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    बड़ी लकीर खींच गए मोदी, अन्य सियासी दलों में बढ़ी बेचैनी

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    Updated: Mon, 03 Feb 2014 09:48 AM (IST)

    भाजपा के स्टार प्रचारक नरेन्द्र मोदी की रविवार को मेरठ ऐतिहासिक रैली के बाद वेस्ट यूपी का सियासी पारा हाई हो गया है। मोदी ने यह ऐतिहासिक रैली करके विप ...और पढ़ें

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    जागरण संवाददाता, मेरठ। भाजपा के स्टार प्रचारक नरेन्द्र मोदी की रविवार को मेरठ ऐतिहासिक रैली के बाद वेस्ट यूपी का सियासी पारा हाई हो गया है। मोदी ने यह ऐतिहासिक रैली करके विपक्षी दलों के लिए बड़ी लकीर खींची दी है। उन्होंने इस रैली के बहाने रालोद प्रमुख चौधरी अजित सिंह को भी चुनौती दी। बहरहाल, इस रैली के बाद रालोद, बसपा व सपा सतर्क हैं। इन पार्टियों से जुड़े नेताओं ने लोस चुनाव को ध्यान में रखते हुए स्थानीय एजेंडे पर होम वर्क करना शुरू कर दिया है।

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    मुजफ्फरनगर दंगे के बाद पहली बार देहात में भड़की नफरत की चिंगारी का असर वेस्ट यूपी के सियासी समीकरण पर पड़ा। वेस्ट यूपी जाट व मुस्लिम बाहुल माना जाता है। जाट वोट खिसकने के डर से रालोद अध्यक्ष अजित सिंह ने अपने बेटे जयंत चौधरी के साथ मुजफ्फरनगर का भ्रमण किया।

    कई स्थानों पर विरोध हुआ तो जयंत ने इन गांव में रात्रि कैंप किया। गन्ना बकाया भुगतान के बहाने वेस्ट यूपी में कई आंदोलन व संकल्प रैलियां हुईं। वोटर को संगठित करने का प्रयास किया। ऐसे में रविवार को मोदी की रैली में मुंबई के पुलिस आयुक्त सत्यपाल सिंह नौकरी से त्यागपत्र देकर भाजपा की सदस्यता ग्रहण करना व पार्टी द्वारा उन्हें अजित सिंह के सामने बागपत से प्रत्याशी बनाए जाने की चर्चाओं से रालोद खेमे में बेचैनी है।

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    दरकते जातीय समीकरण को रोकने के लिए सपा ने वेस्ट यूपी के 13 नेताओं को राज्यमंत्री पद का दर्जा दिया तो तीन राज्य मंत्रियों का प्रमोशन कर दिया। मुख्यमंत्री व उनके चाचा शिवपाल यादव के नेतृत्व में कभी मंत्रियों का शांति दल मुजफ्फनगर गया तो कभी सपा ने गांव वार शांति के लिए सद्भावना बैठक व कई जनपदों में सद्भावना सम्मेलन भी किए। विस वार साइकिल यात्रा निकाली गई। अब 11 फरवरी को सहारनपुर में मुलायम सिंह की रैली के लिए पूरी ताकत झोंक दी है। बसपा ने भी जिला स्तर पर संगठन बदलना शुरु कर दिया है। मोदी की इस रैली के बाद इन दलों ने भी स्थानीय मुद्दों पर एजेंडा तैयार करना शुरू कर दिया है। बहरहाल, बात चाहे जो भी हो पर मोदी की रैली के बाद वेस्ट यूपी से ही अब राजनीति की दिशा व दशा के साथ-साथ अगला प्रधानमंत्री कौन बनेगा, तय होगा।

    भगवा रैली ने तोड़ा रिकार्ड

    रविवार को हुई मोदी की रैली ने 1977 में कांग्रेस को हारने के लिए मेरठ में सोशलिस्ट पार्टी के प्रत्याशी कैलाश प्रकाश के पक्ष में जीमखाना मैदान में हुए महासम्मेलन में उमड़ी भीड़ का रिकार्ड तोड़ दिया है। विजय लक्ष्मी पंडित, नानाजी देशमुख, जगजीवन राम, राजमाता सिंधिया व अरुण जेटली ने इस रैली में शिरकत की तो लाखों की भीड़ जीमखाना मैदान के आसपास दिखाई दी।

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