रशांत भूषण गुट ने ही इन लोगों को शांत रहने को कहा है। नाराज विधायकों की संख्या 12 के करीब बताई जा रही है। बताया जा रहा है कि पार्टी में कभी भी बगावत हो सकती है।

    12 विधायकों को लेकर था ऐतराज

    विधानसभा चुनाव में जीतकर आए विधायकों में से 12 लोगों को निकाल दिया जाए तो अन्य नेताओं को लेकर प्रशांत भूषण आदि को भी कोई ऐतराज नहीं था। प्रशांत भूषण ने केवल इन शिकायतों की जांच के लिए पार्टी के लोकपाल को पत्र लिखा था। सूत्रों का कहना है कि चुनाव जीतने के बाद पार्टी के कई विधायक प्रशांत भूषण से आशीर्वाद लेने गए थे। प्रशांत ने उस समय भी विधायकों से यही कहा था कि आप जनता की उम्मीदों पर खरा उतरो।

    भूषण की रही है अहम भूमिका

    यह बात भी किसी से छिपी नहीें है कि जो लोग चुनाव जीत कर आए हैं या पार्टी में आज महत्वपूर्ण जिम्मेदारी निभा रहे हैं, उनमें से कई को आगे बढ़ाने और कुछ को तो आर्थिक मदद करने में भी भूषण की बड़ी भूमिका रही है। निजी बातचीत में पार्टी के कई विधायक व अन्य नेता इस बात को स्वीकार भी करते हैं। हालांकि बिजवासन से विधायक कर्नल देवेंद्र सहरावत अपनी बात पर अडिग हैं कि उन्होंने राष्ट्रीय परिषद की बैठक में गलत बात का विरोध किया था, मगर वह पार्टी के संयोजक अरविंद केजरीवाल के साथ हैं। लेकिन वजीरपुर से विधायक पंकज पुष्कर पूरी तरह प्रशांत के साथ हैं। वह उनकी पत्रकार वार्ता में भी शामिल हो चुके हैं,अन्य 10 विधायक अभी मुहं नहीं खोल रहे हैं। सूत्र बताते हैं कि ये विधायक उचित समय का इंतजार कर रहे हैं।

    प्रशांत, योगेंद्र को रखा गया था अलग

    उल्लेखनीय है कि दिल्ली विधानसभा चुनाव की बागडोर पार्टी नेता आशुतोष, संजय सिंह, आशीष खेतान, दिलीप पांडेय व दुर्गेश पाठक के हाथ में थी। इस टीम को आक्सीजन देने का काम आशीष तलवार कर रहे थे। किसे टिकट देना है और कैसे चुनाव लड़ा जाना है, इसका फैसला भी इसी टीम के ऊपर था। प्रशांत भूषण व योगेंद्र यादव को टिकट बंटवारे सहित चुनाव से जुड़े तमाम अहम मुद्दों से अलग रखा गया था।

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