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    'आप' विधायकों में सुलग रही आग, 12 विधायक हैं नाराज

    By Rajesh NiranjanEdited By:
    Updated: Tue, 31 Mar 2015 10:42 AM (IST)

    आम आदमी पार्टी (आप) की राष्ट्रीय कार्यकारिणी से संस्थापक सदस्य प्रशांत भूषण, योगेंद्र यादव, प्रो. आनंद कुमार व अजित झा को निकाले जाने का फैसला पार्टी के कई विधायकों को हजम नहीं हो रहा है। विधायक खुले तौर पर तो पार्टी के शीर्ष नेतृत्व के विरोध में नहीं आ रहे

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    नई दिल्ली, राज्य ब्यूरो। आम आदमी पार्टी (आप) की राष्ट्रीय कार्यकारिणी से संस्थापक सदस्य प्रशांत भूषण, योगेंद्र यादव, प्रो. आनंद कुमार व अजित झा को निकाले जाने का फैसला पार्टी के कई विधायकों को हजम नहीं हो रहा है। विधायक खुले तौर पर तो पार्टी के शीर्ष नेतृत्व के विरोध में नहीं आ रहे हैं, मगर उनमें आग सुलग रही है जो आगे चलकर पार्टी के लिए नुकसानदेह साबित हो सकती है। सूत्रों का कहना है कि प्रशांत भूषण गुट ने ही इन लोगों को शांत रहने को कहा है। इसके चलते पार्टी के विधायक मामले में आगे नहीं आ रहे हैं। नाराज विधायकों की संख्या 12 के करीब बताई जा रही है। बताया जा रहा है कि पार्टी में कभी भी बगावत हो सकती है।

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    विधानसभा चुनाव में जीतकर आए विधायकों में से 12 लोगों को निकाल दिया जाए तो अन्य नेताओं को लेकर प्रशांत भूषण आदि को भी कोई ऐतराज नहीं था। प्रशांत भूषण ने पार्टी की लाइन से ऊपर जाकर इन प्रत्याशियों के बारे में कोई बात नहीं की थी। उन्होंने केवल इन शिकायतों की जांच के लिए पार्टी के लोकपाल को पत्र लिखा था। सूत्रों का कहना है कि चुनाव जीतने के बाद पार्टी के कई विधायक प्रशांत भूषण से आशीर्वाद लेने गए थे लेकिन उस समय हालात इस तरह के नहीं थे। प्रशांत ने उस समय भी विधायकों से यही कहा था कि जनता को हम लोगों से बहुत उम्मीदें हैं, आप जनता की उम्मीदों पर खरा उतरो।

    भूषण की रही है अहम भूमिका

    यह बात भी किसी से छिपी नहीं है कि जो लोग चुनाव जीत कर आए हैं या पार्टी में महत्वपूर्ण जिम्मेदारी निभा रहे हैं, उनमें से कई को आगे बढ़ाने और कुछ को तो आर्थिक मदद करने में भी भूषण की बड़ी भूमिका रही है। निजी बातचीत में कई पार्टी के कई विधायक व अन्य नेता इस बात को स्वीकार भी करते हैं। हालांकि बिजवासन से विधायक कर्नल देवेंद्र सहरावत अपनी बात पर अडिग हैं कि उन्होंने राष्ट्रीय परिषद की बैठक में गलत बात का विरोध किया था, मगर वह पार्टी के संयोजक अरविंद केजरीवाल के साथ हैं। लेकिन तिमारपुर से विधायक पंकज पुष्कर पूरी तरह प्रशांत के साथ हैं। वह उनकी पत्रकार वार्ता में भी शामिल हो चुके हैं,अन्य 10 विधायक अभी मुह नहीं खोल रहे हैं। वे समय का इंतजार कर रहे हैं।

    प्रशांत, योगेंद्र को रखा गया था अलग

    दिल्ली विधानसभा चुनाव की बागडोर पार्टी नेता आशुतोष, संजय सिंह, आशीष खेतान, दिलीप पांडेय व दुर्गेश पाठक के हाथ में थी। इस टीम को आक्सीजन देने का काम आशीष तलवार कर रहे थे। किसे टिकट देना है और कैसे चुनाव लड़ा जाना है, इसका फैसला भी इसी टीम के ऊपर था। प्रशांत भूषण व योगेंद्र यादव को टिकट बंटवारे सहित चुनाव से जुड़े तमाम अहम मुद्दों से अलग रखा गया था।

    'प्रताडि़त कर रही पार्टी'

    नई दिल्ली, राज्य ब्यूरो। आम आदमी पार्टी (आप) में विवाद बढ़ते ही जा रहे हैं। बिजवासन से विधायक कर्नल देवेंद्र सहरावत ने पार्टी पर मानसिक रूप से प्रताडि़त करने का आरोप लगाया है। कर्नल देवेंद्र सहरावत ने कहा है कि दिल्ली इकाई के सह संयोजक दुर्गेश पाठक ने बगैर उन्हें विश्वास में लिए उनके इलाके में सोमवार को कार्यकर्ताओं की बैठक बुलाई। सहरावत ने कहा है कि बैठक में ऐसे लोग उपस्थित थे जो चुनाव के दौरान पार्टी विरोधी गतिविधियों में लिप्त थे। बैठक का विरोध करते हुए सहरावत ने पार्टी संयोजक व मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को चिट्ठी लिखी है। चिट्ठी में उन्होंने कहा है कि किसी को परेशान करने के इस तरह के तरीके अब पुराने पड़ गए हैं। उन्हें बदनाम करने के लिए पार्टी नेताओं को नए तरीकों की खोज करनी चाहिए।

    विस सत्र के समय से हो रही उपेक्षा

    देवेंद्र सहरावत का कहना है कि पिछले विधानसभा सत्र के समय से ही उनकी उपेक्षा हो रही है। विधायक ने कहा कि सत्र के पहले दिन उन्होंने सदन में किसानों से जुड़े मसले उठाए। पार्टी के कुछ लोगों को यह बात सही नहीं लगी। उन्होंने कहा कि दूसरे दिन उन्हें भूमि अधिग्रहण कानून के बारे में सवाल करना था। लेकिन उनके सवाल को सूची में ही नहीं रखा गया। सहरावत ने कहा कि राष्ट्रीय परिषद की बैठक के भीतर हुई गतिविधियों को उन्होंने मीडिया को बता दिया। इसके बाद से ही उन्हें मानसिक तौर पर प्रताडि़त करने का सिलसिला तेज हो गया है।

    यह रूटीन बैठक थी

    इस बारे में पार्टी का कहना है कि विधायकों के कामों की समीक्षा के लिए इस तरह की बैठकें नियमित तौर पर हो रही हैं। इसमें विधायक को नहीं बुलाया जाता है। सहरावत को शायद इस बात की जानकारी नहीं है। पार्टी का यह भी कहना है कि कार्यकर्ताओं के साथ यह रूटीन बैठक थी।

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